रामनगर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के विशेष अवसर पर पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर में कार्यरत महिला प्राध्यापिकाओं और महिला कर्मचारियों ने एकजुट होकर पौधारोपण किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना ही नहीं था, बल्कि समाज में महिलाओं की शक्ति, योगदान और उनके प्रति सम्मान को भी रेखांकित करना था। इस मौके पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने महिला सशक्तिकरण का सम्मान करते हुए विभिन्न पौधों को मातृशक्ति को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि जैसे एक बीज धीरे-धीरे पोषण पाकर विशाल वृक्ष बनता है, वैसे ही महिलाएं भी अपने परिश्रम और समर्पण से समाज को नई ऊँचाइयों तक ले जाती हैं। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती मंदिर प्रांगण में गुलाब के पौधे के रोपण से हुई, जिसे स्वयं प्रो. एम.सी. पाण्डे ने रोपित किया। इस प्रतीकात्मक पहल से यह संदेश दिया गया कि महिलाओं की शक्ति और योगदान को सम्मान देते हुए हमें उनके साथ समाज को हरियाली और उन्नति की ओर अग्रसर करना चाहिए।
पौधारोपण कार्यक्रम में महाविद्यालय की कई प्रमुख शिक्षिकाओं और महिला कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रो. पुनीता कुशवाहा, प्रो. अनुमिता अग्रवाल, डॉ. लोतिका अमित, डॉ. रितु सिंह, डॉ. अलका राजौरिया, डॉ. कुसुम गुप्ता, डॉ. कृष्णा भारती, डॉ. इन्दु आर्या, डॉ. संगीता कुमारी, डॉ. रागिनी गुप्ता, डॉ. रश्मि आर्या, डॉ. मीनाक्षी नेगी, डॉ. रंजना भारती, गोसिया खानम, राधिका और किरण ने विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इन सभी ने एकमत से कहा कि पेड़-पौधों की तरह ही महिलाओं की भूमिका भी समाज में अनमोल और आवश्यक है। जिस प्रकार एक पौधा बढ़कर छाया, ऑक्सीजन और हरियाली प्रदान करता है, उसी प्रकार महिलाएं भी अपने योगदान से परिवार, समाज और राष्ट्र को आगे बढ़ाती हैं। इस मौके पर प्रो. पुनीता कुशवाहा ने विशेष रूप से एक कविता पाठ किया, जिसमें उन्होंने महिलाओं की शक्ति, संघर्ष और सफलता को खूबसूरत शब्दों में व्यक्त किया। उनकी कविता ने वहाँ मौजूद सभी लोगों को गहराई तक प्रभावित किया और महिला सशक्तिकरण की भावना को और अधिक मजबूत किया।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में महाविद्यालय के अन्य शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे। चीफ प्रॉक्टर प्रो. एस.एस. मौर्या, प्रो. जे.एस. नेगी, डॉ. प्रमोद जोशी, डॉ. सिराज अहमद, डॉ. दीपक खाती, डॉ. डी.एन. जोशी और डॉ. योगेश चंद्र भी इस आयोजन का हिस्सा बने। उन्होंने महिला दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दिन केवल महिलाओं का सम्मान करने के लिए नहीं है, बल्कि उनके संघर्ष, समर्पण और सफलता को पहचानने तथा उन्हें समान अधिकार और अवसर देने का भी अवसर है। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि महाविद्यालय की महिला प्राध्यापिकाओं और कर्मचारियों द्वारा किया गया यह पौधारोपण समाज के लिए एक प्रेरणा है, जिससे यह संदेश मिलता है कि जब महिलाएं एकजुट होती हैं, तो वे न केवल अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी अग्रणी भूमिका निभाती हैं।
इस आयोजन के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को एक साथ जोड़ने का प्रयास किया गया। महिलाओं ने जिस उत्साह और समर्पण के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया, वह यह दर्शाता है कि वे समाज में केवल सहयोगी भूमिका नहीं निभा रही हैं, बल्कि हर क्षेत्र में नेतृत्व भी कर रही हैं। यह आयोजन महाविद्यालय में एक नई परंपरा की शुरुआत करता है, जो आगे आने वाले वर्षों में और भी व्यापक रूप से मनाया जाएगा। यह पहल न केवल महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं को प्रेरित करेगी, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश देगी कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। महिला दिवस के इस प्रेरणादायक आयोजन ने एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया, जिससे महाविद्यालय का हर सदस्य प्रभावित हुआ। इस कार्यक्रम ने स्पष्ट कर दिया कि जब महिलाएं एक मंच पर एकजुट होकर कोई कार्य करती हैं, तो वे केवल एक दिन के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक समाज को प्रेरणा देती हैं। इस कार्यक्रम ने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण दोनों ही विषय आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। जिस प्रकार एक वृक्ष हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करता है, उसी प्रकार महिलाएं भी समाज को अपने ज्ञान, कौशल और आत्मनिर्भरता से समृद्ध करती हैं।
रामनगर महाविद्यालय के इस प्रेरणादायक आयोजन ने महिलाओं की शक्ति और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को एक नई पहचान दी। इस पहल ने यह साबित कर दिया कि जब महिलाएं एकजुट होती हैं, तो वे समाज में सार्थक परिवर्तन लाने की असीम क्षमता रखती हैं। इस आयोजन से सभी को यह संदेश मिला कि यदि हम अपनी मातृशक्ति का सम्मान करेंगे और उनके योगदान को मान्यता देंगे, तो हमारा समाज और पर्यावरण दोनों ही बेहतर होंगे। इस कार्यक्रम ने हर व्यक्ति को यह संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए योगदान देंगे और महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।