हरिद्वार। पवित्रता और आस्था का प्रतीक श्री गंगा अब एक गंभीर आरोप के केंद्र में है। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु मां गंगा की लहरों में डुबकी लगाने आते हैं, वहीं अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या प्रशासन और सत्ता के नापाक गठजोड़ ने इस पवित्र स्थल को भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का अड्डा बना दिया है? हर की पौड़ी, जो हर हिंदू के लिए आस्था का प्रमुख स्थल है, अब आरोपों के घेरे में है। पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी से यह सवाल उठ रहा है कि क्या उन्होंने इस स्थल को फूलफरोशी और अवैध वसूली के लिए केंद्र बना दिया था? क्या प्रशासनिक ईमानदारी को ताक पर रखकर इस खेल को बढ़ावा दिया गया? यह सवाल अब हरिद्वार के नागरिकों और श्रद्धालुओं के दिलों में गहरी चिंता पैदा कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, हर की पौड़ी क्षेत्र में अवैध फूलफरोशी के ठेके लगाए गए थे, जो प्रतिदिन लाखों रुपये की अवैध वसूली कर रहे थे। यह आंकड़ा उस क्षेत्र के व्यापारियों और पुलिस अधिकारियों के बीच एक गहरे गठजोड़ को उजागर करता है। सवाल यह भी उठता है कि क्या नगर निगम के उच्च अधिकारी इस काले कारोबार में शामिल थे? क्या स्थानीय पुलिस और कुछ दबंगों ने इस अवैध गतिविधि को बढ़ावा दिया था? सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस अरबों रुपये के घोटाले का मास्टरमाइंड कौन था, जो इस साजिश के पीछे खड़ा था? यह न केवल प्रशासन के ऊपर सवाल खड़ा करता है, बल्कि उन तमाम लोगों पर भी संदेह उत्पन्न करता है जो इस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में शामिल थे। इस पूरे मामले की जांच अब अनिवार्य हो गई है।

एनजीटी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद, हरिद्वार के पवित्र स्थल पर प्लास्टिक और पॉलिथीन का अवैध कारोबार खुलेआम जारी था। यह सवाल बेहद गंभीर हो जाता है, खासकर तब जब एनजीटी के आदेशों में साफ-साफ यह निर्देश दिया गया था कि प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। फिर भी, यह सामग्री न केवल बिक रही थी, बल्कि यहां तक कि बेझिजक इसे फेंका जा रहा था। क्या यह पूरी कार्रवाई किसी बड़े प्रशासनिक कवर-अप का हिस्सा थी? इस गंदे खेल में अधिकारियों की जिम्मेदारी अब सवालों के घेरे में है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि वह कौन से अधिकारी थे जिन्होंने जानबूझकर आंखों पर पट्टी बांधकर इस घातक और प्रतिबंधित कारोबार को बढ़ावा दिया। यह स्पष्ट रूप से प्रशासनिक असफलता का नतीजा था, जिसे अब पूरी तरह से उजागर करने की जरूरत है।
हर की पौड़ी पर अवैध कब्जे की स्थिति गंभीर रूप ले चुकी थी। पवित्र गंगा के तट पर लगभग 20×20 फीट के अवैध अतिक्रमणों ने न केवल उस स्थल की सुंदरता को नष्ट किया, बल्कि वहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को भी गहरी चोट पहुंचाई। यह सवाल अब हरिद्वार के नागरिकों के मन में उठ रहा है कि क्या कोई अधिकारी अकेले इस तरह का बड़ा कृत्य कर सकता था? या फिर यह पूरे प्रशासनिक तंत्र का हिस्सा था, जिसने इस बड़े भ्रष्टाचार के नेटवर्क को चलाया था? इस मुद्दे ने अब देशभर में गुस्से की लहर पैदा कर दी है और अब मांग उठ रही है कि इस घोटाले की जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से करवाई जाए। हरिद्वार के नागरिकों को पूरी सच्चाई जानने का हक है, और यह समय है जब यह घोटाला उजागर किया जाए।

मामले में घोटाले की गहराई को देखते हुए यह अब बेहद जरूरी हो गया है कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों की चल और अचल संपत्तियों की तत्काल जांच की जाए। यदि यह साबित होता है कि किसी ने भी एनजीटी के आदेशों की अवहेलना की है, तो उन्हें आईपीसी की सख्त धाराओं के तहत दंडित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, हर की पौड़ी को फिर से पूरी तरह से पवित्र और अतिक्रमण मुक्त बनाया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस पवित्र स्थान की असली सुंदरता और महत्व को देख सकें। हरिद्वार के नागरिकों को इस घोटाले की पूरी सच्चाई जानने का पूरा हक है, और अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह उन्हें पूरी सच्चाई से अवगत कराए। इस घोटाले को उजागर करना अब समय की जरूरत बन चुका है।

यह घोटाला अभी अपने शुरुआती दौर में है, और इसके और भी बड़े खुलासे जल्द ही सामने आने वाले हैं। हरिद्वार में अब आस्था के नाम पर मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मां गंगा की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था के खिलाफ किसी भी प्रकार का अपराध अब सहन नहीं किया जाएगा। यह केवल प्रशासनिक या वित्तीय भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास की सुरक्षा की लड़ाई बन चुकी है। जो लोग इस घोटाले के पीछे हैं, उन्हें न केवल जनता के सामने लाया जाएगा, बल्कि कानून भी उन्हें कड़ी सजा देगा। हरिद्वार की पवित्रता, जो सदियों से श्रद्धा का प्रतीक रही है, को बचाना अब हमारी प्राथमिकता बन चुकी है। यह लड़ाई अब सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं, बल्कि धर्म और आस्था की रक्षा के लिए है।
अब हमारी कलम और भी तीखी होगी, और हम इस मुद्दे को और गहरे तक खोद कर लोगों के सामने लाएंगे। यह केवल शुरुआत है, और इसके बाद जो खुलासे होंगे, वे इस भ्रष्टाचार की साजिश को और भी उजागर करेंगे। मां गंगा के पवित्र तटों पर जो खेल खेला गया है, वह अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम इस पूरे घोटाले को सामने लाकर हर एक जिम्मेदार व्यक्ति को सजा दिलवाने की पूरी कोशिश करेंगे। हमारी प्राथमिकता अब यह है कि हरिद्वार की पवित्रता को फिर से बहाल किया जाए, और वहां ईमानदारी और सत्य का राज स्थापित किया जाए। यह लड़ाई सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है, बल्कि आस्था और विश्वास की रक्षा की लड़ाई है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस घोटाले के जिम्मेदारों को कड़ी सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसा कोई भी कुकृत्य दोबारा न हो सके।