हरिद्वार। धर्मनगरी में शुरू की गई मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता योजना, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से लाई गई थी, आज गहरे सवालों के घेरे में है। जिस योजना को नगर निगम, पंजाब नेशनल बैंक और राज्य सरकार ने बड़े गर्व के साथ रोड़ी बेलवाला क्षेत्र में लागू किया था, वह अब भ्रष्टाचार और लापरवाही की शिकार बन गई है। जिन महिलाओं को इस योजना के तहत टिन के खोखे देकर वेंडिंग जोन में व्यापार करने का अवसर दिया गया था, वे आज सड़कों पर भटकने को मजबूर हैं। हर महिला को 1,30,000 रू का लोन दिलवाया गया, जिसमें से 30,000 रू नगद देने की बात थी, और 1,000 रू कागजी औपचारिकताओं के नाम पर वसूला गया। शुरुआत में यह योजना एक बड़ी उम्मीद के रूप में सामने आई थी, लेकिन कुछ ही महीनों में सरकारी तंत्र की गंदगी ने इसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।
अब यह वेंडिंग ज़ोन महिलाओं के आत्मसम्मान का नहीं, बल्कि उनके अपमान का प्रतीक बन गया है। निगम ने जिन महिलाओं को स्वरोजगार की राह पर चलने का सपना दिखाया था, उन्हें जल्द ही ‘पार्किंग ज़ोन’ बनाने की योजना के नाम पर वहां से बेदखल कर दिया गया। जिस स्थान पर पहले गरीब महिलाएं मेहनत करके अपने घरों का खर्च चलाती थीं, वहां अब अवैध दुकानों का कब्जा है और ठेकेदारों की मनमानी का बोलबाला है। महिलाओं की दुकानें उखाड़ फेंकी गईं, और नगर निगम ने उस पूरे क्षेत्र को व्यापारिक सौदेबाजी में बदल दिया। अब वहां की जमीन का असली हकदार ठेकेदार हैं, और जिन महिलाओं को यह ज़मीन दी गई थी, उन्हें न तो न्याय मिला और न ही नया विकल्प। स्थिति यह हो गई है कि एक ओर महिलाएं अपने लोन की किस्तें भरने के लिए संघर्ष करती रहीं, दूसरी ओर सिस्टम ने उन्हें उजाड़कर उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।

बैंक की ओर से जब लोन की अदायगी नहीं हुई, तो महिलाओं को डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया। एनपीए बनने के बाद ये महिलाएं न केवल इस योजना से बाहर कर दी गईं, बल्कि भविष्य की किसी भी योजना में उनका भागीदारी करना अब नामुमकिन हो गया है। इनकी सामाजिक और आर्थिक पहचान धूमिल हो गई है। निगम की लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत ने इन महिलाओं को एक ऐसे चक्रव्यूह में धकेल दिया है, जहां से निकल पाना बेहद कठिन हो गया है। जो महिलाएं कभी आत्मनिर्भर बनने का सपना देख रही थीं, वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही हैं। न कोई सहायता, न कोई पुनर्वास और न ही कोई योजना में पुनः शामिल होने का विकल्प, यही आज की सच्चाई है। एक सरकारी योजना की असफलता अब हजारों घरों की तबाही का कारण बन गई है।
यह पूरा मामला उस समय और भी गंभीर हो जाता है, जब यह याद दिलाया जाता है कि यह वेंडिंग ज़ोन 11 सितंबर 2023 को बहुत धूमधाम से लोकार्पित किया गया था। मंच पर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विधायक आदेश चौहान, महापौर अनीता शर्मा, नगर आयुक्त, जिलाधिकारी और कई पार्षदगण मौजूद थे। उस दिन जिन हाथों ने इस योजना का उद्घाटन किया, आज वही चेहरे इन महिलाओं की बर्बादी पर चुप्पी साधे हुए हैं। उद्घाटन का पत्थर आज भी वहीं पड़ा है, लेकिन उसके नीचे दब चुकी हैं उन महिलाओं की उम्मीदें, उनकी मेहनत और उनका स्वाभिमान। यह सवाल अब सिर्फ एक योजना का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नीयत और संवेदनशीलता का है। आखिर कितनी और योजनाएं इसी तरह सिर्फ उद्घाटन तक सीमित रह जाएंगी?

अब महिलाएं अपनी लड़ाई खुद लड़ रही हैं, लेकिन यह लड़ाई आसान नहीं है। उन्होंने धरने दिए, अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काटे, बार-बार गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलाकृन्याय नहीं। उनके खिलाफ हो रहे अन्याय पर कोई भी जनप्रतिनिधि आगे नहीं आया। ऐसा लगता है जैसे पूरा सिस्टम ठेकेदारों के फायदे के लिए काम कर रहा हो। योजनाएं सिर्फ फोटो खिंचवाने और भाषण देने के लिए बनाई जाती हैं, और जैसे ही रोशनी फीकी पड़ती है, उन्हें भुला दिया जाता है। यह सिर्फ प्रशासन की नाकामी नहीं, बल्कि जनता के साथ किया गया सबसे बड़ा छल है।
हरिद्वार की भूमि जो कभी आध्यात्मिकता और पवित्रता के लिए जानी जाती थी, वहां अब सरकारी योजनाएं गरीबों को अंधकार की ओर धकेल रही हैं। यह बेहद जरूरी हो गया है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए और जिन अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत से यह दुर्गति हुई है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। महिलाओं को दोबारा उनका स्थान, सम्मान और रोजगार दिया जाए। क्योंकि जब सरकार जनता के भरोसे को तोड़ती है, तब वह शासन नहीं, शोषण बन जाती है। गरीब महिलाओं के सपनों की चिता पर बने इस भ्रष्टाचार के ढांचे को गिराना अब समय की मांग है।