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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद पिता की पुण्यतिथि पर खटीमा में बहादुरी और बलिदान की गाथा से रच डाला इतिहास

सेवा संकल्प धारिणी फाउंडेशन के कार्यक्रम में शहीदों को दी श्रद्धांजलि, धामी ने की सैन्यधाम, सीएसडी कैंटीन और सड़कों के निर्माण की घोषणाएं

खटीमा। तराई बीज विकास निगम मैदान में बुधवार को एक ऐतिहासिक और भावुक क्षणों से भरपूर दृश्य तब देखने को मिला जब सेवा संकल्प धारिणी फाउंडेशन द्वारा आयोजित गौरव सैनिक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता कर शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया। यह आयोजन स्वर्गीय सूबेदार शेर सिंह धामी की पाँचवीं पुण्यतिथि की स्मृति में किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत में पुष्कर सिंह धामी ने मंच से उपस्थित वीर नारियों और शहीदों के परिजनों को ससम्मान शॉल ओढ़ाकर और उपहार भेंट कर श्रद्धा और सम्मान प्रकट किया। इसके उपरांत चम्पावत, नैनीताल और उधमसिंह नगर जनपदों के वीर शहीदों के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय सूबेदार शेर सिंह धामी के चित्र के समक्ष सिर नवाकर उनके सिद्धांतों को स्मरण किया।

भाषण के दौरान मुख्यमंत्री धामी की आंखें कई बार नम हो गईं जब उन्होंने मंच से भावुक होकर अपने पिता की स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन उनके लिए व्यक्तिगत रूप से बेहद पीड़ादायक है क्योंकि पांच वर्ष पूर्व इसी दिन उन्होंने अपने जीवन के प्रेरणास्त्रोत को खो दिया था। हालांकि उन्होंने गर्व के साथ कहा कि उनके पिता के जीवन के मूल्यों, सिद्धांतों और संघर्ष ने ही उन्हें सार्वजनिक जीवन में सही मार्ग दिखाया। उन्होंने यह भी साझा किया कि सेवानिवृत्ति के बाद उनके पिता ने गरीब और वंचित बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की थी, जहां से उन्हें सामाजिक सेवा का पहला पाठ मिला। अपने पिता के कथनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि देश सेवा केवल सेना की वर्दी पहनकर नहीं होती बल्कि हर क्षण अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना भी सच्ची सेवा है।

कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भले ही वह सेना में नहीं हैं लेकिन अपने पिता और देश के सैनिकों को आदर्श मानते हुए राष्ट्रसेवा में अपना योगदान देने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की सेना को आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक बनाने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं। रक्षा सामग्री के निर्यात में भी भारत ने पिछले वर्षों में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड सरकार सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण हेतु पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है और इसी क्रम में शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए किया गया है। साथ ही वीरता पुरस्कारों से सम्मानित सैनिकों को भी आर्थिक रूप से और अधिक समर्थन देने की योजनाएं लागू की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि शहीद परिवारों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित किया जाएगा और इस आवेदन की समयसीमा को दो वर्षों से बढ़ाकर पाँच वर्ष किया गया है। इसी के साथ-साथ उन्होंने बताया कि बलिदानियों के परिवारों को नौकरी पूर्व प्रशिक्षण, बेटियों के विवाह हेतु अनुदान और सरकारी बसों में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों के लिए निःशुल्क यात्रा जैसी योजनाओं को भी अमल में लाया जा रहा है। संपत्ति खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25 प्रतिशत की छूट देने जैसे कदम भी सरकार द्वारा लिए गए हैं जिससे सैनिकों और उनके परिवारों को आर्थिक राहत मिल सके। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सैनिकों के मान-सम्मान और उनके हितों की रक्षा के लिए सतत प्रयासरत रहेगी।

