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मानसून में जंगल का रोमांच! फाटो जोन बना ट्री हाउस सफारी का नया हॉटस्पॉट

बरसात में अब बंद नहीं रहेंगे जंगल के दरवाज़े, ट्री हाउस नाइट स्टे और डे सफारी से पर्यटकों को मिलेगा रोमांच, रोजगार और नया अनुभव।

रामनगर। बरसात के मौसम में जब उत्तराखंड के पहाड़ और जंगल हरियाली की चादर ओढ़ लेते हैं, तब रोमांच की तलाश में निकले सैलानियों के लिए रामनगर का फाटो पर्यटन जोन अब एक नया अद्भुत ठिकाना बनकर सामने आया है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे इस क्षेत्र को पहली बार मानसून सीजन में भी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। अब बरसात के दौरान भी ट्री हाउस में रात बिताने और जंगल सफारी के अद्वितीय अनुभव का अवसर सैलानियों को मिलेगा। यही नहीं, यह बदलाव उन परंपराओं को तोड़ रहा है जो बरसों से मानसून को पर्यटन ठहराव का समय मानती आई हैं। अब यह मौसम भी रोजगार, अनुभव और जंगल की जैव विविधता से साक्षात्कार का नया अवसर बन गया है।

पहली बार ऐसा हुआ है जब तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अंतर्गत फाटो जोन को जून से नवंबर के बीच भी खुला रखा गया है, जबकि आमतौर पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के सभी पर्यटन जोन 15 जून से 15 नवंबर तक बंद रहते हैं। केवल ढेला, झिरना और गर्जिया जोन में ही डे सफारी की सीमित सुविधा रहती है, परंतु फाटो जोन को इस बार इस सूची से अलग करते हुए मानसून में भी खोलने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में अपने दौरे के दौरान इस पहल की शुरुआत की और साफ शब्दों में कहा कि यह प्रयास ना केवल पर्यटन के नए आयाम खोलेगा बल्कि वर्षा ऋतु में भी स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के स्थायी रास्ते बनाएगा। जंगल के बीच लकड़ी से बने ट्री हाउस और जलस्रोतों के पास से गुजरती सफारी सैलानियों को जंगल की नब्ज से परिचित कराएगी।

जहां पहले बारिश के कारण जंगलों की सड़कें कीचड़ से भर जाती थीं और सैलानियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती मानी जाती थी, वहीं अब इन सड़कों को पक्का और सुरक्षित बनाकर इस चिंता को खत्म कर दिया गया है। अब पर्यटक बिना किसी जोखिम के जंगल के बीच बसे ट्री हाउस में रात गुजार सकते हैं और सुबह या शाम जिप्सी सफारी में निकलकर बाघ, हाथी, भालू और गुलदार जैसे अद्भुत प्राणियों को बेहद करीब से देख सकते हैं। जंगल के मध्य बने दो ट्री हाउस ऊंचाई पर हैं, जहां से आसपास के वॉटर होल्स का सीधा दृश्य दिखता है। यह नज़ारे प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं, जहां वे लॉबी में बैठकर वन्यजीवों के स्वभाव का गहन अध्ययन कर सकते हैं। यह अनुभव केवल पर्यटन नहीं, एक जीवंत दस्तावेज बनकर यादों में बस जाता है।

प्रकाश आर्या, डीएफओ तराई पश्चिमी वन प्रभाग, ने बताया कि फाटो जोन में कुल 13 रिहायशी कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें दो ट्री हाउस पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। इन ट्री हाउस को पारंपरिक ढंग से लकड़ी से तैयार किया गया है और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि सैलानी ूूू.चींदजवमबव्रवदम.पद वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। इस वेबसाइट के जरिए बुकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और सरल बनाया गया है। फाटो जोन में प्रतिदिन 50 जिप्सी सुबह की पाली में और 50 जिप्सी शाम की पाली में सफारी के लिए चलाई जाती हैं। वहीं 15 जिप्सी केवल नाइट स्टे के लिए अधिकृत हैं, जिससे रात्रि विश्राम करने वाले पर्यटकों को पूर्ण सुविधा मिल सके।

इस नई योजना के ज़रिए राज्य सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उत्तराखंड अब पर्यटन के पारंपरिक ढांचे को नए दृष्टिकोण से देख रहा है। बरसात अब केवल पर्यटकों के लिए प्रतिबंध नहीं, बल्कि रोमांच और अनुभवों की नई शुरुआत बन चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया कि फाटो जोन जैव विविधता और वन्यजीवों के दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध क्षेत्र है, जिसे सालभर खोलना पर्यावरणीय संतुलन के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य सरकार आगे भी इस दिशा में और योजनाएं लेकर आएगी जिससे युवाओं को आजीविका के नए विकल्प मिलेंगे और राज्य की पर्यटन क्षमता को देश-दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी।

यह निश्चय ही एक क्रांतिकारी पहल है जिसने मानसून को उत्तराखंड में पर्यटन का ठहराव नहीं बल्कि एक स्थायी अवसर में बदल दिया है। रामनगर के फाटो जोन में जंगल की हरियाली, वन्यजीवों की जीवंतता और ट्री हाउस की ऊंचाई से दिखता नज़ारा अब केवल कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है। यह पहल ना केवल पर्यटन को विस्तारित करेगी, बल्कि आने वाले समय में उत्तराखंड को मानसून पर्यटन की राजधानी के रूप में स्थापित करने की ओर भी एक ठोस कदम साबित होगी।

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