रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर में 31 मार्च को वैयक्तिक अधिकारी लक्ष्मी नारायण मठपाल को सेवानिवृत्ति के अवसर पर एक शानदार और भावुक विदाई समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के स्टाफ क्लब और शिक्षकों द्वारा एकजुट होकर उनके द्वारा महाविद्यालय में की गई सेवा के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए आयोजित किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के तमाम शिक्षकों और कर्मचारियों ने उन्हें अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह और अन्य उपहारों से नवाजा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने की, जिन्होंने लक्ष्मी नारायण मठपाल के समर्पित सेवाकाल पर एक प्रेरणादायक भाषण दिया। प्राचार्य ने कहा कि मठपाल जी का महाविद्यालय के विकास में योगदान अभूतपूर्व रहा है। उनके कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण ने महाविद्यालय की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया और उन्हें सही दिशा में चलाने में मदद की। उन्होंने महाविद्यालय में कार्यरत सभी कर्मियों को प्रेरित किया और उच्च स्तर की कार्यप्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत किया। मठपाल जी की मेहनत, ईमानदारी और कड़ी मेहनत ने महाविद्यालय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक बेहतर वातावरण तैयार हुआ। प्राचार्य ने उनकी सेवा को सराहा और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
इस दौरान, कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में स्टाफ क्लब के सदस्य डॉ. लोतिका अमित, डॉ. अलका, डॉ. जे.पी. त्यागी, डॉ. प्रमोद पाण्डे, गोविन्द मेवाडी, विजय, किशन, नन्दन रौतेला आदि ने मठपाल जी के योगदान को सराहा। इन सभी ने मिलकर उन्हें सम्मान स्वरूप अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह भेंट किए। इसके अलावा, महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक भी इस अवसर पर उपस्थित थे, जिनमें प्रो. पुनीता कुशवाहा, प्रो. जे.एस. नेगी, डॉ. सुमन कुमार, डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल, डॉ. अलका राजौरिया, डॉ. योगेश चन्द्र, डॉ. दीपक खाती, डॉ. प्रकाश चन्द्र पालीवाल, डॉ. सुभाष चन्द्र और अन्य प्राध्यापक शामिल थे।

प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने इस अवसर पर मठपाल जी के समर्पित सेवा काल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्य को हमेशा निष्ठा और ईमानदारी से निभाया। उनके योगदान से महाविद्यालय में एक उत्कृष्ट कार्यक्षेत्र का निर्माण हुआ, जिसमें छात्रों के लिए कई उपयोगी सुविधाएं प्रदान की गईं। प्रो. पाण्डे ने यह भी कहा कि मठपाल जी के सेवानिवृत्त होने से महाविद्यालय में एक बड़ी रिक्तता उत्पन्न होगी, क्योंकि उनका योगदान अनमोल था। हालांकि, उनका आदर्श और प्रेरणा महाविद्यालय के समस्त कर्मचारियों और विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करता रहेगा। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि महाविद्यालय की कार्यप्रणाली में निरंतरता बनी रहेगी और मठपाल जी के द्वारा स्थापित किए गए उच्च मानक और मूल्य आने वाले समय में भी महाविद्यालय में बनाए रहेंगे।
विदाई समारोह में मठपाल जी के परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे, जिन्होंने इस खास मौके पर उनके साथ खुशियाँ साझा कीं। मठपाल जी की पत्नी, दोनों पुत्र—जो क्रमशः एक इंजीनियर और पी.सी.एस. अधिकारी हैं—के साथ-साथ उनकी पुत्री और दामाद, जो एक प्राध्यापक हैं, ने भी इस महत्वपूर्ण अवसर पर मठपाल जी को बधाई दी। परिवार ने उनके पूरे करियर को सम्मानित करते हुए उनके योगदान को सराहा और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। मठपाल जी के परिवार के सभी सदस्य उनकी मेहनत और समर्पण को लेकर गर्वित थे। इस विदाई कार्यक्रम में उनका परिवार न केवल खुश था, बल्कि उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि मठपाल जी का भविष्य और भी उज्जवल होगा, जैसे उन्होंने अपने सेवा काल में महाविद्यालय के लिए योगदान दिया।
इस कार्यक्रम में कई सामाजिक और स्थानीय व्यक्तित्व भी शामिल हुए, जिनमें डॉ. रितु, डॉ. पवन टम्टा, आनंद बल्लभ रिखाड़ी, पी.सी. सती, जे.सी. बलौदी, धन सिंह, नागेन्द्र सिंह, राम सिंह, गोसिया खानम, किरन देवी, दर्शन सिंह, बलवन्त सिंह, मदन भारती, योगेश सती और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। विदाई समारोह के दौरान मठपाल जी के योगदान को याद करते हुए उपस्थित सभी लोगों ने उनके साथ बिताए गए समय को याद किया और उनके समर्पण और सेवा की सराहना की। समारोह के बाद महाविद्यालय परिवार ने ढोल नगाड़ों के साथ मठपाल जी को महाविद्यालय द्वार तक पहुंचाकर सम्मान प्रदान किया। यह दृश्य न केवल महाविद्यालय के लिए बल्कि मठपाल जी के लिए भी एक अविस्मरणीय पल बन गया।

समारोह के अंत में, मठपाल जी ने सभी का धन्यवाद किया और महाविद्यालय के परिवार के सभी सदस्यां के प्रति अपनी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय उनका दूसरा घर था, जहाँ उन्होंने अपने समर्पित समय में न केवल काम किया, बल्कि अनेक अच्छे मित्र और सहकर्मी भी बनाए। उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वे खुश थे कि वे अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा से कर पाए।
यह कार्यक्रम महाविद्यालय के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक बन गया है, जिसमें लक्ष्मी नारायण मठपाल जी के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके द्वारा किए गए कार्यों का असर महाविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सदैव रहेगा। मठपाल जी ने न केवल महाविद्यालय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाकर प्रेरणा का स्रोत भी बने। उनके कार्यों से महाविद्यालय में अनुशासन, समर्पण और उत्कृष्टता का माहौल बना। उनके योगदान को देखकर महाविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी आगे भी प्रेरित होते रहेंगे। मठपाल जी की सेवा और समर्पण की मिसाल आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी और महाविद्यालय के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती रहेगी।
महाविद्यालय के समस्त परिवार ने मठपाल जी को उनकी नई जीवन यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। यह विदाई समारोह महाविद्यालय में उनके योगदान को याद करने का एक सशक्त तरीका बन गया। इस प्रकार, लक्ष्मी नारायण मठपाल को सेवानिवृत्ति पर दी गई विदाई महाविद्यालय परिवार के लिए एक भावुक और प्रेरणादायक घटना बन गई।