काशीपुर। रवि पपने, कांग्रेस आईटी सेल कुमाऊं के प्रदेश सचिव और तेज़-तर्रार वक्ता, ने हालिया हमले पर बड़ा बयान देते हुए काशीपुर की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह हमला महज़ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक गहराई से बुनी गई साज़िश है, जो उनकी लोकप्रियता और कांग्रेस विचारधारा के लिए किए जा रहे संघर्ष को कुचलने का प्रयास है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं उस समय पूरी तरह शांत था, आराम से बैठा हुआ अपने मोबाइल पर वीडियो देख रहा था। न तो मेरी किसी से कहासुनी हुई थी, न ही किसी प्रकार का कोई विवाद चल रहा था। ऐसे में अचानक पीछे से मुझ पर हमला किया गया, जो साफ तौर पर यह दिखाता है कि यह हमला न केवल कायरता का प्रतीक था, बल्कि इसे पूरी तरह से पहले से योजना बनाकर अंजाम दिया गया। यह कोई आवेश या तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि सोच-समझकर, मेरी गतिविधियों की निगरानी कर, मौका देखकर पीछे से हमला किया गया। इस तरह की हरकत न सिर्फ कानून व्यवस्था को खुली चुनौती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश और पूर्व नियोजित रणनीति छिपी हुई है।
रवि पपने ने हमले की घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि रात के अंधेरे में नकाबपोश हमलावरों की वीडियो सबसे पहले किसने बनाई और किसने उसे सामाजिक मंचों पर प्रसारित किया। उनका सवाल था कि यदि कोई सामान्य राहगीर उस समय वहां मौजूद था और वह वीडियो बना रहा था, तो वह एक साथ दौड़ते हुए, वीडियो कैसे रिकॉर्ड कर सकता है? क्या यह कोई सिनेमा की पटकथा थी जिसे पहले से लिखा और अभ्यास किया गया था? यह संदेहजनक स्थिति पुलिस की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। रवि पपने ने यह भी आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे कोई बड़ा प्रभावशाली चेहरा छिपा है, जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, और काशीपुर पुलिस उस व्यक्ति को बचाने के लिए पूरे मामले की दिशा मोड़ने वाला भ्रमजनक कथानक गढ़ रही है, जो न्याय के साथ सरासर अन्याय है।
रवि पपने ने एक महत्वपूर्ण खुलासा करते हुए बताया कि जब पुलिस ने उनसे एक आरोपी की पहचान करने को कहा, तो वह व्यक्ति उन्हें न केवल अपरिचित लगा, बल्कि उसके चेहरे तक की कोई स्पष्ट स्मृति उन्हें नहीं थी। इतना ही नहीं, उस व्यक्ति ने भी रवि पपने से बातचीत में कोई पुरानी रंजिश या टकराव का कारण नहीं बताया, जिससे यह और भी संदिग्ध बन गया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर वास्तव में उनका किसी के साथ पूर्व में कोई विवाद रहा होता, तो काशीपुर पुलिस को वह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए थी ताकि सच्चाई जनता के सामने आती। लेकिन पुलिस की इस संदिग्ध चुप्पी और अपारदर्शिता से यह संकेत मिलता है कि मामले में कोई बड़ा और प्रभावशाली चेहरा शामिल है, जिसे बचाने के लिए जानबूझकर मुख्य बिंदुओं को दबाया जा रहा है। यह न्याय प्रक्रिया को भ्रमित करने का प्रयास प्रतीत होता है।
रवि पपने ने अपने राजनीतिक रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं, बल्कि एक गहरी वैचारिक लड़ाई है, जो सच्चाई और सिद्धांतों के लिए लड़ी जा रही है। उन्होंने बताया कि जब काशीपुर में कब्रिस्तान के मुद्दे को लेकर हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव फैलाने की कोशिश की गई, तब उन्होंने निडर होकर उसका विरोध किया और उन लोगों को बेनकाब किया जो बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहे थे। रवि पपने ने कहा कि नगर निगम की नीतियों में लगातार हो रही मनमानी, खासकर मेयर दीपक बाली के निर्णय, आम जनता की समस्याओं का मूल कारण हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिन गलत नीतियों का विरोध पहले पूर्व विधायक हरभन सिंह चीमा ने किया था, आज उन्हीं का खामियाजा पूरा शहर भुगत रहा है, जिसे वह चुपचाप देखने वाले नहीं हैं।
रवि पपने, कांग्रेस आईटी सेल कुमाऊं के प्रदेश सचिव और तेज़-तर्रार वक्ता, ने हालिया हमले पर बड़ा ‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये कहा राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह हमला महज़ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक गहराई से बुनी गई साज़िश है, जो उनकी लोकप्रियता और कांग्रेस विचारधारा के लिए किए जा रहे संघर्ष को कुचलने का प्रयास है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा मैं उस समय पूरी तरह शांत था, आराम से बैठा हुआ अपने मोबाइल पर वीडियो देख रहा था। न तो मेरी किसी से कहासुनी हुई थी, न ही किसी प्रकार का कोई विवाद चल रहा था। ऐसे में अचानक पीछे से मुझ पर हमला किया गया, जो साफ तौर पर यह दिखाता है कि यह हमला न केवल कायरता का प्रतीक था, बल्कि इसे पूरी तरह से पहले से योजना बनाकर अंजाम दिया गया। यह कोई आवेश या तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि सोच-समझकर, मेरी गतिविधियों की निगरानी कर, मौका देखकर पीछे से हमला किया गया। इस तरह की हरकत न सिर्फ कानून व्यवस्था को खुली चुनौती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश और पूर्व नियोजित रणनीति छिपी हुई है।