इस समारोह में जब मुख्यमंत्री ने देहरादून के गुनियाल गांव में बन रहे सैन्य धाम का उल्लेख किया, तो जनसमूह में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ गई। उन्होंने यह भी घोषणा की कि टनकपुर-बनबसा-खटीमा क्षेत्र में भूमि उपलब्ध होने पर सैन्य धाम की तर्ज पर एक और ऐसा स्थल विकसित किया जाएगा, जिसके लिए सैनिक कल्याण मंत्री उत्तराखंड स्तर से कार्यवाही करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि खटीमा में सैनिक मिलन केंद्र और सीएसडी कैंटीन का निर्माण किया जा रहा है तथा टनकपुर में एक आधुनिक सैनिक विश्रामगृह भी तैयार किया जाएगा, जो सभी जरूरी सुविधाओं से सुसज्जित होगा। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि ड्रोनों के जरिए रोजगार की नई संभावनाएं खोलने हेतु पूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं और उनकी पुत्रियों को श्ड्रोन दीदीश् योजना के तहत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

सभा में यह घोषणा भी की गई कि 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पूर्व सैनिक, उनकी पत्नियां और वीर नारियां निशुल्क बद्रीधाम यात्रा का लाभ उठा सकेंगी। इसके अलावा परमवीर चक्र विजेताओं को उत्तराखंड सरकार की ओर से 1 करोड़ 50 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाएगी। स्थानीय स्तर पर भावनात्मक जुड़ाव को देखते हुए खटीमा स्थित मोहम्मदपुर भुड़िया का नाम बदलकर शहीद राणा वीरेंद्र नगर तथा नानकमत्ता के मोहम्मदगंज का नाम गुरु गोविंद सिंह नगर किए जाने की घोषणा ने भी भारी समर्थन प्राप्त किया। इसके साथ ही अनेक सड़कों के निर्माण और हॉटमिक्स योजना की सौगातों की भी बौछार हुई, जिनमें ग्राम सभा नगला, प्रतापपुर, पुरनापुर मेन रोड से जोगी ठेर तक की सड़कें शामिल हैं। इन परियोजनाओं से आमजन की सुविधाएं बढ़ेंगी और क्षेत्र में विकास की नई गति आएगी।

कार्यक्रम में उपस्थित कृषि एवं सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने इस आयोजन को सौभाग्य का क्षण बताते हुए कहा कि शहीदों के परिजनों को सम्मानित कर राज्य सरकार ने मानवता और कर्तव्य का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह भी बताया कि धामी सरकार ने वीरांगनाओं की पेंशन बढ़ाने, शहीदों के परिवारों को नौकरी देने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने सैन्य धाम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि इसमें 28 नदियों से जल और शहीदों के घरों से मिट्टी लाई गई है, जो इसे एक जीवंत श्रद्धांजलि स्थल बनाते हैं। इस भव्य समारोह में कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, सांसद अजय भट्ट, लेफ्टिनेंट जनरल संदीप जैन, पूर्व परिवहन मंत्री उत्तर प्रदेश अशोक कटारिया समेत अनेक गणमान्य लोगों ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया और जनता को संबोधित करते हुए शहीदों के बलिदान को नमन किया।

साथ ही, विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों के माध्यम से सरकार की योजनाओं की जानकारी और लाभ आमजन तक पहुंचाया गया, जिनका निरीक्षण स्वयं पुष्कर सिंह धामी ने किया। सेना के बैंड की धुनों के साथ कार्यक्रम में प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने आयोजन को और भी प्रभावशाली बना दिया। इस दौरान विनय रुहेला, अनिल कपूर डब्बू, शंकर कोरंगा, दीपक बाली, गजराज बिष्ट, शिव अरोड़ा, त्रिलोक सिंह चीमा, गोपाल सिंह राणा, सुरेश गड़िया, मनोज पाल, कमल जिंदल, राजेश शुक्ला, प्रेम सिंह राणा, रमेश चंद्र जोशी सहित अनेकों जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिकारीगण उपस्थित रहे, जिन्होंने इस अद्वितीय आयोजन को सफल बनाने में अपनी सहभागिता निभाई।

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