काशीपुर। धूमधाम, रंगों की छटा और संगीत की अनूठी गूंज के बीच पर्वतीय समाज का होली मिलन समारोह 2025 सोमवार को दोपहर 1रू00 बजे पशुपति विहार कॉलोनी में हर्षाेल्लास के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन समाज के उत्साही होल्यारों की शानदार प्रस्तुतियों से गुलजार हो उठा। जहां पारंपरिक होली गीतों की मोहक धुनों ने सबका मन मोह लिया, वहीं रंग-बिरंगी गुलाल की बौछारों ने माहौल को और भी जीवंत बना दिया। हर कोई रंगों की इस अलौकिक मस्ती में डूबा नजर आया और पूरे वातावरण में उमंग और आनंद की लहर दौड़ गई। समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ इस उत्सव में शामिल हुए, जिससे आयोजन और भी खास बन गया।
समारोह की भव्यता में चार चांद लगाने के लिए समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। खासतौर पर मुख्य अतिथि दीपक बाली अपनी धर्मपत्नी उर्वशी बाली के साथ इस रंगारंग महफिल का हिस्सा बने। उनके आगमन से आयोजन में उत्साह का एक नया संचार हुआ। इस अवसर पर दीपक बाली ने समाज को एकजुट रहने और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का संदेश दिया। उनके प्रेरणादायक शब्दों ने उपस्थित जनसमूह को गहरी प्रेरणा दी। होली के इस पावन अवसर पर होल्यारों की मनमोहक प्रस्तुति ने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। सुरों की मिठास और पारंपरिक लोकगीतों की अनुगूंज से पूरा वातावरण संगीतमय हो गया, जिससे समारोह में उपस्थित हर शख्स मंत्रमुग्ध नजर आया। उपस्थित लोगों ने भी इन शानदार प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया और होली के उल्लास में सराबोर हो गए।

होली की इस रंगीन महफिल में पर्वतीय समाज के लोगों ने पारंपरिक लोक धुनों पर नाचते-गाते हुए खुशियों का जश्न मनाया। होल्यारों के सुरीले स्वरों ने पारंपरिक होली की सुगंध बिखेरी, जिससे समूचा वातावरण उल्लास से भर गया। पर्वतीय लोकगीतों के माध्यम से समाज के बुजुर्गों और युवाओं ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत किया। हर ओर गुलाल की रंगीन आभा बिखरी थी, ढोल-नगाड़ों की गूंज माहौल को और भी रोमांचक बना रही थी, और होली का उल्लास लोगों के चेहरों पर साफ झलक रहा था। समाज के लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। पर्वतीय समाज की महिलाओं ने विशेष रूप से समूह में पारंपरिक लोकनृत्य प्रस्तुत किए, जिससे आयोजन का आकर्षण और भी बढ़ गया। इस उत्सव की खुशी मिठाइयों की मिठास से और भी बढ़ गई, जब सभी ने मिलकर स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लिया। यह आयोजन पर्वतीय समाज की समृद्ध संस्कृति, आपसी भाईचारे और परंपराओं की जीवंत मिसाल बनकर उभरा, जिसने हर किसी को होली के सतरंगी आनंद में डुबो दिया।
उर्वशी बाली ने भी पर्वतीय समाज की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराएं हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं। उन्होंने पर्वतीय समाज की महिलाओं के योगदान को सराहते हुए कहा कि महिलाएं केवल परिवार की धुरी नहीं, बल्कि समाज की सशक्त आधारशिला भी हैं। पर्वतीय समाज की महिलाओं की सहभागिता के बिना कोई भी उत्सव पूर्ण नहीं हो सकता। इस उत्सव में उनकी भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि वे परंपराओं को सहेजने के साथ-साथ समाज को सशक्त बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाती हैं। उन्होंने सभी को पर्वतीय समाज की इस एकजुटता को बनाए रखने का संदेश दिया और आने वाली पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति से जोड़े रखने की अपील की।
जयदीप ढौंडियाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि पर्वतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत को संजोना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस होली मिलन समारोह का उद्देश्य केवल रंगों का उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि समाज के सभी लोगों को एक मंच पर लाकर आपसी भाईचारे को मजबूत करना है। उन्होंने समाज के सभी वरिष्ठ नागरिकों, युवाओं और महिलाओं को इस भव्य आयोजन में शामिल होने और इसे सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि पर्वतीय समाज की एकजुटता इसकी सबसे बड़ी ताकत है और इसी एकता के बल पर हम अपनी परंपराओं को जीवंत बनाए रख सकते हैं। जयदीप ढौंडियाल ने सभी आयोजकों की मेहनत की सराहना करते हुए यह भी कहा कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे ताकि पर्वतीय समाज की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके।
रवि पपनै ने भी इस अवसर पर पर्वतीय समाज की गौरवशाली परंपराओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और सामूहिकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय समाज की सबसे बड़ी ताकत उसकी एकजुटता और परंपराओं से जुड़ाव है। उन्होंने इस भव्य आयोजन की सफलता पर आयोजकों को बधाई दी और कहा कि यह पर्वतीय समाज की संस्कृति और भाईचारे को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। रवि पपनै ने युवाओं को समाज की संस्कृति और विरासत से जुड़ने के लिए प्रेरित किया और कहा कि हमें अपनी परंपराओं का सम्मान करते हुए आने वाली पीढ़ी को भी इसकी महत्वत्ता सिखानी होगी। उन्होंने सभी को इस प्रेम और भाईचारे के पर्व को इसी उल्लास के साथ मनाने की शुभकामनाएं दीं और भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों को और अधिक भव्य बनाने का आह्वान किया।

इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में आयोजक मंडल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। जयदीप ढौंडियाल, पवन जोशी, प्रदीप गोस्वामी, रमेश नायक, दरबान सिंह दफौटी, मोहन सिंह गुसाईं, गौरव सती, ब्रजपाल रावत और घनश्याम शर्मा ने मिलकर इस कार्यक्रम को भव्य रूप देने के लिए अथक प्रयास किया। इन सभी ने न केवल आयोजन की बारीकियों पर ध्यान दिया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि हर व्यक्ति इस उत्सव का भरपूर आनंद उठा सके। उनकी टीम वर्क, समर्पण और निष्ठा के कारण यह आयोजन बेहद सफल रहा। पूरे समाज ने आयोजक मंडल के इस प्रयास की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे भव्य कार्यक्रम आयोजित करने की इच्छा जताई। आयोजकों ने भी इस बात पर जोर दिया कि पर्वतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत को इसी प्रकार जीवंत बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है।