काशीपुर(एस पी न्यूज़)। देश की चुनावी प्रणाली में बड़ा सुधार लाने के उद्देश्य से ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की नीति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। महापौर दीपक बाली ने इसे भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम बताया है, जो पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इस विचार की नींव पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई द्वारा रखी गई थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे देश में प्रशासनिक स्थिरता बनी रहे और सुशासन को मजबूती मिले। इस योजना के तहत पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया को एकीकृत कर एक निश्चित समय पर चुनाव कराए जाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, जिससे सरकारें अपनी नीतियों और विकास योजनाओं को अधिक प्रभावी रूप से लागू कर सकें।
महापौर दीपक बाली ने नगर निगम सभागार में आयोजित एक बैठक में बताया कि इस योजना के समर्थन में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसे महामहिम राष्ट्रपति महोदया को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से आचार संहिता लागू होती है, जिससे देश के विकास कार्यों पर असर पड़ता है। लगातार चुनावी प्रक्रियाओं के चलते कई बार सरकारें विकास योजनाओं को समय पर लागू नहीं कर पातीं। यदि चुनाव एक साथ होंगे, तो प्रशासनिक सुचारूता बनी रहेगी और विकास योजनाओं को तेजी से क्रियान्वित किया जा सकेगा। इसके अलावा, चुनावों के अलग-अलग समय पर होने से राजनीतिक दलों का ध्यान पूरी तरह से नीति-निर्माण पर नहीं रहता, जिससे दीर्घकालिक योजनाओं के प्रभाव में कमी आती है। इस स्थिति को देखते हुए, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को एक बड़े सुधारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
दीपक बाली ने यह भी बताया कि अलग-अलग चुनाव कराए जाने से सरकारी खजाने पर अत्यधिक वित्तीय बोझ पड़ता है। चुनावों में खर्च होने वाले संसाधन यदि विकास कार्यों में लगाए जाएं, तो देश की अर्थव्यवस्था को अधिक गति मिल सकती है। उन्होंने इस नीति को एक ऐसा कदम बताया, जिससे सरकारी मशीनरी की दक्षता में वृद्धि होगी, क्योंकि बार-बार चुनाव कराए जाने से प्रशासनिक तंत्र, सुरक्षाबल और शिक्षकों को बार-बार चुनावी कार्यों में संलग्न रहना पड़ता है, जिससे अन्य महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित होते हैं। यदि चुनाव एक साथ होंगे, तो इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है और प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके अलावा, चुनावों में बार-बार सुरक्षा बलों की तैनाती भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है, जिसका समाधान इस नीति के तहत किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार चुनाव होने की वजह से मतदाता भी मतदान प्रक्रिया में रुचि खो देते हैं, जिससे मतदान प्रतिशत प्रभावित होता है। यदि चुनाव एक साथ होंगे, तो मतदाताओं में जागरूकता बढ़ेगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लगातार चुनावी गतिविधियों के चलते राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है और नीति-निर्माण प्रक्रिया बाधित होती है। अगर चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो सरकारों को पूरे कार्यकाल में नीति निर्माण और उनके क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने का पर्याप्त समय मिलेगा। इससे न केवल सरकारों की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि विकास कार्यों की गति भी तेज होगी। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और समावेशी हो, ताकि सभी मतदाता निर्बाध रूप से मतदान कर सकें और लोकतंत्र को सुदृढ़ किया जा सके।
उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को भारत को अधिक संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह नीति न केवल संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि सुशासन को भी बढ़ावा देगी, जिससे देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में तेजी आएगी। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों से इस पहल को समर्थन देने की अपील की, ताकि देश में लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बन सकें। इसके अतिरिक्त, इस नीति के तहत विभिन्न राज्यों के चुनावी प्रक्रियाओं में एकरूपता लाने की भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, ताकि पूरे देश में समान चुनावी प्रणाली लागू हो और जनता को सुगमता से मतदान का अवसर मिले।
इस बैठक में पार्षद पुष्कर विष्ट, अनिता कांबोज, वैशाली गुप्ता, रवि प्रजापति, बीना नेगी, अंजना, कुलदीप शर्मा, सीमा सागर, अशोक सैनी, अनूप सिंह और ममता शाहिद उपस्थित रहे। इसके अलावा, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष लवीश अरोरा, जिला कोषाध्यक्ष राहुल पैगिया, चौधरी समरपाल सिंह, जसवीर सिंह सैनी और बिट्टू राणा भी बैठक में शामिल हुए और उन्होंने इस नीति का समर्थन किया। सभी ने इस योजना को देश के लोकतांत्रिक ढांचे को अधिक सुचारू और संगठित बनाने वाला कदम बताया और कहा कि इससे देश की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता को मजबूती मिलेगी। बैठक के दौरान कई प्रमुख सुझाव भी रखे गए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ष्एक राष्ट्र, एक चुनावष् की योजना को सुचारू रूप से लागू किया जा सके और भारत के लोकतांत्रिक विकास को नई दिशा मिल सके।