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रणजीत सिंह रावत का फूटा गुस्सा कांग्रेस में सुपारी किलरों की साजिश का विस्फोट

कांग्रेस कार्यालय पर कब्जे को लेकर रणजीत सिंह रावत ने उठाया बगावती परचम, प्रशासनिक गठजोड़ और गैंगवार की खोली परतें

रामनगर। सियासी सरजमीं पर इन दिनों हलचल कुछ ज़्यादा ही गर्म है, और इसकी सबसे बड़ी वजह बनकर उभरे हैं कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत, जिन्होंने जिस अंदाज़ में अपने बयान से माहौल को सुलगाया है, उससे राजनीतिक तापमान में अचानक ही इज़ाफ़ा हो गया है। कांग्रेस कार्यालय को लेकर शुरू हुए इस पूरे बवाल ने अब ऐसा विकराल रूप ले लिया है, जिसमें आरोपों और प्रत्यारोपों की आंधी तेज़ होती जा रही है। रणजीत सिंह रावत ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि उनके खिलाफ पार्टी के ही कुछ किरदार एक सुनियोजित साजिश के तहत सियासी नाटक रच रहे हैं और वे लोग किसी आम रणनीति का हिस्सा नहीं बल्कि एक विशेष नैरेटिव को हवा देने वाले श्सुपारी किलरश् हैं, जो पर्दे के पीछे से उनके राजनीतिक करियर को मिटाने का षड्यंत्र रच रहे हैं।

राजनीति की इस कड़ाही में उबाल तब और तेज़ हुआ जब रणजीत सिंह रावत ने सख्त तेवरों के साथ यह बयान दिया कि हालिया घटना के बाद कांग्रेस के भीतर ही छिपे कुछ चेहरे अब उन्हें घेरने के लिए अंडरवर्ल्ड स्टाइल में श्सुपारी किलरश् टाइप की रणनीति अपना रहे हैं। उन्होंने सीधे-सीधे उन चेहरों को घसीटा जो, उनके अनुसार, खुद अवैध धंधों में गले तक डूबे हुए हैं कृ जैसे अवैध शराब, जुए, सट्टे और वसूली जैसे अपराधों में। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये वही लोग हैं जिन्होंने रामनगर जैसे शांत शहर को अपराधों के भंवर में धकेला है और आज राजनीतिक संरक्षण की आड़ में दहशतगर्दी की ज़मीन तैयार कर रहे हैं। उनके अनुसार, एक ख़ास गैंग से जुड़े ये लोग ना केवल गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं बल्कि कालाढूंगी कांड के भी मुख्य सूत्रधार रहे हैं। रणजीत सिंह रावत ने बेहद मार्मिक शब्दों में यह कहा कि इन्हीं के कारण रामनगर की कई माताओं की गोद सूनी हुई है और अब यही चेहरें व्यापारियों को डराने-धमकाने का काम कर रहे हैं।

इसके आगे चलते हुए रणजीत सिंह रावत ने अपने आरोपों का निशाना पुलिस और प्रशासन की ओर भी मोड़ा और आरोपों की बौछार कुछ इस अंदाज़ में की कि सुनने वालों के कान खड़े हो गए। उनका कहना था कि कांग्रेस कार्यालय पर जो कब्जे की कार्रवाई हुई, वह पूरी तरह से पूर्वनियोजित, एकतरफा और कानून के मुँह पर तमाचा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कब्जे की प्रक्रिया बिना किसी पूर्व सूचना, नोटिस या कानूनी दस्तावेज के कर दी गई, जो प्रशासन की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल उठाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल एक भवन पर कब्जे की बात नहीं, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकारों पर खुला हमला है। इस कार्रवाई के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के अराजक तत्वों और स्थानीय प्रशासन की साठगांठ को ज़िम्मेदार ठहराया, और यह भी बताया कि वह इस मामले को अब अदालत में चुनौती देंगे ताकि न्याय और संविधान की गरिमा को बहाल किया जा सके।

राजनीतिक गलियारों में हलचल तब और तेज़ हो गई जब रणजीत सिंह रावत ने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक विशेष बैठक बुलाई और आगे की रणनीति तय करने की बात सामने आई। उन्होंने यह संदेश दिया कि यह लड़ाई किसी व्यक्तिगत अहं या पद के लिए नहीं है, बल्कि रामनगर की जनता और लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा के लिए है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस षड्यंत्र को समझें और पहचानें कि कैसे कुछ लोगों को संरक्षण देकर पूरी व्यवस्था को पंगु बनाया जा रहा है। उन्होंने गहरी चिंता जताते हुए यह भी कहा कि अगर आज इन लोगों को नहीं रोका गया तो कल कोई भी बाहुबली या गुंडा आएगा और किसी भी व्यापारी की दुकान, घर या जमीन पर कब्जा कर लेगा कृ और प्रशासन अपनी आंखें मूंद कर बैठा रहेगा। उन्होंने रामनगर के नागरिकों से आग्रह किया कि वे जागें, सच को पहचानें और इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें, क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ एक भवन की नहीं, बल्कि नैतिकता और न्याय की लड़ाई है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि रामनगर की राजनीति अब सिर्फ चुनावों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसके भीतर गहराई से पैठी साज़िशें, गठजोड़ और अराजकता की परतें अब खुलकर सामने आ रही हैं। रणजीत सिंह रावत का बयान सिर्फ एक नेता का दुखड़ा नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र पर सवाल है जो सत्ता और संरक्षण के लालच में सच और न्याय को कुचलने पर तुला है। रामनगर की सियासत में जो आग सुलगी है, वह अब थमने वाली नहीं लगती कृ और यदि समय रहते इसे रोका नहीं गया तो इसके शोले आम जनजीवन को झुलसाने से नहीं रुकेंगे।

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