रामनगर(एस पी न्यूज़)। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में इन दिनों स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। इस वन क्षेत्र में वन्यजीवों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है और अब एक और दुखद घटना सामने आई है, जहां कुत्तों ने एक गुलदार के शावक को अपनी शिकार बना लिया। यह घटना जस्सागांजा क्षेत्र में हुई, जहां जंगल में आवारा कुत्तों ने एक बेगुनाह गुलदार के शावक को मौत के घाट उतार दिया। इससे पहले इस क्षेत्र में तीन बाघों की मौत भी हो चुकी है, जो रोड एक्सीडेंट के कारण मारे गए थे। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बनाए गए इन संवेदनशील जंगलों में ऐसी घटनाएं वन विभाग की क्षमता पर सवाल खड़ा करती हैं। वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण विशेषज्ञों के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है कि ऐसे अक्षम्य हादसों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसके कारण जंगलों में जीवन की रक्षा करना और भी कठिन हो गया है।
बीते कुछ महीनों में रामनगर तराई पश्चिमी वन प्रभाग में वन्यजीवों की मौत की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। रोड एक्सीडेंट और शिकारी जाल के कारण वन्यजीवों की जान जा रही है। इनमें बाघों और अन्य जानवरों की मौतें शामिल हैं, जिनका कुप्रभाव वन्यजीवों की आबादी पर पड़ रहा है। हाल ही में एक बाघिन भी शिकारी के फंदे में फंस गई थी, जिसे रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया था, लेकिन उसके दो शावक भी इस हादसे के कारण अनाथ हो गए। ये घटनाएं वन विभाग के सामने एक नई चुनौती पैदा कर रही हैं, क्योंकि जंगलों में हर रोज़ कुछ न कुछ संकट सामने आ रहा है। इन घटनाओं के पीछे शिकारियों द्वारा लगाए गए फंदे भी एक बड़ा कारण बन गए हैं, जो लगातार वन्यजीवों के जीवन के लिए खतरे की घंटी साबित हो रहे हैं। इसके कारण वन्यजीव प्रेमियों में चिंता का माहौल है और वे वन विभाग से शीघ्र सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।
रामनगर के तराई पश्चिमी वन प्रभाग में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष ने वन विभाग को चिंता में डाल दिया है। एक के बाद एक होने वाली वन्यजीव मौतों ने यह साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र में सुरक्षा उपायों की कमी है। राजेश भट्ट, एक प्रमुख वन्यजीव प्रेमी, ने इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन घटनाओं की लगातार बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि विभाग को वन्यजीवों की सुरक्षा में और कड़ी मेहनत करनी होगी। उनका मानना है कि विभाग में मैन पावर की कमी के कारण घटनाएं बढ़ रही हैं और इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। वे यह भी कहते हैं कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए शोध और समाधान की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं पर काबू पाया जा सके। साथ ही, इन घटनाओं ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिनकी वजह से वन्यजीवों का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है।
इस बीच, रामनगर तराई पश्चिमी के डीएफओ, प्रकाश आर्य, ने इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें गुलदार के शावक की मौत के बारे में सूचना मिली थी और यह एक कुत्ते के हमले की वजह से हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में इस प्रकार की तीन घटनाएं हो चुकी हैं और वन विभाग अब और अधिक सुरक्षा उपायों पर विचार कर रहा है। उनकी योजना है कि विभाग के प्रयासों को और सशक्त बनाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। हालांकि, वन विभाग के द्वारा सुरक्षा उपायों के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद, यह सवाल बना हुआ है कि क्या इस क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन और उपाय हैं, जो वन्यजीवों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। यह घटनाएं वन विभाग के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई हैं और उनका सही समाधान ढूंढना अत्यंत आवश्यक हो गया है।