हरिद्वार। हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ मेला 2027 को लेकर उत्तराखंड सरकार की ओर से जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। इसके प्रचार-प्रसार में एक अहम बदलाव यह है कि इस बार इसे अर्ध कुंभ मेले के बजाय सीधे ‘कुंभ मेला’ के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, जबकि यह अर्ध कुंभ मेला ही है। 2021 में पूर्ण कुंभ मेला आयोजित किया गया था, और उसके बाद अब यह अर्ध कुंभ मेला हो रहा है, लेकिन इसके साथ जुड़ा ‘अर्ध’ शब्द पूरी तरह से हटा दिया गया है। इस परिवर्तन से साफ संकेत मिलता है कि इस बार के मेले को लेकर सरकार की तैयारी बेहद महत्वाकांक्षी और भव्य है। सरकार पहले से ही इस मेले के आयोजन की तैयारी में जुटी हुई है, और इसके लिए 2 साल पहले ही मेले के अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
इस बार हरिद्वार के इतिहास में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, क्योंकि पहली बार एक महिला अधिकारी को इस मेले का जिम्मा सौंपा गया है। सोनिका सिंह, जो वर्तमान में नागरिक उड्डयन की अपर सचिव के रूप में कार्यरत हैं, को हरिद्वार कुंभ मेला 2027 के लिए मेला अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ जैसे विशाल मेला की जिम्मेदारी एक महिला अधिकारी के कंधों पर होगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक, राज्य सरकार ने पहले भी महिलाओं को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया है, और अब सोनिका सिंह इस महत्वपूर्ण दायित्व को निभाने के लिए तैयार हैं। यह महिला नेतृत्व का प्रतीक बनकर उभरा है, जो राज्य की विकास प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहा है।
कुंभ मेला हर 12 साल में हरिद्वार में आयोजित होता है, जबकि अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल में आयोजित किया जाता है। देश में अर्ध कुंभ मेला केवल इलाहाबाद और हरिद्वार में ही आयोजित होता है, और ये दोनों ही स्थान लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इस मेले का आयोजन एक तरह से पूरी नगर व्यवस्था को चुनौती देने जैसा होता है। कुंभ मेले में देशभर से लोग गंगा में स्नान करने के लिए हरिद्वार आते हैं, और इस दौरान प्रशासन को व्यवस्थाओं का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। राज्य सरकार इस बार इस मेले को पूरी तरह से एक भव्य कुंभ नगरी के रूप में बसाने की योजना बना रही है। शाही स्नान के दौरान पेशवाई के रूप में साधु-संत भी गंगा स्नान करेंगे, जिससे इस बार के मेले को और भी आकर्षक और भव्य बनाने की तैयारी चल रही है।
इस मेला की तैयारी दो साल पहले से ही शुरू कर दी गई है, जो दर्शाता है कि सरकार इसे लेकर कितनी गंभीर है। कुंभ मेले की स्थायी और अस्थायी व्यवस्थाएं, जैसे कि सड़कें, पुल, और अन्य बुनियादी ढांचे, इस बार विशेष ध्यान से तैयार किए जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बारे में बयान दिया है कि उत्तराखंड जैसे राज्य में महिलाओं की भूमिका अहम है और उन्हें राज्य के विकास में समान रूप से योगदान करने का अवसर दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार के कुंभ मेला में जो कार्य कोरोना महामारी के कारण 2021 में पूरे नहीं हो पाए थे, उन कार्यों को इस बार भव्यता के साथ पूरा किया जाएगा।
हरिद्वार कुंभ मेला 2027 के लिए सोनिका सिंह ने अपनी प्राथमिकताएं साझा की हैं। उन्होंने मेला नियंत्रण भवन पहुंचने के बाद अधिकारियों से पूरी जानकारी ली और अपनी योजनाओं पर काम शुरू किया। उनका कहना है, “मेरी प्राथमिकता होगी कि आगामी कुंभ मेला भव्य और दिव्य रूप से आयोजित हो। इसके लिए ट्रैफिक, लॉ एंड ऑर्डर, और भीड़ प्रबंधन पर खास ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही, लंबी अवधि वाले कार्यों को समय पर पूरा किया जाएगा ताकि कुंभ मेला पूरी तरह से तैयार हो सके।” उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रयागराज की तरह हरिद्वार में भी एक भव्य आयोजन सुनिश्चित करना चाहती हैं। उनका उद्देश्य मेले को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से और भी समृद्ध बनाना है।
यह पहला मौका नहीं है जब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है, लेकिन इस बार की तैनाती और तैयारियां खास हैं। खास तौर पर, मेला अधिकारी के रूप में एक महिला की नियुक्ति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया है। हरिद्वार के कुंभ मेले का आयोजन हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रहा है, और इस बार सोनिका सिंह के नेतृत्व में इसे एक नया आयाम देने की उम्मीद जताई जा रही है। उनकी नियुक्ति ने ना केवल हरिद्वार के मेले को एक नई दिशा दी है, बल्कि यह महिला नेतृत्व का भी प्रतीक बनकर उभरा है, जो राज्य की प्रशासनिक और धार्मिक व्यवस्था को सशक्त बना रहा है। सोनिका सिंह की प्राथमिकताएं, जैसे कि ट्रैफिक प्रबंधन, लॉ एंड ऑर्डर, और भीड़ नियंत्रण, इस मेले की सफलता के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। उनकी रणनीतियां निश्चित रूप से हरिद्वार कुंभ मेला को और भी भव्य और व्यवस्थित बनाएंगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि राज्य के विकास में महिलाओं और पुरुषों दोनों की भूमिका समान रूप से महत्वपूर्ण है, और दोनों मिलकर राज्य के उज्जवल भविष्य के लिए समर्पित होकर काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि हरिद्वार के कुंभ मेले को एक नई दिशा देने के लिए महिला नेतृत्व की भूमिका अहम है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 2021 में कोरोना महामारी के कारण जो कार्य अधूरे रह गए थे, उन्हें अब पूरी ऊर्जा और समर्पण के साथ पूरा किया जाएगा। इस बार के कुंभ मेला में उन सभी कार्यों को पूरी भव्यता के साथ किया जाएगा, जो पहले संभव नहीं हो पाए थे। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हरिद्वार का कुंभ मेला न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि आयोजन की दृष्टि से भी एक ऐतिहासिक और भव्य उदाहरण बनकर सामने आए, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।