रामनगर(एस पी न्यूज़)। उद्यमिता विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर ने हाल ही में एक बारह दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम छात्रों को उद्यमिता कौशल से सुसज्जित करने और उन्हें आत्मनिर्भर उद्यमी बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर एम.सी. पांडे ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया और विद्यार्थियों को उद्यमिता की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में उद्यमिता के महत्व पर विशेष जोर दिया और छात्रों को नवाचार की ओर उन्मुख होने की सलाह दी। यह कार्यक्रम खास तौर पर उन छात्रों के लिए है जो अपने व्यवसाय की शुरुआत करना चाहते हैं और साथ ही इसे सफलतापूर्वक चलाने के विभिन्न पहलुओं को समझना चाहते हैं। कॉलेज ने इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को उन आवश्यक कौशलों और व्यावसायिक दृष्टिकोण से परिचित कराने का प्रयास किया है जो उन्हें एक कुशल उद्यमी बनने में मदद कर सकते हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में देवभूमि उद्यमिता योजना के नोडल अधिकारी, प्रोफेसर जे.एस. नेगी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को व्यवसायिक दृष्टिकोण से सोचने की क्षमता प्रदान करते हैं और उन्हें स्व-रोजगार की ओर प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने छात्रों को यह भी बताया कि उनके क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं तैयार की हैं, जो छात्रों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती हैं। इसके बाद, मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे मनीष आर्य, जो ईडीआईआई, देहरादून के मास्टर ट्रेनर हैं, उन्होंने छात्रों को व्यवसाय की शुरुआत से लेकर उसके संचालन तक के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला। मनीष आर्य ने छात्रों को स्व-आकलन और ैॅव्ज् (ैजतमदहजीे, ॅमंादमेेमे, व्चचवतजनदपजपमे, ज्ीतमंजे) विश्लेषण के बारे में भी जानकारी दी, जिससे वे अपनी क्षमताओं को समझ सकें और बाजार में अपने उत्पादों को सही दिशा में रख सकें। उनका मानना था कि उद्यमिता में सफलता केवल अच्छी योजना बनाने से नहीं, बल्कि सही समय पर सही निर्णय लेने से आती है।

मनीष आर्य ने छात्रों को अपने उद्यमिता के विचारों को ठोस रूप में बदलने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि छात्रों को कैसे किसी व्यवसाय को शुरू करते वक्त अपने उत्पाद की पहचान, मार्केटिंग रणनीतियां, और व्यापार के लाभ-हानि की सही तरीके से योजना बनानी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी व्यवसाय को शुरू करते समय किसी समस्या का समाधान देने वाले उत्पाद को बाजार में पेश करना महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान, छात्रों को यह समझाने की कोशिश की गई कि एक अच्छे उत्पाद के साथ-साथ व्यवसाय की सफलता के लिए जोखिम लेने का मानसिकता और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति भी अत्यंत आवश्यक है। छात्रों के लिए यह एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक सत्र साबित हुआ, जिसमें उन्होंने व्यावहारिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से कई नए पहलुओं को समझा।
कार्यक्रम का आयोजन देवभूमि उद्यमिता केंद्र, रामनगर महाविद्यालय के ई.डी.आई. नोडल प्रभारी प्रोफेसर जगमोहन सिंह नेगी, डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. जे.पी. त्यागी और डॉ. प्रकाश सिंह बिष्ट के संयोजन में किया गया है। इन सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को सटीक दिशा में चलाने और छात्रों को उद्यमिता की ओर आकर्षित करने में महती भूमिका निभाई है। कार्यक्रम के दौरान, छात्रों और संकाय सदस्यों ने उद्यमिता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहरी रुचि दिखायी और सक्रिय रूप से विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ छात्रों को व्यावसायिक रणनीतियों के बारे में बताना नहीं था, बल्कि उन्हें उद्यमिता के प्रति जागरूक करना था। इस सत्र में छात्रों ने नए विचारों को समझने और उन्हें अपने व्यवसाय के विचारों में लागू करने की कोशिश की। इसके अलावा, छात्रों ने विभिन्न विशेषज्ञों से व्यक्तिगत रूप से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया और व्यावसायिक सफलता की दिशा में अपने कदम बढ़ाने की योजना बनाई।
इस बारह दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत विभिन्न विशेषज्ञ व्याख्यान, कार्यशालाएं और व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे, ताकि प्रतिभागियों को उद्यमिता के विविध पहलुओं से अवगत कराया जा सके और उनके अंदर इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने की इच्छा को और प्रोत्साहित किया जा सके। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय युवाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें अपने विचारों को सही दिशा में विकसित करने के लिए मार्गदर्शन मिलेगा। कार्यक्रम के समापन तक, छात्रों को उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक सभी जानकारी और उपकरण प्रदान किए जाएंगे। इस दौरान कार्यक्रम में डॉ. नरेश कुमार, डॉ. सुरेश चन्द्रा, डॉ. डी.एन. जोशी और अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे। इन सभी का इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान सराहनीय रहा है।