रामनगर। विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास स्थित रामगंगा जल विद्युत परियोजना उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लाखों घरों को रोशनी देने के साथ ही किसानों की फसलों को भी लहलहाने में अहम भूमिका निभा रही है। यह जल विद्युत परियोजना सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व प्रदान करती है। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित यह पावर प्लांट उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधीन है और इसकी कुल जलविद्युत उत्पादन क्षमता 198 मेगावाट है। रामनगर के पास कालागढ़ क्षेत्र में स्थित रामगंगा जल विद्युत परियोजना रामगंगा नदी पर बनी है। इस पावर प्लांट में 3266 मेगावाट की मशीनें लगी हुई हैं, जिनके जरिए हर साल लगभग 300 से 350 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन किया जाता है। इससे उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई शहरों और गांवों को बिजली मिलती है। उत्तर प्रदेश के धामपुर, अफजलगढ़, शेरकोट और उत्तराखंड के रामनगर जैसे इलाकों को रोशन करने में यह परियोजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
हालांकि, यह जल विद्युत परियोजना सालभर बिजली उत्पादन नहीं करती। 15 जून से 15 अक्टूबर तक इसका संचालन बंद कर दिया जाता है। इस दौरान उत्तर प्रदेश को पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती, इसलिए जल प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। इस अवधि में जलाशय में पानी एकत्र किया जाता है, जिससे बाद में बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति सुचारु रूप से की जा सके। रामगंगा जल विद्युत परियोजना के अधिशासी अभियंता पंकज चंदोला ने बताया कि हम हर साल 300 से 350 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करते हैं। इससे सरकार को 20 से 30 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। इस प्लांट से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बिजली सप्लाई की जाती है। यह पूरी तरह से रामगंगा डैम पर आधारित है, जहां से नियंत्रित रूप से पानी छोड़ा जाता है।

यह परियोजना सिर्फ बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों के लिए भी संजीवनी है। 57,500 हेक्टेयर (142,086 एकड़) भूमि की सिंचाई रामगंगा डैम से होने वाले जल प्रवाह से की जाती है। मानसून के दौरान जलस्तर बढ़ने पर डैम में पानी संचित किया जाता है, और 15 अक्टूबर के बाद पुनः बिजली उत्पादन शुरू हो जाता है। रामगंगा जल विद्युत परियोजना पर्यावरण अनुकूल और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बेहतरीन उदाहरण है। जलविद्युत उत्पादन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करता है। सरकार इस तरह की परियोजनाओं को बढ़ावा देकर बिजली संकट को कम करने और देश की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने के प्रयास कर रही है।
रामगंगा जल विद्युत परियोजना उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कालागढ़ में स्थित है। यह परियोजना रामगंगा नदी पर बनी हुई है और इसकी कुल जलविद्युत उत्पादन क्षमता 198 मेगावाट है। इस बांध का निर्माण कार्य 1961 में शुरू हुआ था और इसे 1974 में पूर्ण किया गया। परियोजना के तहत निर्मित बांध की ऊंचाई 125 मीटर और लंबाई 560 मीटर है। यह परियोजना न केवल बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि 57,500 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता भी प्रदान करती है। इसका प्रबंधन उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा किया जाता है। रामगंगा जल विद्युत परियोजना उत्तराखंड की प्रमुख जलविद्युत योजनाओं में से एक है और यह क्षेत्र के ऊर्जा व कृषि विकास में अहम योगदान देती है।

रामगंगा जल विद्युत परियोजना को “कालागढ़ बांध” के नाम से भी जाना जाता है। यह एशिया का सबसे बड़ा सीमेन्ट रहित मिट्टी तथा पत्थर से बना बांध है। यह बहुउद्देशीय परियोजना बिजली उत्पादन, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए विकसित की गई है। यह उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के अंदर कालागढ़ से 3 किमी ऊपर रामगंगा नदी पर स्थित है। भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार जलविद्युत उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई योजनाओं पर काम कर रही हैं। हाल के वर्षों में जलविद्युत परियोजनाओं में निवेश बढ़ा है, जिससे अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है। जलविद्युत परियोजनाएं कोयला और गैस आधारित बिजली उत्पादन की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल होती हैं। इसी कारण सरकार ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में जलविद्युत परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है। रामगंगा जल विद्युत परियोजना उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की बिजली और सिंचाई जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रही है। यह न केवल स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। सरकार यदि इस तरह की परियोजनाओं का विस्तार करती है, तो आने वाले समय में ऊर्जा संकट और जल संकट को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।