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महापौर दीपक बाली के निर्णय से चमका वैश्य गौरव, अग्रसेन चौक बनने पर समाज में उत्सव का माहौल

काशीपुर। सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उस समय दर्ज हुआ, जब नगर निगम के महापौर दीपक बाली द्वारा नगर के एक प्रमुख चौराहे का नामकरण संतशिरोमणि महाराज अग्रसेन के नाम पर किए जाने की घोषणा की गई। यह सिर्फ एक नामकरण नहीं था, बल्कि वैश्य समाज के गौरव, उनके इतिहास और समाज में उनके योगदान को सम्मान देने का एक सार्थक प्रयास बन गया। कुमाऊँ वैश्य महासभा (पंजीकृत) काशीपुर ने इस निर्णय का खुले दिल से स्वागत किया और इसे पूरे वैश्य समाज के लिए गर्व और आत्मसम्मान का प्रतीक बताया। महासभा के अध्यक्ष मनोहर गुप्ता, महामंत्री एम.पी. गुप्ता, और कोषाध्यक्ष के.सी. बंसल ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए इसे भविष्य के लिए प्रेरणास्रोत करार दिया।

यह फैसला केवल एक समाज विशेष को ही नहीं, बल्कि हर उस नागरिक को प्रेरणा देता है जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीकों को पुनर्स्थापित होते देखना चाहता है। महाराज अग्रसेन, जिन्हें भगवान श्रीराम के बड़े पुत्र कुशी की 34वीं पीढ़ी का वंशज माना जाता है, ने समाज को न सिर्फ समृद्धि का रास्ता दिखाया बल्कि मानव कल्याण और आर्थिक सशक्तिकरण का भी सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी नीतियों और कार्यों का असर आज भी समाज के आर्थिक ढांचे में महसूस किया जा सकता है। वैश्य समाज लंबे समय से नगर में उनके नाम पर किसी चौराहे के निर्माण की आकांक्षा रखता था और अब महापौर दीपक बाली के प्रयासों से यह अभिलाषा यथार्थ का रूप ले चुकी है। यह कदम न केवल समाज के सम्मान को बढ़ाने वाला है, बल्कि नगर के सांस्कृतिक परिदृश्य को भी समृद्ध करने वाला साबित होगा।

कुमाऊँ वैश्य महासभा ने अपने पत्र के माध्यम से नगर निगम के समस्त पदाधिकारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और इस बात की ओर भी संकेत किया कि भविष्य में इस प्रकार के जनकल्याणकारी और सांस्कृतिक कार्यों में महासभा सदैव सहभागी बनी रहेगी। महासभा के पूर्व अध्यक्ष एम.के. सितारा और अन्य सभी सदस्यों ने भी इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए इसे काशीपुर की ऐतिहासिक उपलब्धियों में एक नया अध्याय बताया। यह निर्णय केवल एक प्रतीकात्मक कार्रवाई नहीं, बल्कि समाज को उसकी जड़ों से जोड़ने का एक प्रयत्न है, जो नई पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का काम करेगा। इससे यह संदेश भी जाता है कि नगर प्रशासन केवल भौतिक विकास तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दायित्वों को भी उतनी ही गंभीरता से निभा रहा है।

इस निर्णय ने वैश्य समाज में नया उत्साह भर दिया है और नगरवासियों में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है। महापौर दीपक बाली के नेतृत्व में नगर निगम द्वारा उठाए गए इस कदम को हर वर्ग की सराहना मिल रही है। यह पहल यह भी साबित करती है कि जब नेतृत्व दूरदृष्टि से काम करता है, तो समाज में समरसता, गर्व और सम्मान स्वतः ही पनपते हैं। ऐसे निर्णय एक ओर जहां सामाजिक संतुलन बनाए रखते हैं, वहीं दूसरी ओर नगर की पहचान को भी नई ऊँचाई प्रदान करते हैं। नगरवासियों को अब यह गर्व रहेगा कि उनके नगर में एक ऐसा चौराहा है जो महाराज अग्रसेन जैसे महान शासक और समाजसेवी के नाम पर है, जिनकी नीतियों से आज भी लाखों लोग प्रेरणा पाते हैं।

