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युवाओं की गूंज सरहद पर तैनाती की मांग में, भारत की रक्षा के लिए हर छात्र तैयार

भारत की सुरक्षा के लिए छात्रों ने जताई सेना में शामिल होने की इच्छा, संकल्पित युवा सेना के साथ खड़े होकर पाकिस्तान को जवाब देने को तैयार

हरिद्वार। एसएमजेएन कॉलेज में उस समय देशभक्ति का ज्वार उफान मारने लगा, जब छात्रों की आवाज़ें भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आयोजित संगोष्ठी में गर्जना करने लगीं कि उन्हें सरहद पर भेजा जाए। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हर दिल में एक सैनिक धड़क रहा हो और हर आंख में तिरंगे की छाया बस गई हो। कॉलेज के युवाओं ने खुले मंच से प्रधानमंत्री से गुहार लगाई कि उन्हें बॉर्डर पर तैनात किया जाए ताकि देशद्रोहियों और दुश्मन मुल्क की हर साजिश का सीधा जवाब फौजी जज़्बे के साथ दिया जा सके। इस जज़्बे को और आग दी मुख्य अतिथि अखाड़ा परिषद और कॉलेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने, जिन्होंने हुंकार भरते हुए कहा कि जब तक कॉलेज स्तर से हर युवा को सैन्य प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा, तब तक भारत की सुरक्षा प्रणाली उस तीव्रता से सशक्त नहीं हो सकती, जैसी इस युग की मांग है।

देश की सुरक्षा के उस मजबूत आधार की ओर संकेत करते हुए श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने दृढ़ता से कहा कि अब समय आ चुका है कि देशभर के प्रत्येक महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में एनसीसी को अनिवार्य कर दिया जाए। उनके अनुसार, सिर्फ किताबों के ज्ञान से राष्ट्र रक्षा संभव नहीं, बल्कि हर छात्र के भीतर राष्ट्रसेवा का जुनून और हथियारों को थामने की ताकत भी होनी चाहिए। उनका विश्वास था कि जब पूरा युवा वर्ग प्रशिक्षित होगा, तभी सीमाओं से हो रही घुसपैठ, आतंकवाद और नापाक साजिशों को करारा जवाब दिया जा सकेगा। मंच से बोलते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि एसएमजेएन कॉलेज का प्रत्येक सदस्य भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है। छात्रों की आंखों में राष्ट्रभक्ति की ज्वाला और जुबां पर सिर्फ एक मांग थीकृउन्हें भी सेना की डगर पर चलने दिया जाए।

इस पूरे आयोजन में जो सबसे भावनात्मक और साहसी आवाज़ गूंजती रही, वह थी बेटियों की, जिन्होंने न केवल मंच पर अपने विचार रखे बल्कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हथियार उठाने की सौगंध भी ली। कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने भी खुलकर छात्रों का समर्थन किया और हाल ही में हुई पहलगाम की घटना को पाकिस्तान की नापाक हरकतों का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश की भावना के अनुरूप उस कायरता का मुंहतोड़ जवाब दिया और अब जब बेटियां खुद हथियार उठाने की बात कर रही हैं, तो यह दर्शाता है कि भारत की नई पीढ़ी हर मोर्चे पर उतरने को तैयार है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा. संजय कुमार माहेश्वरी ने युवाओं से भावुक अपील करते हुए कहा कि जब देश सुरक्षित रहेगा, तभी हम सबका भविष्य सुरक्षित रहेगाकृऔर इसके लिए ज़रूरी है कि हर युवा सेना में जाकर मातृभूमि की रक्षा का संकल्प ले।

जब बेटियों की आवाज़ बुलंदी से फिजाओं को झंकृत कर रही थी, तो बीएससी की छात्रा अपराजिता ने देश में आतंक की जड़ें उखाड़ फेंकने के लिए एनसीसी को सबसे सशक्त माध्यम बताया। वहीं अर्शिका ने भावुकता के साथ कहा कि वे बेटियां हैं, लेकिन दुश्मनों को चीर देने की ताकत रखती हैं और सरहद पर जाने को बेताब हैं। रिया कश्यप ने गर्व के साथ भारतीय सेना की वीरता को सलामी दी और कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देकर सेना ने हर हिंदुस्तानी का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है। कशिश ठाकुर की गर्जना थी कि केवल वीरता ही जीत की गारंटी है, और भारत तो सदियों से वीरों की जननी रहा है। इस उत्साह की आग इतनी तेज थी कि सभा के समापन पर छात्रों ने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भेजा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से अनुरोध किया कि उन्हें बॉर्डर पर तैनाती दी जाए ताकि वे भी देश के लिए हथियार उठा सकें।

इस ज्ञापन पर देशभक्ति की आग में तपे जिन छात्र-छात्राओं ने हस्ताक्षर किए, उनमें दिव्यांशु, अली, मानसी, इशिका, अंशिका, टिया, ओमिशा, आंचल, चारू, संध्या, शगुन, अनुराधा, शिवानी, नेहा, आकांक्षा, वैष्णवी धीमान, कामिनी, गौरव बंसल, महक और रिया जैसे नाम शामिल थे। इस ऐतिहासिक और भावनात्मक संगोष्ठी में प्रो. जगदीशचन्द्र आर्य, विनय थपलियाल, डा. मनोज कुमार सोही, डा. शिव कुमार चौहान, वैभव बत्रा, डा. अमिता मल्होत्रा, और कार्यालय अधीक्षक मोहनचन्द्र पाण्डेय जैसे प्रबुद्धजन भी उपस्थित रहे, जिन्होंने विद्यार्थियों के इस जोश को न केवल सराहा, बल्कि यह विश्वास भी जताया कि आज के ये युवा ही आने वाले भारत के रक्षक और स्तंभ बनेंगे।

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