काशीपुर। एतिहासिक एवं पौराणिक नगरी कि सरजमीं पर उस वक्त उबाल आ गया जब खबर उड़ी कि महापौर दीपक बाली पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा के आरोपों से आहत होकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। यह सूचना आग की तरह फैली और शहर की जनता, व्यापारी, सामाजिक संगठन, मजदूर, किसान और तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते नगर निगम परिसर के बाहर जनसैलाब उमड़ पड़ा। बताया गया कि जब लोग दीपक बाली को फोन कर नगर निगम बुलाने लगे, तो वह अपने घर पर थे और आने से मना कर रहे थे, लेकिन जनता के दबाव के आगे उन्हें झुकना पड़ा। जैसे ही उनकी गाड़ी निगम कार्यालय के पास पहुंची, कुछ लोग उनकी गाड़ी के सामने लेट गए और नारेबाजी शुरू हो गईकृ“दीपक बाली संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।” इस दृश्य ने माहौल को पूरी तरह से आंदोलित कर दिया।
शहर में यह गूंज पहले कभी नहीं देखी गई थी कि जनता अपने निर्वाचित महापौर को इस तरह रोकने के लिए आगे आए। दीपक बाली ने खुद गाड़ी के आगे लेटे लोगों को उठाया और हाथ जोड़कर सभी से शांत होने की अपील की। लेकिन भीड़ का उत्साह इस कदर उफान पर था कि वह उन्हें निगम कार्यालय में ले गई, जहां पहले तो बाली अंदर जाने को तैयार नहीं हुए, मगर फिर लोगों के अनुरोध पर वह सभागार पहुंचे। वहां उपस्थित सैकड़ों लोगों ने उन्हें सुनने की जिद की। भीड़ में मौजूद व्यापारियों ने घोषणा कर दी कि यदि दीपक बाली इस्तीफा देते हैं तो वे बाजार बंद कर देंगे। यह ऐलान सुनते ही पूरा माहौल और भी गंभीर हो गया। दरअसल, दीपक बाली ने अपने शपथग्रहण के बाद शहर में साढ़े पांच सौ से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य शुरू कराया है और करोड़ों की विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है। वहीं बरसात से पहले नालों की तलीझाड़ सफाई युद्ध स्तर पर जारी है।
कुछ दिन पूर्व हरभजन सिंह चीमा, खिलेंद्र चौधरी, गुरविंदर सिंह चंडोक और राम मल्होत्रा द्वारा की गई प्रेस वार्ता में दीपक बाली पर मनमानी करने और जनता व संगठन को नजरअंदाज करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों ने बाली को गहरा आघात पहुंचाया। सूत्रों के अनुसार वह लखनऊ से सीधे नैनीताल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की समीक्षा बैठक में पहुंचे थे और संभवतः वहीं अपनी पीड़ा भी साझा की होगी। बीती रात वह काशीपुर लौटे और सुबह करीब 11 बजे इस्तीफे की खबर ने शहर को हिला कर रख दिया। नगर निगम में उमड़ी भीड़, नारों की गूंज, और जनता की आस्था ने माहौल को इमोशनल बना दिया। दीपक बाली जब मंच पर पहुंचे तो जनता के प्यार से अभिभूत होकर बोले कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके कार्यों पर इस तरह सवाल उठेंगे। वह बोले कि अगर हरभजन सिंह चीमा, जो उनके पिता तुल्य हैं, उन्हें बुलाते तो वह खुद चलकर उनके पास जाते, लेकिन जिस तरह से संगठन के लोगों को साथ लेकर उनके ऊपर आरोप लगाए गए, उससे वह अत्यंत आहत हैं।
महापौर ने जनता से कहा कि वह राजनीति नहीं सेवा में विश्वास रखते हैं और काशीपुर को नया आयाम देने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने जनता से पूछा कि क्या चार महीने में उन्होंने कोई ऐसा कार्य किया जिससे किसी को पीड़ा पहुंची हो? उन्होंने कहा कि हरभजन सिंह चीमा उनके लिए आदरणीय हैं और उनके साथ खड़े अन्य नेता भी उनके बड़े हैं, इसलिए वह टकराव नहीं चाहते। उन्होंने मंच से यह कहकर सभी को स्तब्ध कर दिया कि वह अपने पद को छोड़ने का निर्णय ले चुके हैं। मगर जैसे ही यह शब्द उनके मुख से निकले, सभागार में नारे गूंज उठेकृ“बाली जी इस्तीफा मत दो, हम आपके साथ हैं।” तभी जाट समाज के लोगों ने उन्हें पगड़ी पहनाई और दो टूक कह दिया कि वह किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे और जब तक वह यह वचन नहीं देते, कोई भी वापस नहीं जाएगा।
