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रामनगर पंचायत चुनाव में बवाल वोटिंग बूथ पर विधायक और दारोगा में तीखी झड़प

दारोगा पर मतदाताओं को डराने का आरोप, दीवान सिंह बिष्ट ने बूथ से हटाने और सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए मचाया हड़कंप

रामनगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के दौरान उस समय अफरा-तफरी मच गई जब शंकरपुर बूथ पर स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट और चुनाव ड्यूटी पर तैनात दारोगा राजवीर नेगी आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच हुए तीखे विवाद ने मतदान केंद्र का माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण बना दिया। यह सारा घटनाक्रम उस समय शुरू हुआ जब मतदाताओं ने दारोगा पर कथित रूप से अभद्र और डराने-धमकाने वाले व्यवहार का आरोप लगाया। इसी के आधार पर विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने सीधे तौर पर राजवीर नेगी पर गंभीर आरोप लगाए और तत्काल बूथ से हटाए जाने की मांग की। उन्होंने इस घटना को लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए कहा कि इससे चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। इस घटना ने मतदान प्रक्रिया की संवेदनशीलता और पुलिस आचरण को एक बार फिर से बहस के केंद्र में ला खड़ा किया।

विधायक दीवान सिंह बिष्ट का कहना था कि वे खुद जब बूथ पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि राजवीर नेगी लगातार मतदाताओं के साथ अनुचित व्यवहार कर रहे हैं। आरोपों के अनुसार, वह बुजुर्गों से भी रुखाई से पेश आ रहे थे और लोगों को मतदान केंद्र से जबरन हटा रहे थे। दीवान सिंह बिष्ट ने स्पष्ट शब्दों में इसे सोची-समझी रणनीति करार देते हुए कहा कि यह सब पूर्व नियोजित लग रहा है, जिसका मकसद वोटिंग प्रक्रिया को बाधित करना और लोगों में भय का माहौल पैदा करना है। विधायक ने यह भी कहा कि जब उन्होंने राजवीर नेगी से इस मसले पर बातचीत करनी चाही तो बातों का लहजा जल्दी ही तीखा बहस में बदल गया और माहौल गरमा गया। उन्होंने प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए यह दोहराया कि मतदाता बिना भय और दबाव के अपने मताधिकार का प्रयोग करें, यह जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की है, जिसे गंभीरता से निभाना चाहिए।

चुनाव प्रक्रिया को लेकर हुए इस विवाद के बाद दीवान सिंह बिष्ट ने पूरे मामले की शिकायत सीधे चुनाव नोडल अधिकारी एवं एसडीएम प्रमोद कुमार से की। साथ ही उन्होंने पुलिस के उच्चाधिकारियों से फोन पर बात कर तत्काल प्रभाव से दारोगा को बूथ से हटाने की मांग भी रखी। उन्होंने दो टूक कहा कि यदि कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा डालता है, तो उसके विरुद्ध कठोर और त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए। यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि समूचे क्षेत्र के लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रश्न है। जब जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग ही जनमानस को भयभीत करेंगे, तो फिर निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा पर से भरोसा कैसे कायम रहेगा?

घटना की सूचना मिलते ही नोडल अधिकारी प्रमोद कुमार, क्षेत्राधिकारी सुमित पांडे और कोतवाल अरुण कुमार सैनी फौरन मौके पर पहुंचे। तीनों अधिकारियों ने वहां की स्थिति का गंभीरता से निरीक्षण किया और विधायक दीवान सिंह बिष्ट से पूरी घटना के बारे में विस्तार से जानकारी ली। एसडीएम प्रमोद कुमार ने कहा कि घटना को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है और इसकी निष्पक्ष जांच के आदेश जारी किए गए हैं। यदि जांच में यह साबित होता है कि दारोगा राजवीर नेगी ने विधायक या मतदाताओं के साथ अनुचित और अपमानजनक व्यवहार किया, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की अराजकता या सत्ता का दुरुपयोग कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दूसरी ओर मतदान की शुरुआत के समय बूथ पर अत्यधिक भीड़ जुटने लगी थी, जिस कारण व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से राजवीर नेगी ने कुछ निर्देश दिए थे। लेकिन आरोप है कि उनके निर्देशों की भाषा और तरीका आक्रामक था, जिसने लोगों को आहत किया। वोट डालने आए कई नागरिकों ने दबी जुबान में यह भी बताया कि पुलिस का रवैया शुरू से ही दबाव बनाने वाला रहा। इस पूरे विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि चुनाव जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में हर एक कदम, हर एक बयान और हर एक व्यवहार कितना महत्वपूर्ण होता है। यदि लोगों में भय का वातावरण बनता है, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर आघात है। अब इस बात पर सभी की निगाहें टिकी हैं कि जांच के बाद क्या कार्रवाई होती है और क्या दारोगा के खिलाफ ठोस कदम उठाया जाता है या मामला सिर्फ जांच तक ही सीमित रह जाएगा।

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