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रामलीला मैदान में तीज उत्सव ने बिखेरे रंग, महिलाओं ने उत्साह से रचाई मेंहदी

काशीपुर। सावन के हरे-भरे माहौल में काशीपुर की संस्कृति उस समय अपने चरम पर पहुंच गई, जब ऐतिहासिक रामलीला मैदान में तीज उत्सव और मेहंदी प्रदर्शनी का भव्य आयोजन किया गया। शनिवार को रामनगर रोड स्थित इस प्राचीन मैदान पर महिलाओं के उत्साह, पारंपरिक परिधानों की चमक और सांस्कृतिक धुनों ने ऐसा रंग जमाया कि हर ओर हरियाली की तरह उल्लास ही उल्लास बिखर गया। भारत विकास परिषद काशीपुर के तत्वावधान में और तनिष्क ज्वेलर्स के सहयोग से आयोजित इस आयोजन ने न केवल नगर की महिलाओं को अपनी रचनात्मकता और खरीदारी के लिए एक आकर्षक मंच दिया, बल्कि सावन के पर्व की पारंपरिक गरिमा को भी नया आयाम दिया। दूर-दराज के शहरों जैसे मथुरा, अलीगढ़, मुरादाबाद और बरेली से आए प्रसिद्ध ब्रांड्स ने भी इस आयोजन में भागीदारी कर इसे राज्य स्तरीय पहचान दी। हर स्टॉल पर उमड़ी महिलाओं की भीड़ इस बात की गवाह बनी कि तीज पर्व आज भी लोगों के दिलों में उसी प्रेम और जोश के साथ जीवित है।

रंग-बिरंगे स्टॉल्स के बीच जहां एक ओर पारंपरिक पोशाकें, आभूषण, सजावटी वस्तुएं और घरेलू उपयोग की आकर्षक चीजें महिलाओं को अपनी ओर खींच रही थीं, वहीं दूसरी ओर मेहंदी लगाने वालों की कतारें यह दर्शा रही थीं कि तीज का उत्सव महिलाओं के सौंदर्य, संस्कार और सांस्कृतिक चेतना का अद्भुत संगम है। महिलाएं और युवतियां हाथों में मेहंदी रचवाते हुए सावन के पारंपरिक गीतों पर झूमती नजर आईं, जिससे मैदान का वातावरण पूरी तरह से उत्सवी रंग में रंग गया। यह आयोजन केवल एक खरीदारी या प्रदर्शनी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें महिलाओं की आत्मनिर्भरता, पारिवारिक मूल्यों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला। जहां एक ओर खरीदारों की लंबी कतारें थीं, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक हस्तशिल्प और देसी उत्पादों के जरिए स्थानीय महिलाओं के हुनर को सम्मान मिला।

इस आयोजन की गरिमा उस समय और अधिक बढ़ गई, जब लोकप्रिय समाजसेविका और महापौर की धर्मपत्नी उर्वशी दत्त बाली कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचीं। उन्होंने पूरे आयोजन का विस्तार से अवलोकन किया और प्रत्येक स्टॉल पर जाकर महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की सराहना की। उर्वशी दत्त बाली ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे आयोजनों से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रोत्साहन मिलता है और वे अपने रचनात्मक कौशल को समाज के समक्ष लाने में समर्थ होती हैं। उन्होंने कहा कि यह महज एक पारंपरिक उत्सव नहीं, बल्कि नारी शक्ति और आत्मविश्वास का जीवंत मंच है, जो महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में योगदान देता है। उनका स्नेहिल व्यवहार और महिलाओं से आत्मीय संवाद ने आयोजन में मानवीय स्पर्श जोड़ा, जिसे उपस्थित जनसमूह ने गहराई से महसूस किया।

उद्घाटन समारोह में महापौर दीपक बाली की मौजूदगी ने भी पूरे आयोजन को सम्मान और प्रेरणा की एक नई ऊंचाई दी। उन्होंने मंच से दिए गए अपने उद्बोधन में कहा कि तीज कोई साधारण पर्व नहीं, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों की आत्मा है। दीपक बाली ने इसे ‘नारी शक्ति का उत्सव’ बताते हुए जोर दिया कि जब महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी, तभी समाज सशक्त होगा। उन्होंने भारत विकास परिषद की टीम को इस अद्भुत आयोजन के लिए बधाई दी और आश्वस्त किया कि नगर निगम काशीपुर भविष्य में भी ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देगा और हरसंभव सहयोग करेगा। महापौर के शब्दों में न केवल राजनीतिक प्रतिबद्धता झलक रही थी, बल्कि एक सामाजिक चिंतक की संवेदनशीलता भी परिलक्षित हुई।

इस भव्य उत्सव में पूर्व महापौर ऊषा चौधरी की उपस्थिति भी विशेष रही, जिन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए इसे परंपरा और आधुनिकता का समन्वय बताया। भारत विकास परिषद काशीपुर के अध्यक्ष सुमित शंकर अग्रवाल, महिला संयोजिका निधि अग्रवाल, सचिव एडवोकेट प्रखर अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज अग्रवाल समेत शहर के कई गणमान्य नागरिक, समाजसेवी, व्यापारी वर्ग और महिला उद्यमी कार्यक्रम में सजीव उपस्थिति के साथ सम्मिलित हुए। सभी ने इस पहल को ‘नारी सशक्तिकरण की ओर सार्थक कदम’ करार देते हुए आग्रह किया कि इसे हर वर्ष और भी बड़े स्तर पर आयोजित किया जाना चाहिए। उनकी यह मांग आयोजन की सफलता का प्रमाण बनी और शहरवासियों की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को दर्शाया।

समापन की बेला में जब रंग-बिरंगे कपड़े, मेंहदी से सजे हाथ और प्रसन्न चेहरों वाली महिलाएं आयोजन स्थल से विदा हो रही थीं, तब पूरे माहौल में एक सुखद संतोष और उल्लास की झलक दिखाई दे रही थी। यह आयोजन न केवल एक पर्व के रूप में याद किया जाएगा, बल्कि यह नगर में महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक एकता और पारंपरिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रतीक बनकर उभरा है। रामलीला मैदान में सावन की रिमझिम फुहारों के बीच रचा गया यह उत्सव काशीपुर के इतिहास में एक अविस्मरणीय स्मृति के रूप में दर्ज हो गया।

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