हरिद्वार। परमार्थ घाट पर उस शाम एक अद्भुत, भावुक और गहराई से भरा दृश्य देखने को मिला, जब गुजरात के अहमदाबाद में हुए दर्दनाक विमान हादसे में जान गंवाने वाले निर्दाेष लोगों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। मां गंगा के किनारे जुटे संतों, सामाजिक सेवकों और आम श्रद्धालुओं की आंखों में सिर्फ आंसू नहीं थे, बल्कि उनके हृदयों में उन अजनबी मृतकों के लिए करुणा, सम्मान और आत्मीयता का भाव भी था। सैकड़ों दीप जब गंगा की लहरों पर बहते दिखे, तो ऐसा लगा मानो देशभर की संवेदनाएं उन लहरों पर सवार होकर दिवंगत आत्माओं तक पहुंच रही हों। दो मिनट के मौन से वातावरण में जो निस्तब्धता फैली, उसने वहां मौजूद हर व्यक्ति के हृदय को भीतर तक झकझोर दिया।
इस मार्मिक अवसर पर कई समाजसेवी और धार्मिक हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर न केवल संवेदनाएं व्यक्त कीं, बल्कि एकजुट होकर इस राष्ट्रीय त्रासदी के पीड़ितों के साथ खड़े होने का संदेश भी दिया। भारतीय जनता पार्टी के नेता विदित शर्मा ने अपनी गहरी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह हादसा किसी एक राज्य या परिवार का नहीं, बल्कि पूरे भारत की आत्मा को झकझोर देने वाली त्रासदी है। उन्होंने गंगा मां के चरणों में प्रार्थना करते हुए दिवंगतों की आत्मा की शांति और उनके परिजनों के लिए धैर्य व शक्ति की कामना की। वहीं, आध्यात्मिक संत साध्वी अनन्या देवी ने इस हादसे को श्हृदय विदारकश् बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं किसी राष्ट्र की नहीं, बल्कि समस्त मानवता की पीड़ा बन जाती हैं। उनके शब्दों से निकलता हर वाक्य मानो उपस्थित जनसमूह के आंसुओं को रोकने में असमर्थ रहा।
योगाचार्य स्वामी निरंजन देव की आंखें उस समय भर आईं, जब उन्होंने बताया कि इस हादसे में जान गंवाने वाले कुछ यात्री उनके हरिद्वार स्थित आश्रम से जुड़े हुए थे। शैलेन्द्र गोविंदभाई परमार और उनकी धर्मपत्नी नेहाल बहन परमार न केवल नियमित योग साधक थे, बल्कि आश्रम के आध्यात्मिक आयोजनों में सक्रिय सहभागिता भी निभाते थे। स्वामी जी ने गंगा जल में आहुति देकर उन आत्माओं को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और मां गंगा से विनती की कि उन्हें अपने दिव्य चरणों में स्थान दें। यह क्षण वहां मौजूद हर व्यक्ति को यह अहसास दिला गया कि संबंध सिर्फ रक्त से नहीं, भावनाओं और आत्मिक जुड़ाव से भी होते हैं।
घटना की पीड़ा को शब्दों में ढालते हुए धर्मशाला समिति के अध्यक्ष राम अवतार शर्मा ने कहा कि यह हादसा जितना भौतिक रूप से भयावह है, उससे कहीं अधिक मानसिक रूप से झकझोर देने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी का भी विश्वास तोड़ सकती हैं और यह सोचकर भी मन सिहर उठता है कि कितनी जिंदगियाँ एक झटके में खत्म हो गईं। वहीं, भाजपा के मीडिया प्रमुख विकल राठी ने इसे संवेदनाओं का समय बताते हुए कहा कि हम सबको मिलकर इस कठिन समय में उन परिवारों के साथ खड़ा होना चाहिए जिन्होंने अपने सगे-संबंधियों को खो दिया। उन्होंने कहा कि मां गंगा साक्षी हैं, हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर इन आत्माओं को शांति और उनके परिजनों को सहनशक्ति प्रदान करें।
श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेने वालों में समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़ी हस्तियाँ शामिल थीं। इस भावपूर्ण आयोजन में ललित प्रजापति, ममता लाल शुक्ल, ओम स्वामी, अजीत ढाका, सरिता ढाका, आशीष मिश्रा, योगिता मिश्रा, ज्योति कौशिक, सूरज बालियान, मनोज बिष्ट, सीताराम बडोनी, संजिला शर्मा, पूजा गुप्ता, चंद्रकांता भाटिया, अभिषेक, श्याम पांडे, मनोज शर्मा, अशोक पारीक, अर्जुन सिंह राणा और रमन पाठक जैसे कई लोग उपस्थित रहे। सभी ने गंगा किनारे दीप जलाकर, सामूहिक प्रार्थना के साथ दिवंगतों को विदाई दी। गंगा के पावन तट पर फैली रोशनी और मौन की गंभीरता ने यह सिद्ध कर दिया कि देश चाहे जितना बड़ा हो, लेकिन जब कोई दुख साझा होता है, तो हर दिल उसमें एक साथ धड़कता है।
यह श्रद्धांजलि सभा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं थी, यह एक प्रतीक थी उस अदृश्य सामाजिक ताने-बाने की, जो संकट के समय पूरे देश को एक सूत्र में बांध देती है। दीपों की कतारों में सिर्फ रोशनी नहीं थी, बल्कि उसमें गहराई से भरी संवेदनाओं, श्रद्धा और शांति की शक्ति भी समाहित थी। मां गंगा के तट पर बहते हर दीप ने यह संदेश दिया कि हम भले ही उन मृतकों को न जानते हों, लेकिन उनका दुख हमारा भी है -और यही तो भारत की आत्मा है, जो हर पीड़ा को अपनी बना लेती है।