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महापौर दीपक बाली ने सौ दिन में रच दिया विकास का इतिहास, सड़कें बनीं उड़ान की सीढ़ियां

सिर्फ वादे नहीं, जमीनी हकीकत में बदले सपने, दीपक बाली ने जनता को दिए करोड़ों के विकास कार्य, हर वार्ड में नई चमक दिखी

काशीपुर। काशीपुर की ज़मीन इन दिनों जिस तेज़ी से विकास के नक्शे पर सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो रही है, उसका सेहरा पूरी तरह से महापौर दीपक बाली के सिर बांधा जाना लाजिमी है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संरक्षण में दीपक बाली ने अपने सौ दिन पूरे होते ही ऐसा चमत्कारी काम कर दिखाया है, जिसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। एक ही दिन में 4 करोड़ 88 लाख 53 हजार रुपये की लागत से बनने वाली 15 सड़कों का भव्य शिलान्यास कर उन्होंने नगर विकास का नया शिखर छू लिया है। जबकि चंद रोज पहले ही उन्होंने महज 60 दिनों में 60 करोड़ रुपए की विकास योजनाएं जनता को समर्पित कर, काशीपुर की फिजाओं को तरक्की के इत्र से महका दिया था। उनकी यह कार्यशैली अब खुद जनता को यह महसूस करा चुकी है कि काशीपुर का भविष्य अब सपनों से नहीं, ज़मीनी हकीकतों से लिखा जा रहा है। लोगों को यह देखकर गर्व हो रहा है कि वह एक ऐसे नेता के प्रतिनिधित्व में जी रहे हैं, जिसने अपने ही कार्यकाल के अभिनंदन कार्यक्रमों में भी प्रदेश का कीर्तिमान रच दिया है—117 वैध विधि-विधान से आयोजित समारोहों समेत 286 बार जनता ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया है।

सैनिक कॉलोनी से लेकर ओम विहार, प्रेम नगर चौक से लेकर कुंडेश्वरी और शांति नगर से लेकर दुर्गा कॉलोनी तक, पूरे शहर के कोने-कोने को दीपक बाली के विकासवादी दृष्टिकोण ने इस कदर छू लिया है कि अब काशीपुर के हर मोहल्ले में न केवल नई सड़कों की बुनियाद पड़ रही है, बल्कि लोगों की उम्मीदों की इमारत भी बुलंद होती जा रही है। वार्ड नंबर एक में दर्शन सिंह रावत के घर से रामनगर-काशीपुर मार्ग तक, नरेंद्र चौधरी के घर से शिवालिक होली माउंट एकेडमी तक, यूके एनक्लेव से प्राइमरी स्कूल तक, प्रेम नगर चौक से कैलाश बिष्ट के घर तक और आगे वार्ड दो में विनोद कुमार से दिनेश चंद्र बलोदी, राजेन्द्र बिष्ट से नेगी जी के घर तक, पशुपति बिहार में मनोज सती से शिव सिंह बिष्ट और हरि सिंह रावत तक की सड़कें हों या फिर वार्ड नौ में रघुवीर सिंह से भोला, रामनाथ प्रसाद से महावीर, वार्ड तीन में बृजपाल चौधरी से सीमा तक या वार्ड 33 और 35 की गलियों में धर्म सिंह नेगी, अनिल खरबंदा, राजीव चौधरी और त्रिलोक सिंह बिष्ट के घरों तक—हर जगह दीपक बाली का नाम अब विकास की गारंटी बन चुका है। कैप्टन गोविंद सिंह रौतेला से आनंद सिंह और दीपिका लोहनी तक की सड़कों का सपना अब वाकई हकीकत की शक्ल ले रहा है। इतना ही नहीं, 18 करोड़ 60 लाख रुपये से बनने वाली 114 सड़कों का शिलान्यास पहले ही किया जा चुका है, जिनका निर्माण कार्य तेज़ी से बरसात से पहले पूरा करने की दिशा में बढ़ रहा है।

कई लोग कहते हैं कि नेता चुनाव जीतने के बाद जनता को भूल जाते हैं, लेकिन दीपक बाली ने इस बात को पूरी तरह झुठला दिया है। उनका कार्यालय अब महज़ एक ऑफिस नहीं रहा, बल्कि जनता दरबार में तब्दील हो चुका है, जहां लोग हर प्रकार की समस्याएं लेकर आते हैं। चाहे वह नगर निगम से जुड़ी हों या फिर किसी अन्य विभाग से—लोगों को यह भरोसा हो गया है कि समाधान केवल दीपक बाली के दरबार में ही मिलेगा, वह भी बिना किसी सिफारिश के। जनता की बातें ध्यान से सुनने, फोन पर स्पीकर ऑन करके अधिकारियों से जवाब तलब करने और मौके पर ही फैसले लेकर समाधान देने की उनकी शैली अब एक परंपरा बन चुकी है। रोजाना सुबह 11 बजे के बाद दीपक बाली जब अपने कार्यालय पहुंचते हैं, तो सबसे पहले वह जनता से रूबरू होते हैं। शिकायतकर्ता की आवाज़ चाहे जितनी तीखी हो, महापौर का व्यवहार उतना ही शांत और सधा हुआ रहता है। उन्होंने बार-बार यह सिद्ध किया है कि सच्चा जनप्रतिनिधि वही होता है जो जनता की पीड़ा को धैर्य से सुने और साहस से समाधान करे।

हर वार्ड के प्रति उनकी संवेदनशीलता, समस्याओं के प्रति सजगता और लोगों से मिलने-जुलने की सहजता ही उन्हें दिन-ब-दिन जनता के दिलों का राजा बना रही है। ज्ञापन लेकर आने वाले लोग केवल समस्या नहीं रखते, बल्कि इस बात से संतुष्ट रहते हैं कि उन्होंने सीधे महापौर के सामने अपनी बात रखी है और वह खुद उसकी सुनवाई कर रहे हैं। यही कारण है कि अब काशीपुर के हर कोने से एक ही स्वर सुनाई देता है—हर मसले का हल है सिर्फ़ दीपक बाली के दरबार में। इस रफ्तार को और अधिक धार देने में चौधरी समरपाल सिंह, जसवीर सिंह सैनी, मुकेश चावला, राहुल पैगिया और लवीश अरोरा जैसे समर्पित प्रतिनिधि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। ये टीम न सिर्फ योजनाओं की निगरानी करती है बल्कि हर सुझाव को फौरन अमल में लाने की रणनीति भी गढ़ती है। और यही कारण है कि काशीपुर अब सिर्फ़ शहर नहीं, बल्कि एक सुनहरे स्वप्न की जीवंत तस्वीर बन चुका है।

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