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महाविद्यालय में आपदा प्रबंधन कार्यशाला, छात्रों ने सीखे जीवन रक्षक गुर और बचाव तकनीकें

छात्रों ने आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों से सीखे भूकंप, आग और बचाव तकनीक, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड ने लाइव डेमो देकर बढ़ाई जागरूकता

रामनगर। जीवन अनिश्चितताओं से भरा है और किसी भी आपदा के समय सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया ही जान बचाने में सहायक हो सकती है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर में आपदा प्रबंधन पर एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर एम.सी. पाण्डे ने किया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त कर इसे अपने जीवन में अपनाने और समाज में जागरूकता फैलाने की प्रेरणा दी।

कार्यशाला में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. सिराज अहमद ने कार्यशाला के विषय में विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आए मुख्य वक्ता मास्टर ट्रेनर नवीन चन्द्र ने विद्यार्थियों को आपदा के प्रकार, आपदा न्यूनीकरण और विशेष रूप से भूकंप के दौरान क्या करें और क्या न करें, इस विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को आपदा कंट्रोल रूम के टोल-फ्री नंबर 1077 के महत्व से भी अवगत कराया, जिससे किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता प्राप्त की जा सकती है।

एसडीआरएफ से आए उपनिरीक्षक मनीष भाकुनी ने आपदा बचाव के विभिन्न उपकरणों की जानकारी दी। उन्होंने खोज और बचाव कार्यों के दौरान इन उपकरणों के सही उपयोग के बारे में भी बताया। इसके बाद अग्निशमन विभाग के गिरिवर सिंह ने अग्निशामकों के सही उपयोग और आग लगने की स्थिति में त्वरित कार्रवाई करने के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने आग से बचने और उसे नियंत्रित करने की तकनीकों को समझाया। इसके बाद एसडीआरएफ की टीम ने वास्तविक परिस्थितियों में किए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन का लाइव डेमो प्रस्तुत किया। यह प्रदर्शन छात्रों के लिए बेहद रोमांचक और ज्ञानवर्धक रहा। इसके साथ ही, फायर ब्रिगेड टीम ने अग्निशमन का डेमो देकर विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया, जिससे वे आग लगने की स्थिति में आवश्यक कदम उठा सकें।

आपदा के दौरान घायलों की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि त्वरित और सही चिकित्सा सहायता कई जानें बचा सकती है। इसी उद्देश्य से, स्वास्थ्य विभाग से आए डॉ. अंकित काण्डपाल ने कार्यशाला में छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा के महत्व और इसके सही तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न आवश्यक औषधियों के उपयोग, घायलों की पहचान और प्राथमिक उपचार के सही तरीकों पर प्रकाश डाला। डॉ. काण्डपाल ने बताया कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में घायलों को बिना देर किए किस प्रकार प्राथमिक चिकित्सा दी जाए, ताकि उन्हें स्थायी क्षति से बचाया जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने हृदयगति रुकने, अत्यधिक रक्तस्राव, हड्डी टूटने या जलने जैसी स्थितियों में तुरंत किए जाने वाले उपचारों का भी प्रदर्शन किया, जिससे छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।

इस कार्यशाला में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. कुसुम गुप्ता, डॉ. पी.सी. पालीवाल, एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट डी.एन. जोशी, लेफ्टिनेंट कृष्णा भारती, डॉ. नीमा राणा, डॉ. दीपक खाती, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी गोविंद सिंह जंगपांगी, एसडीआरएफ की एसआई भावना बिष्ट, अग्निशमन विभाग और पुलिस टीम के सदस्य भी उपस्थित रहे। इसके अलावा, एनसीसी कैडेट और बीएड प्रशिक्षु समेत लगभग 150 छात्र-छात्राओं ने इस कार्यशाला में भाग लिया और आपदा प्रबंधन के महत्वपूर्ण गुर सीखे।

कार्यशाला के दौरान छात्रों को न केवल सैद्धांतिक जानकारी मिली, बल्कि उन्हें आपदाओं से निपटने का व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त हुआ। एसडीआरएफ की टीम ने लाइव रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रदर्शन किया, जिससे छात्रों ने यह समझा कि वास्तविक आपात स्थितियों में किस प्रकार त्वरित और प्रभावी निर्णय लिए जा सकते हैं। फायर ब्रिगेड द्वारा प्रस्तुत डेमो में छात्रों को आग बुझाने की तकनीकें सिखाई गईं, जिससे वे आग लगने की स्थिति में उचित कदम उठा सकें। आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने भूकंप, बाढ़ और अन्य आपदाओं से बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी। इस व्यावहारिक अनुभव ने छात्रों की जागरूकता को बढ़ाया और उन्हें विपरीत परिस्थितियों में शांत रहकर त्वरित निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने में मदद की, जिससे वे भविष्य में आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार रहें।

कार्यशाला के समापन पर सभी छात्रों ने संकल्प लिया कि वे न केवल स्वयं आपदा प्रबंधन के बारे में जागरूक रहेंगे, बल्कि अपने परिवार, मित्रों और समाज के अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करेंगे। प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने सभी प्रशिक्षकों और विद्यार्थियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं निरंतर आयोजित की जानी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग आपदा प्रबंधन के विषय में जागरूक हो सकें।

रामनगर महाविद्यालय में आयोजित इस आपदा प्रबंधन कार्यशाला ने विद्यार्थियों को न केवल आपदाओं से बचाव के महत्वपूर्ण गुर सिखाए, बल्कि उन्हें वास्तविक परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेने और सतर्क रहने की प्रेरणा भी दी। इस तरह की कार्यशालाएं न केवल छात्रों के लिए लाभकारी हैं, बल्कि समाज को भी सुरक्षित और सतर्क बनाने में सहायक होती हैं।

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