काशीपुर। शनिवार की दोपहर काशीपुर शहर में धर्म, सेवा और इतिहास की त्रिवेणी एक अनोखे आयोजन के रूप में नजर आई, जब एमपी चौक पर नगर के नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मराठा साम्राज्य की महान वीरांगना, धार्मिक पुनरुत्थान की प्रतीक और संस्कृति की अमर संरक्षिका देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती को बेहद श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया। इस पावन अवसर पर नगरवासियों ने राहगीरों को ठंडी छबील पिलाकर सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में नगर के प्रतिष्ठित जनों ने भी बढ़-चढ़कर सहभागिता निभाई और श्रद्धांजलि अर्पण कर अपने कृतज्ञ भाव प्रकट किए। आयोजनों की श्रृंखला के बीच इस विशेष दिन पर सामाजिक समर्पण की गहराइयों को छूता यह आयोजन नगरवासियों के लिए न केवल एक प्रेरणा बना, बल्कि श्रद्धांजलि देने का एक सेवा-प्रधान तरीका भी बन गया, जिसे देखकर राहगीरों के चेहरों पर प्रसन्नता और आभार की झलक स्पष्ट दिखाई दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ महापौर दीपक बाली ने देवी अहिल्याबाई होलकर के चित्र पर दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण के साथ किया, जिसके बाद उन्होंने राहगीरों को अपने हाथों से छबील वितरित कर सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया। महापौर दीपक बाली ने देवी अहिल्याबाई होलकर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर और पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि अहिल्याबाई नारी शक्ति, साहस, त्याग और धर्म की रक्षा का एक ऐसा गौरवशाली प्रतीक हैं, जिनका जीवन आज भी समस्त समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने अपने जीवन में जो कार्य किए, वे सिर्फ उस समय की आवश्यकताओं तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारत की सनातन संस्कृति को सहेजने, मंदिरों का जीर्णाेद्धार कराने, और हर वर्ग को एक समान दृष्टि से देखने का जो कार्य किया, वह उन्हें इतिहास में एक अमर व्यक्तित्व बनाता है। महापौर ने यह भी कहा कि अहिल्याबाई ने महिलाओं के लिए जो कार्य किए, उनसे यह प्रमाणित होता है कि यदि कोई नारी संकल्प कर ले तो वह किसी भी चुनौती को पार कर सकती है। उनका जीवन नारी सशक्तिकरण, धार्मिक सौहार्द और जनसेवा का अमिट उदाहरण है, जिससे आज की पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है।
इस विशेष अवसर पर पूर्व कांग्रेस महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल ने भी आयोजन स्थल पर पहुंचकर अहिल्याबाई होलकर को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदानपूर्ण जीवन को याद करते हुए कहा कि नारी शक्ति की अनुपम मिसाल, अहिल्याबाई होलकर का व्यक्तित्व केवल किसी राज्य की शासिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह भारतवर्ष की सनातन संस्कृति, निडरता, सेवा और त्याग की प्रतीक बनकर उभरीं। उन्होंने कहा कि जिस ओज, संकल्प और निर्भीकता के साथ अन्याय और अधर्म के विरुद्ध अहिल्याबाई होलकर ने स्वर बुलंद किया, वह युगों तक प्रेरणा देता रहेगा। उन्होने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने हर बार यह सिद्ध किया कि धर्म, जाति और पंथ की सीमाओं से कहीं ऊपर मानवता और समरसता का आदर्श खड़ा किया जा सकता है। जब मुगल आक्रांताओं ने हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को मिटाने का दुस्साहस किया, तब अहिल्याबाई ने न केवल शिवालयों की पुनर्स्थापना की, बल्कि अपने सारे गहने और धन बेचकर हिंदू धर्म की रक्षा का बीड़ा उठाया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि धर्म की रक्षा तलवार से नहीं, सेवा, साहस और समर्पण से होती है।
