रामनगर। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने स्मार्ट मीटरों की अनिवार्यता को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। बिजली विभाग की ओर से अडानी समूह की कंपनी के स्मार्ट मीटरों की जबरन फिटिंग को जनता की जेब पर सीधा प्रहार करार देते हुए रणजीत रावत ने कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश है, जिसके तहत आम लोगों पर आर्थिक बोझ थोपने की चाल चली जा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह महज बिजली सुधार का प्रयास नहीं, बल्कि पूंजीपतियों को मालामाल करने की स्कीम है। कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वे किसी भी कीमत पर इस अन्याय के आगे झुकने वाले नहीं हैं। अपने ऊपर दर्ज मुकदमे को उन्होंने सत्ता की हताश कोशिश बताया और कहा कि सरकार चाहें तो हजार मामले दर्ज कर ले, लेकिन वे न दबेंगे, न झुकेंगे, और न ही चुप बैठेंगे।
भविष्य की राजनीति को एक निर्णायक मोड़ देने वाले अंदाज में रणजीत रावत ने प्रेस वार्ता में यह भी जोर देकर कहा कि जब आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस ने अंग्रेजों को देश से बाहर कर दिया, तो आज की सरकार की कठपुतलियों से डरने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने पूरे मामले को पूंजीवादी मुनाफे की राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि जिन स्मार्ट मीटरों को विकास की संज्ञा दी जा रही है, वे असल में जनता की जेबें काटने वाले डिजिटल शिकंजे हैं। एक-एक मीटर की कीमत ₹25,000 तक पहुंच रही है, जिसे “मुफ्त“ कहकर लगाया जा रहा है, लेकिन कोई भी लिखित आश्वासन नहीं दिया जा रहा कि इसका भार उपभोक्ता पर नहीं डाला जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह योजना जनहितकारी है, तो फिर सरकार इसकी लागत का स्पष्ट ब्योरा देने से क्यों कतरा रही है?
गंभीर आरोपों की बौछार करते हुए रणजीत रावत ने स्मार्ट मीटरों से उत्पन्न हो रही असंगतियों की मिसालें सामने रखीं। उन्होंने बताया कि हल्द्वानी में एक उपभोक्ता के घर में ₹40 लाख का बिजली बिल आ गया, जबकि उस मकान में न तो कोई भारी मशीनरी थी और न ही एसी या गीजर जैसे उपकरण। बाद में प्रशासन के हस्तक्षेप से बिल घटाया गया, लेकिन यह तकनीक की विफलता को उजागर करता है। उन्होंने चौंकाने वाली जानकारी दी कि अब रामनगर के गायत्री विहार में भी ₹38 लाख से अधिक का बिल एक आम परिवार को थमा दिया गया है। उन्होंने व्यंग्य में पूछा कि क्या यह वही “स्मार्ट तकनीक” है जो बिना उपकरणों के ही करोड़ों के बिल पैदा कर रही है? जनता की आंखों में धूल झोंककर जो सिस्टम थोपा जा रहा है, वह जल्द ही बेकाबू साबित होगा और सरकार की नीयत पूरी तरह से बेनकाब हो जाएगी।
सरकार पर चौतरफा हमला बोलते हुए रणजीत रावत ने यह दावा भी किया कि यह पूरा अभियान अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए चलाया जा रहा है। उनका कहना था कि सिर्फ बिजली ही नहीं, देश की संपत्ति, जंगल और ज़मीनें भी इसी उद्योगपति को सौंपने की तैयारी चल रही है। मणिपुर में भड़की हिंसा के पीछे भी उन्होंने सरकार की साजिश का हवाला दिया और कहा कि असली मंशा वहां की प्राकृतिक संपदा को अडानी के हवाले करना है। उनका कहना था कि यह सरकार देश नहीं चला रही, बल्कि व्यापारिक साम्राज्य खड़ा करने में जुटी है, और इसमें जनता की भलाई या हित की कोई गुंजाइश नहीं है। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है, जिसमें देश की नीतियां चंद अमीरों के मुनाफे के लिए बनाई जा रही हैं, और विरोध की हर आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
सभा का समापन करते हुए रणजीत सिंह रावत ने जमीनी तेवर में कहा कि वे कांग्रेस के उस सिपाही की तरह हैं, जो अन्याय के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ने के लिए प्रतिबद्ध रहता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चाहे उनके ऊपर जितने भी मुकदमे लगाए जाएं, वह आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी जैसी शख्सियत को यह सत्ता झुका नहीं सकी, तो फिर उनके जैसे लाखों कार्यकर्ता कहां झुकेंगे? उन्होंने जनता से आह्वान करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल स्मार्ट मीटरों की नहीं, बल्कि लोकतंत्र और आर्थिक न्याय की भी है। उन्होंने इस पूरी योजना को “स्मार्ट लूट“ करार दिया और कहा कि इस लूट के खिलाफ वे अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। जनता की ताकत से यह जाल टूटेगा और असली जवाबदेही तय की जाएगी।