रवि पपने ने हमले की घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि रात के अंधेरे में नकाबपोश हमलावरों की वीडियो सबसे पहले किसने बनाई और किसने उसे सामाजिक मंचों पर प्रसारित किया। उनका सवाल था कि यदि कोई सामान्य राहगीर उस समय वहां मौजूद था और वह वीडियो बना रहा था, तो वह एक साथ दौड़ते हुए, वीडियो कैसे रिकॉर्ड कर सकता है? क्या यह कोई सिनेमा की पटकथा थी जिसे पहले से लिखा और अभ्यास किया गया था? यह संदेहजनक स्थिति पुलिस की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। रवि पपने ने यह भी आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे कोई बड़ा प्रभावशाली चेहरा छिपा है, जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, और काशीपुर पुलिस उस व्यक्ति को बचाने के लिए पूरे मामले की दिशा मोड़ने वाला भ्रमजनक कथानक गढ़ रही है, जो न्याय के साथ सरासर अन्याय है।
अपने राजनीतिक रुख को लेकर रवि ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं, एक वैचारिक संघर्ष है। रवि पपने ने कहा कि जब कब्रिस्तान के नाम पर काशीपुर में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर आग लगाई जा रही थी, मैंने खुलकर विरोध किया। मैंने बहुजन समाज पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा मुसलमानों को कांग्रेस के खिलाफ भड़काने की साज़िश को बेनकाब किया। उन्होंने कहा कि नगर निगम की नीतियों, विशेषकर मेयर दीपक बाली की मनमानी का लगातार विरोध करना भी इस हमले के पीछे की एक वजह हो सकती है। जी ने पूर्व विधायक हरभन सिंह चीमा ने जिन नीतियों का विरोध किया, उन्हीं गलत निर्णयों को आज जनता भुगत रही है।
पत्रकारों को लेकर रवि ने कहा कि उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया, बल्कि कुछ चुनिंदा लोगों से अपील की कि वो शहर की बदहाल सड़कों, जैसे पशुपति विहार की दस मिनट की बारिश में ध्वस्त हो चुकी सड़क पर भी ध्यान दें। रवि ने कहा कि काशीपुर की जनता को गुमराह करने वालों में कुछ कथित पत्रकार भी हैं, जिन्होंने चुनाव के वक्त मुझसे एक लाख रुपये मांगे थे ये कहकर कि वो मुझे जितवा देंगे। रवि ने आरोप लगाया कि इस मांग से इंकार करने के बाद अब वही लोग उन्हें बदनाम करने में जुटे हैं। उन्होने एक फेसबुक पेज है ‘उत्तराखंड की सच्चाई’, जिसमें केवल मेरी खबरें डाली जाती हैं – क्या यह पत्रकारिता है या बदले की साजिश? उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमले के तुरंत बाद उन्हीं लोगों ने वीडियो सबसे पहले पोस्ट की और इसके बाद उनकी पुरानी निजी तस्वीरें पोस्ट कर जनता को गुमराह किया गया। उन्होने कहा कि मैं सेना से जुड़ा हूं, कैंटीन से रॉयल स्टैग की बोतल लेना कोई अपराध नहीं। लेकिन मेरे हाथ में बोतल दिखा कर मेरे कैरेक्टर को निशाना बनाने की घटिया कोशिश की गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह हो सकता है कि भविष्य में उन्हीं लोगों की तरफ से फिर से पैसों की मांग हो और इस बार भी वे ब्लैकमेलिंग का सहारा लें।
कांग्रेस आईटी सेल के कुमाऊं प्रदेश सचिव रवि पपने ने पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यह मामला केवल उन पर हुए हमले का नहीं है, बल्कि एक गहरी और सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जब तक इस षड्यंत्र की हर परत जनता के सामने नहीं आ जाती, और असली मास्टरमाइंड को सामने लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा नहीं किया जाता, तब तक वह न तो शांत बैठेंगे और न ही पीछे हटेंगे। उनके मुताबिक यह हमला व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उस विचारधारा के खिलाफ है, जिसे वह कांग्रेस के माध्यम से सच्चाई, न्याय और समानता के लिए वर्षों से संघर्ष करते हुए आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने दोहराया कि इस लड़ाई को वे किसी भी सूरत में अधूरा नहीं छोड़ेंगेकृचाहे यह संघर्ष न्यायालय की चौखट पर हो, मीडिया के मंच पर या फिर जनता के बीच सड़कों पर।