रामनगर। योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की प्रेरणा के साथ रामनगर महाविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। 21 मई से चल रहे ‘आओ हम सब योग करें’ अभियान की पूर्णता के साथ अब महाविद्यालय 21 जून को आयोजित होने वाले योग महोत्सव को एक भव्य आयोजन के रूप में प्रस्तुत करने जा रहा है। इस आयोजन को लेकर प्राचार्य एवं कार्यक्रम निदेशक प्रो. एम.सी. पांडे ने जानकारी दी कि समस्त व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं और कार्यक्रम को लेकर महाविद्यालय परिसर पूरी तरह से योगमय माहौल में तब्दील हो चुका है। कार्यक्रम की भव्यता को देखते हुए नगर के गणमान्य जनों, वरिष्ठ नागरिकों और प्रमुख अतिथियों को निमंत्रण भेजा जा चुका है। कार्यक्रम प्रातः 6 बजे महाविद्यालय ऑडिटोरियम में आरंभ होगा, जिसमें परंपरागत तत्वों के साथ आधुनिक प्रस्तुति का समावेश होगा।
योग महोत्सव के आयोजन में इस बार कुछ विशेष रंग भरने का प्रयास किया गया है। डॉ. सुमन कुमार ने बताया कि महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं जिनके योगदान से एक माह से चल रहे निःशुल्क योग शिविरों में सैकड़ों नागरिक लाभान्वित हुए हैं, उन्हें योग दिवस पर प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। कार्यक्रम को और भी आकर्षक बनाने के लिए श्री भवानी शंकर कांडपाल के बांसुरी वादन और प्रियांशु लखचौरा के वाद्य यंत्रों की सुरलहरियों के साथ योग सत्र का संयोजन किया गया है। संगीत के साथ योग की यह प्रस्तुति प्रतिभागियों को आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन का गहरा अनुभव प्रदान करेगी। वहीं योग समन्वयक डॉ. मूलचंद्र शुक्ल ने छात्र-छात्राओं को निरंतर प्रेरणा देते हुए कहा कि योग केवल शरीर का व्यायाम नहीं, बल्कि मन, आत्मा और समाज के संतुलन का माध्यम है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जिन विद्यार्थियों ने निशुल्क योग शिविरों में सेवाभाव से योगदान दिया, उनका सम्मान अनुभव प्रमाणपत्र के माध्यम से किया जाएगा।
सरकारी पहल नमामि गंगे अभियान के तहत भी इस आयोजन को विशेष सहयोग प्राप्त होगा। डॉ. नीमा राणा, जो नमामि गंगे इकाई की नोडल अधिकारी हैं, उन्होंने बताया कि इस योग महोत्सव को ष्नदियों में बहता योग, संस्कृति एवं आध्यात्मिकता का पुनीत संयोगष् के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। उनका मानना है कि गंगा जैसी पवित्र नदियों के साथ योग और भारतीय परंपरा का संगम समाज को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक ऊर्जा भी देता है। साथ ही महाविद्यालय की विभिन्न इकाइयों जैसे एनसीसी के प्रभारी लेफ्टिनेंट डॉ. डी.एन. जोशी, डॉ. कृष्णा भारती, एनएसएस इकाई के डॉ. सुरेश चंद्र और डॉ. ममता भदौला का संयुक्त सहयोग इस आयोजन को विशेष स्वरूप प्रदान करेगा। इन सभी का सामूहिक प्रयास यह सुनिश्चित करेगा कि योग दिवस सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव का सशक्त माध्यम बने।
योग की विधाओं को समर्पित इस आयोजन की तैयारी कोई सामान्य अभ्यास नहीं रही। डॉ. मुरलीधर कापड़ी ने बताया कि महाविद्यालय के योग विभाग से जुड़े छात्र-छात्राएं बीते एक माह से विशेष कार्यक्रमों की तैयारी में जुटे हुए हैं। इन विद्यार्थियों ने अपने अभ्यास के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर आयोजित शिविरों में लोगों को योग सिखाने का कार्य भी किया है। योग विभाग की यह निष्ठा दर्शाती है कि वर्तमान युवा पीढ़ी न केवल शारीरिक रूप से जागरूक है, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व को भी भलीभांति समझती है। इस दौरान ष्आओ हम सब योग करेंष् अभियान की सफलता ने महाविद्यालय को योग शिक्षा के क्षेत्र में एक सशक्त केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। इस अभियान की अंतिम कड़ी 21 जून को योग दिवस समारोह के साथ पूर्ण होगी, जो एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्यप्रद अनुभव बनकर उभरेगा।
कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. दीपक खाती ने बताया कि इस बार योग महोत्सव में भारी संख्या में आमजन भाग लेंगे, जिनका उद्देश्य केवल योग करना नहीं, बल्कि योग को अपने जीवन में अपनाना भी है। उनका कहना है कि यह आयोजन शहरी जीवन की भागदौड़ में शांति की तलाश कर रहे नागरिकों के लिए ऊर्जा का केंद्र बनेगा। बांसुरी की मधुर ध्वनि और वाद्य यंत्रों की ताल पर होने वाले योग सत्र शरीर के साथ-साथ आत्मा को भी जागृत करेगा। महाविद्यालय इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि भारत की यह प्राचीन परंपरा केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीने की कला है।
अंत में प्रो. एम.सी. पांडे ने अपनी आत्मीय भावनाओं को साझा करते हुए एक विशेष अपील की, जो न केवल एक निवेदन थी, बल्कि समूचे समाज के जागरण का संदेश भी था। उन्होंने कहा कि रामनगर के सभी नागरिकों को 21 जून को आयोजित योग दिवस के इस दिव्य आयोजन में तन-मन-धन से सहभागिता करनी चाहिए। यह केवल एक योग महोत्सव नहीं, बल्कि आत्मिक जागरूकता, मानसिक शांति और सामाजिक एकता का वह मंच है, जो जीवन को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसे एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में देखने की बजाय, इसे अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक आध्यात्मिक, नैतिक और स्वास्थ्यपूर्ण अवसर के रूप में स्वीकार करना चाहिए। योग, उनके अनुसार, केवल शारीरिक व्यायाम भर नहीं है, बल्कि यह आत्मा को सशक्त करने वाली ऊर्जा है जो हमारे अंदर संतुलन, अनुशासन और सद्भाव पैदा करती है। प्रो. पांडे का मानना है कि जब योग के साथ संगीत की मधुरता और सेवा का भाव जुड़ता है, तो समाज में न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि वह सौंदर्य, सहिष्णुता और समर्पण का प्रतीक भी बनता है। महाविद्यालय इसी भाव के साथ योग दिवस मना रहा है कि आने वाली पीढ़ियाँ न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और नैतिक रूप से भी दृढ़ बनें। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में योग ही वह साधन है, जो मानव को स्वयं से जोड़ता है और जीवन को संतुलित बनाता है।