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मानवता और आध्यात्मिकता का भव्य संगम 58वें निरंकारी संत समागम में प्रेम और एकता का संदेश

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य सान्निध्य में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रेम, एकता और आध्यात्मिकता का अनुभव किया

पुणे(एस पी न्यूज़)। आध्यात्मिकता और मानवता के संदेश के साथ महाराष्ट्र के पुणे के पिंपरी में 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य शुभारंभ हुआ, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह तीन दिवसीय भव्य आयोजन मानवता, प्रेम और भाईचारे के संदेश को फैलाने के उद्देश्य से किया गया, जिसमें सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों से श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन प्रदान किया। इस अवसर पर सतगुरु माता जी ने कहा कि केवल मनुष्य के रूप में जन्म लेना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सच्चे मानवीय गुणों को अपनाकर ही इंसान की वास्तविक पहचान बनती है। उन्होंने इस अवसर पर विज्ञान और तकनीक की प्रगति का जिक्र करते हुए बताया कि आधुनिक उपलब्धियां तभी सार्थक हो सकती हैं जब उन्हें सद्बुद्धि के साथ मानव कल्याण के लिए उपयोग किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जब मानव अपने जीवन में ब्रह्मज्ञान को अपनाता है, तो उसके भीतर समभाव उत्पन्न होता है और वह परोपकार और सेवा के मार्ग पर अग्रसर होता है। उनके अनुसार, जब हम इस परम सत्य को अपने हृदय में स्थान देते हैं, तभी सच्चे प्रेम और सहानुभूति की भावना विकसित होती है, जो समाज में समरसता और शांति का मार्ग प्रशस्त करती है। इस आयोजन में भक्तों ने मानवता की सेवा और आध्यात्मिकता को अपनाने का संकल्प लिया, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा मिली।

समागम की शुरुआत एक भव्य शोभा यात्रा से हुई, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति की झलकियों से मंत्रमुग्ध कर दिया। मिलिट्री डेयरी फार्म के विशाल मैदान में आयोजित इस शोभा यात्रा में महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों के अलावा अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी के स्वागत में भक्तों ने हर्षाेल्लास के साथ भागीदारी की। इस शोभा यात्रा में प्रस्तुत विभिन्न झांकियों ने भारतीय संस्कृति और मिशन की शिक्षाओं का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। इन झांकियों में भारतीय परंपराओं, आध्यात्मिकता और विश्वबंधुत्व की भावना को दर्शाया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभा यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु भक्तों ने मिशन की शिक्षाओं को आकर्षक और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया। विभिन्न राज्यों और शहरों से आई झांकियों ने आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति और मानवता की सेवा के महत्व को उजागर किया। पुणे, कोल्हापुर, मुंबई, नासिक, सातारा, नागपुर, रायगड, सोलापुर और अन्य क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने अपनी प्रस्तुतियों से इस आयोजन को और भव्य बना दिया। इन झांकियों में श्नर सेवा नारायण पूजाश्, श्स्वच्छ जल-स्वच्छ मनश्, श्आओ मिलकर प्यार भरा संसार बनाएंश् जैसी प्रेरणादायक थीम्स को शामिल किया गया, जिससे समागम में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। श्रद्धालुओं ने इस यात्रा को प्रेरणादायक और आत्मविकास का महत्वपूर्ण अनुभव बताया।

समागम स्थल पर जब दिव्य युगल का आगमन हुआ, तो श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा और जयघोष के साथ उनका भव्य स्वागत किया। मिशन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पुष्प गुच्छ अर्पित कर सतगुरु माता जी और आदरणीय निरंकारी राजपिता जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके बाद एक भव्य पालकी शोभायात्रा के रूप में दिव्य युगल को समागम पंडाल के मुख्य मंच तक लाया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने ‘धन निरंकार’ के गगनभेदी जयघोष के साथ अपनी आस्था और प्रेम को व्यक्त किया। सतगुरु माता जी ने अपनी मधुर मुस्कान और आशीर्वचनों के माध्यम से उपस्थित भक्तों को कृतार्थ किया। निरंकारी मिशन का यह भव्य आयोजन समाज में प्रेम, एकता और सौहार्द को बढ़ावा देने का एक माध्यम है। इस समागम के माध्यम से सतगुरु माता जी का यह संदेश स्पष्ट रूप से गूंजा कि मानवता का सच्चा मार्गदर्शन तभी संभव है जब हम अपने भीतर आध्यात्मिकता और सच्चे प्रेम को जागृत करें। श्रद्धालुओं ने इस समागम को एक अद्वितीय अनुभव बताते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी मार्गदर्शन करता है।

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