पूर्व कांग्रेस महानगर अध्यक्ष संदीप सहगल ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने नारी सशक्तिकरण का ऐसा दीप जलाया, जो आज भी समाज में रोशनी फैला रहा है। उन्होंने महिलाओं को केवल शिक्षित ही नहीं किया, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और स्वाभिमान के साथ खड़ा होने की राह दिखाई। संदीप सहगल ने कहा कि उन्होंने कभी किसी अधर्मी सत्ता के सामने सिर नहीं झुकाया – न मुगलों से डरीं, न फिरंगियों से। उन्होंने ईश्वर को अपना साक्षी मानते हुए जो निर्णय लिए, वे आज भी आदर्श बनकर खड़े हैं। उनके जीवन की सबसे बड़ी सीख यही है कि जब भी समाज में अन्याय हो, जब भी धर्म की राजनीति के नाम पर समाज को बांटने की साजिश हो, तब हर युवा को अहिल्याबाई की तरह आवाज उठानी चाहिए और अन्याय के खिलाफ चुप न रहकर मुखर होकर लड़ना चाहिए। वह नारी होकर भी जिस निर्भीकता के साथ खड़ी रहीं, वह आज की पीढ़ी के लिए एक अमूल्य प्रेरणा है।
इस दौरान पाल परिवार कि ओर से आई कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और पीसीसी सदस्य अलका पाल ने भी भावनात्मक शब्दों में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इस अवसर पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और पीसीसी सदस्य अलका पाल ने कहा कि आज जब हम लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी की 300वीं जयंती मना रहे हैं, तो मैं पूरे भारतवर्ष के नागरिकों को हृदय से कोटि-कोटि शुभकामनाएं और वंदन अर्पित करती हूं। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि मालवा की वह पराक्रमी रानी, जिनके संकल्प और संयम ने अखंड भारत के कोने-कोने में सनातन संस्कृति का परचम लहराया, वे वास्तव में भारत की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होलकर वह युगद्रष्टा थीं, जिन्होंने न भेदभाव किया, न वैमनस्य फैलाया, बल्कि समभाव से संपूर्ण समाज के लिए कार्य किया और नारी शक्ति का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया। अलका पाल ने कहा कि उनके जीवन में जितने संघर्ष थे, उतनी ही अद्भुत थी उनकी धर्म और राष्ट्र के प्रति निष्ठा। उन्होंने आगे कहा कि मैं निजी रूप से स्वयं को उनको अपनस अनुयायी मानती हूँ-उनकी आत्मा आज भी प्रेरणा बनकर हर महिला को संघर्ष की राह दिखा रही है। अलका पाल ने कहा कि उनका हर निर्णय, हर बलिदान, और हर संकल्प आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। पीसीसी सदस्य अलका पाल ने कहा कि पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को हम बारंबार नमन करते हुए हमने समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का संकल्प लिया।
इस आयोजन में जहां राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति रही, वहीं समाजसेवियों और आम नागरिकों का जोश भी कम नहीं था। कार्यक्रम में गुरविंदर सिंह चंडोक, रवि पाल और रिकी पोंटिंग जैसे समाजसेवी भी मौजूद रहे, जिन्होंने अपने हाथों से राहगीरों को छबील वितरित की और इस सेवा को सच्चे अर्थों में श्रद्धांजलि का रूप प्रदान किया। स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने इस कार्यक्रम को न केवल समर्थन दिया, बल्कि पूरे उत्साह के साथ उसमें भाग लेकर यह सिद्ध कर दिया कि काशीपुर की मिट्टी में धर्म, सेवा और संस्कृति के बीज गहराई से रोपे गए हैं। पूरे आयोजन के दौरान माहौल में भक्ति, सम्मान और सामाजिक सहयोग की सुगंध घुली रही, जिसने शहर के नागरिकों को एकसूत्र में बांध दिया। लोगों ने इस आयोजन को केवल एक समारोह नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन के रूप में देखा और इसे भविष्य में भी इसी उत्साह के साथ मनाने का संकल्प लिया।