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मौत की डोर बना चाइनीज मांझा-जानलेवा हादसों से दहला शहर, प्रशासन सख्त कार्रवाई को तैयार

चाइनीज मांझे का कहर जारी! इंसानों से लेकर पक्षियों तक पर मंडरा रहा मौत का साया, बढ़ते हादसों से मचा हड़कंप

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। चाइनीज मांझा अब एक गंभीर संकट बन चुका है, जो न केवल आम लोगों के लिए बल्कि पक्षियों और जानवरों के लिए भी घातक साबित हो रहा है। कई घटनाओं में इस खतरनाक मांझे की वजह से लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पक्षियों की बात करें तो गिद्ध, बाज, उल्लू और बगुले के अलावा आईबीस और इजिप्शियन वल्चर जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षी भी इस जानलेवा मांझे की चपेट में आ चुके हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब तक करीब 10 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें पक्षी घायल हुए हैं। इनमें से कई पक्षियों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर इलाज किया गया है, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो गंभीर रूप से घायल होने के कारण उड़ने की स्थिति में नहीं रहे।

हरिद्वार के डीएफओ वैभव सिंह का कहना है कि इस समस्या को रोकने के लिए वन विभाग ने विशेष दल के गठन का निर्णय लिया है, जिसमें प्रशासन और पुलिस का भी सहयोग लिया जाएगा। इसके अलावा, आम जनता से भी अपील की गई है कि वे चाइनीज मांझे का उपयोग न करें क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए जंगलों में विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई गई है, ताकि वहां पर पतंगबाजी के दौरान पहुंचे चाइनीज मांझे को नष्ट किया जा सके। वन विभाग की टीम इन मांझों को इकट्ठा कर जलाने का कार्य करेगी ताकि यह किसी अन्य जीव को नुकसान न पहुंचा सके। इसके अलावा, कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में गश्त करें और जहां कहीं भी इस खतरनाक मांझे को देखें, उसे तुरंत नष्ट करें।

हरिद्वार जिले में चाइनीज मांझे का प्रकोप इस हद तक बढ़ गया है कि अब तक 30 से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनमें से दो लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। हाल ही में घटी कुछ घटनाओं ने इस खतरे को और भी उजागर कर दिया है। 2 जनवरी को राजा गार्डन इलाके में अशोक कुमार नाम के व्यक्ति की गर्दन चाइनीज मांझे से कट गई थी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। अशोक कुमार उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे और हरिद्वार में नमामि गंगे प्रोजेक्ट में हाइड्रा मशीन चलाने का काम करते थे। जिस समय यह घटना घटी, उस समय वे हाइड्रा चला रहे थे और अचानक मांझा उनकी गर्दन में फंस गया, जिससे उनकी गर्दन गहरे घाव के कारण कट गई और उन्होंने दम तोड़ दिया। यह घटना पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी और प्रशासन पर इस पर रोक लगाने का दबाव बढ़ गया।

इसी तरह, 2 फरवरी को एक और दिल दहलाने वाली घटना घटी, जब गुरुकुल इलाके में चाइनीज मांझे ने सुलेख चंद नाम के व्यक्ति की जान ले ली। सुलेख चंद पंजाब में रेलवे में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे और अपनी पत्नी अरुणा देवी को एम्स ऋषिकेश से दिखाकर लौट रहे थे। बाइक से लौटते समय अचानक उनकी गर्दन में चाइनीज मांझा फंस गया और गहरे कटाव के कारण उनकी जान चली गई। यह घटना दर्शाती है कि इस जानलेवा मांझे की वजह से कितने निर्दाेष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद इसे बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।

चाइनीज मांझा आखिर इतना खतरनाक क्यों होता है? पतंगबाज इसे इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि यह दूसरे की पतंग को आसानी से काट सकता है और पतंगबाजी में जीत हासिल करने का जरिया बनता है। यह सामान्य मांझे से बिल्कुल अलग होता है क्योंकि इसमें प्लास्टिक और धातु का मिश्रण होता है। इसके अलावा, इसमें बारीक कांच भी मिलाया जाता है, जिससे यह बेहद धारदार और मजबूत बन जाता है। इसकी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह टूटता नहीं है और लंबे समय तक पेड़ों, बिजली के तारों और इमारतों में फंसा रहता है, जिससे न केवल लोग बल्कि पक्षी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। चूंकि इसमें धातु का मिश्रण होता है, इसलिए यह बिजली का सुचालक भी बन जाता है, जिससे विद्युत लाइनों को छूने पर करंट का भी खतरा बना रहता है।

इन खतरों के बावजूद, बाजारों में यह मांझा खुलेआम बिक रहा है और प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि, वन विभाग की इस नई पहल से उम्मीद जगी है कि जल्द ही इस पर सख्त नियंत्रण किया जाएगा। लोगों को भी चाहिए कि वे इस घातक मांझे का उपयोग बंद करें, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके और पक्षियों, इंसानों और जानवरों की जान सुरक्षित रह सके।

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