रामनगर। देश के लिए समर्पण और अदम्य साहस की मिसाल बने रामनगर के लाल दिगंबर सिंह मनराल को जब राष्ट्रपति पुलिस पदक मिलने की खबर सामने आई, तो पूरे उत्तराखंड में खुशी की लहर दौड़ गई। विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित ‘सीमा सुरक्षा बल अलंकरण समारोह एवं रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान’ के दौरान जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीएसएफ के वीर जवानों को सम्मानित किया, उसी मंच पर मौजूद थे त्रिपुरा के गोकुलपुर में तैनात सीमा सुरक्षा बल की 69वीं बटालियन के वीर जवान दिगंबर सिंह मनराल। लखनपुर निवासी और स्वर्गीय कुंवर सिंह मनराल के सुपुत्र दिगंबर सिंह को कठिन हालातों में बेहतरीन सेवा के लिए यह सर्वाेच्च सम्मान दिया गया। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के साथ ही रामनगर, मानिला-अल्मोड़ा और समूचे उत्तराखंड में लोगों की आंखें गर्व से चमक उठीं और सामाजिक मीडिया से लेकर जनसभाओं तक हर ओर उनके नाम की गूंज सुनाई दी।
इस विशेष पल ने न सिर्फ परिवार को सम्मानित किया, बल्कि इलाके के हर नागरिक के हृदय में गर्व की भावना भर दी। जैसे ही यह समाचार रामनगर के कोने-कोने तक पहुँचा, दिगंबर सिंह मनराल के भाई देवेंद्र सिंह मनराल, गिरधर सिंह मनराल, प्रहलाद सिंह मनराल, नरेंद्र सिंह मनराल, राजकुमार सिंह मनराल और आशीष मनराल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने खुलकर कहा कि यह सम्मान केवल हमारे परिवार का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की उपलब्धि है। हर वह व्यक्ति जो देश की रक्षा में अपना जीवन समर्पित करता है, ऐसा पदक उसके शौर्य की सच्ची पहचान है। उन्होंने यह भी कहा कि दिगंबर सिंह की यह उपाधि आने वाली पीढ़ियों को देशसेवा के लिए प्रेरणा देगी और उनमें भी इसी प्रकार का जुनून जागेगा।

पर्वतीय सभा लखनपुर के अध्यक्ष ललित मोहन जोशी, सचिव जितेंद्र बिष्ट, लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष राजकुमार पांडे, राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी, समाजसेवी इंद्र सिंह मनराल, प्रेमचंद नैनवाल, हेमचंद्र नैनवाल, पुष्कर दुर्गापाल, नवेन्दु जोशी, बसंत वर्मा, योगेंद्र मनराल, टी के खान, आसिफ, नितेश उपाध्याय, नवीन तिवारी, गोविंद सिंह बिष्ट, दिनेश चंद्र हरबोला, अनूप अग्रवाल, कमल जोशी, योगेश जोशी, मोहन कांडपाल, प्रेमबिष्ट, ललित पांडे और गिरधर बिष्ट ने इसे क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। इन सभी ने एक सुर में कहा कि दिगंबर सिंह ने उत्तराखंड के युवा वर्ग के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है और उनके इस सम्मान से राज्य का सिर और ऊँचा हो गया है। यह उपलब्धि बताती है कि कठिनाइयों और दूरस्थ सीमाओं पर कार्यरत हमारे सैनिक किस समर्पण से देश की सेवा करते हैं और उनके योगदान को अब पूरे देश में पहचान मिल रही है।
राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने दिगंबर सिंह मनराल को राष्ट्रपति पुलिस पदक मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में देश की सुरक्षा में तैनात जवान जिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं, वहां न तो सुविधाएं होती हैं और न ही कोई दिखावा, लेकिन जब उनके समर्पण और साहस को राष्ट्रीय मंच पर इस प्रकार मान्यता मिलती है, तो यह पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है। उन्होंने कहा कि दिगंबर सिंह मनराल ने उस परंपरा को आगे बढ़ाया है, जिसमें उत्तराखंड के युवाओं ने हमेशा राष्ट्र की रक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। यह सम्मान पहाड़ के हर उस नौजवान को एक नया आत्मविश्वास देगा जो वर्दी पहनकर देश सेवा का सपना देखता है। प्रभात ध्यानी ने यह भी कहा कि यह क्षण हर उत्तराखंडी के लिए गर्व और प्रेरणा का संदेश लेकर आया है।

जब किसी गांव या शहर से कोई सपूत राष्ट्र की सेवा में इस स्तर पर गौरव हासिल करता है, तो यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं रहती। यह पूरे समाज का सम्मान बन जाती है। दिगंबर सिंह मनराल की यह उपलब्धि इस बात की मिसाल है कि समर्पण और परिश्रम के बल पर कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना सकता है। यह घटना इस बात को भी रेखांकित करती है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के युवाओं में देशभक्ति और सेवा का जज़्बा कितनी गहराई से मौजूद है। भविष्य में जब भी बीएसएफ के वीर जवानों की बात होगी, रामनगर का नाम जरूर गूंजेगा, और लोग गर्व से कहेंगे कि यहां से एक ऐसा लाल निकला, जिसने अपने कर्तव्य से राष्ट्र को गौरवान्वित किया।