काशीपुर में वैश्य समाज के प्रतिनिधियों ने इस ऐतिहासिक क्षण को केवल एक उपलब्धि के रूप में नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने यह ठोस संकल्प लिया कि आने वाले समय में नगर के हर विकास कार्य में वे न केवल सहयोग करेंगे, बल्कि नेतृत्वकारी भूमिका भी निभाएंगे। उनका उद्देश्य केवल समाज के हित तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समूचे नगर को संस्कार, संस्कृति और सेवा के त्रिवेणी संगम से जोड़कर एक आदर्श नगर के रूप में स्थापित करना रहेगा। इस अवसर ने प्रशासन और समाज के बीच परस्पर विश्वास, सहयोग और साझा दृष्टिकोण की जो मिसाल पेश की है, वह अन्य नगरों के लिए भी अनुकरणीय है। नगर निगम द्वारा की गई इस पहल ने यह प्रमाणित किया है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सामाजिक समर्थन एक साथ होते हैं, तब हर कल्पना साकार रूप ले सकती है। अग्रसेन चौक उसी सच्चाई का जीवंत उदाहरण है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।

संरक्षक एस.पी. गुप्ता ने इस अवसर पर कहा कि नगर के चौराहे को महाराज अग्रसेन जैसे युगपुरुष के नाम से जोड़ा जाना केवल एक प्रतीकात्मक कार्य नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक चेतना और ऐतिहासिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि अग्रसेन जी ने समाज को जिस तरह आर्थिक न्याय, समान वितरण और मानवीय मूल्यों का संदेश दिया, वह आज के दौर में और भी प्रासंगिक हो गया है। एम.पी. गुप्ता ने बताया कि वर्षों से वैश्य समाज में यह आकांक्षा रही है कि नगर में कोई ऐसा स्मारक हो जो उनकी पहचान, गौरव और परंपरा को दर्शा सके, और अब महापौर दीपक बाली के प्रयासों से यह सपना साकार हुआ है। उन्होंने इस कार्य के लिए नगर निगम और समस्त अधिकारियों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज इस निर्णय को हमेशा सम्मान और प्रेरणा के रूप में देखेगा और आने वाली पीढ़ियों को इससे दिशा मिलेगी।

महासभा के अध्यक्ष मनोहर गुप्ता ने इस दौरान कहा कि यह क्षण वैश्य समाज के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण और भावनात्मक है। उन्होंने बताया कि वर्षों से समाज की यह अभिलाषा रही है कि काशीपुर नगर में महाराज अग्रसेन जैसे महान ऐतिहासिक व्यक्तित्व के नाम पर कोई स्मारक या चौराहा स्थापित हो, ताकि समाज की नई पीढ़ी भी उनके आदर्शों और सिद्धांतों से परिचित हो सके। मनोज गुप्ता ने महापौर दीपक बाली के इस निर्णय को समाज के लिए प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि ऐसे कार्य केवल नामकरण नहीं होते, बल्कि ये पूरे समुदाय को उसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह चौराहा सिर्फ पत्थरों और नामपट्ट से नहीं बनेगा, बल्कि यह एक भावनात्मक धरोहर होगा जो समाज की चेतना में लंबे समय तक जीवित रहेगा।

महामंत्री एम.पी. गुप्ता ने इस अवसर पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि यह निर्णय न केवल वैश्य समाज के लिए गौरव का विषय है, बल्कि यह पूरे नगर के लिए प्रेरणादायक मिसाल भी है। उन्होंने कहा कि महाराज अग्रसेन जैसे महान पुरुष, जिन्होंने समाज को समानता, सेवा और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया, उनके नाम पर चौराहे का नामकरण होना एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण जैसा है। एम.पी. गुप्ता ने यह भी बताया कि दीपक बाली जैसे दूरदर्शी नेतृत्व द्वारा लिया गया यह फैसला समाज की लंबे समय से प्रतीक्षित भावना को सम्मान देने जैसा है। उन्होंने कहा कि यह चौराहा भविष्य में सिर्फ मार्गदर्शन का स्थान नहीं रहेगा, बल्कि यह स्थान युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का भी माध्यम बनेगा। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि नगर निगम आगे भी इसी प्रकार समाज के अन्य वर्गों की सांस्कृतिक आकांक्षाओं को सम्मान देगा और काशीपुर को एक समरस, सांस्कृतिक और विकासशील नगर के रूप में प्रस्तुत करेगा।

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