दीपक बाली ने भावुक स्वर में कहा कि उन्हें राजनीति से ज्यादा काशीपुर के विकास की चिंता है। उन्होंने कहा कि भाजपा में उनका आना अंतिम निर्णय था और वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे, लेकिन चाहते हैं कि संगठन, संघ और सरकार के अलावा कोई उन्हें न रोके। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने पद को लेकर अभी अंतिम निर्णय पार्टी और संघ के वरिष्ठजनों से बात करने के बाद ही करेंगे। इस बीच व्यापारियों ने चेतावनी दी कि अगर दीपक बाली इस्तीफा देते हैं तो वह बाजारों को पूरी तरह बंद कर देंगे। वैशाली गुप्ता सहित सभी पार्षदों ने स्पष्ट घोषणा की कि यदि बाली इस्तीफा देते हैं, तो वह सभी भी सामूहिक रूप से अपने पद छोड़ देंगे।
भीड़ में सरदार महेंद्र सिंह ने तर्क देते हुए कहा कि इस्तीफा उन्हें नहीं, बल्कि उन लोगों को देना चाहिए जो दीपक बाली के कार्यों में रोड़ा बन रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में मुक्ता सिंह, अशोक सक्सेना, संजय भाटिया, पंकज टंडन, शैलेंद्र शर्मा, शैलेंद्र मिश्रा, एडवोकेट महेंद्र भाटिया, सरदार निशान सिंह, रविंद्र राणा, चक्रेश जैन, मुहम्मद अशरफ सिद्दीकी, डीपी सिंह, राजीव डंपी, वीरेंद्र मिश्रा, एडवोकेट मुकेश चावला, समरपाल सिंह, नीटू चौधरी, राजू सेठी, अजय बन्नू, ललित बाली, शोभित गुड़िया, कैप्टन नेपाल सिंह नेगी, राज दीपिका, मधुर, गगन कंबोज, मनीष चावला, पूर्व सहायक नगर अधिकारी जसवीर सिंह राठी, विजय बाबी सहित हजारों लोगों की मौजूदगी रही और सभी ने एक स्वर में यही कहाकृ“दीपक बाली ही काशीपुर की उम्मीद हैं और उन्हें कोई नहीं रोक सकता।”
काशीपुर महापौर दीपक बाली ने स्पष्ट शब्दों में यह बात कहते हुए अपनी राजनीतिक मंशा और जनता के प्रति समर्पण को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी जनता के विश्वास से मिली है। और जब जनता ने चुना है, तो उनके भविष्य का निर्णय भी वही करेगी। महापौर ने बताया कि वे निगम कार्यालय सिर्फ इसलिए आए थे क्योंकि उन्हें खबर मिली थी कि आमजनता वहां पहले से मौजूद है। उन्होंने किसी से कोई संवाद नहीं किया, लेकिन वहां जनता की उपस्थिति देखकर उनका मन द्रवित हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी कार्यकर्ता या पार्टीजन से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन यह जरूर स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उनकी प्राथमिकता केवल और केवल काशीपुर का समग्र विकास है। उन्होंने कहा, “अगर मैं विकास नहीं कर सकता तो राजनीति में मेरा रहना ही व्यर्थ है।”
दीपक बाली ने उन अफवाहों का भी करारा जवाब दिया जिनमें कहा जा रहा था कि वे इस्तीफा देने वाले हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि उन्होंने कहीं भी अपने मुंह से इस्तीफे की बात नहीं की। बल्कि जो खबर मीडिया में चली कि काशीपुर आपसी प्रतिस्पर्धा की भेंट चढ़ जाएगा, उसी पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि ‘‘मैं वादा करता हूं कि काशीपुर को कभी राजनीतिक संघर्ष की भेंट नहीं चढ़ने दूंगा।” महापौर ने कहा कि काशीपुर के नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी जैसा ऊर्जावान मुख्यमंत्री है, जो केवल चार-पांच घंटे की नींद लेकर भी लगातार जनता के लिए कार्यरत रहते हैं। उन्होंने कहा कि पिछली रात की कुमाऊं समीक्षा बैठक में स्वयं मुख्यमंत्री ने काशीपुर को लेकर कई विकास योजनाओं का उल्लेख किया। दीपक बाली ने यह भी कहा कि वे धामी जी को अपना राजनीतिक मार्गदर्शक मानते हैं और उन्हीं की प्रेरणा से कार्य करते हैं।
दीपक बाली ने कहा कि उन्होंने कभी खुद को नेता नहीं माना। वे सिर्फ जनता के सेवक हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि टिकट देना पार्टी का अधिकार है, लेकिन जीत जनता के भरोसे से मिलती है। इसलिए उनका हर फैसला जनता की आवाज के अनुरूप होगा, न कि अफवाहों और मीडिया की अटकलों से। अंत में महापौर दीपक बाली ने कहा कि वे पीछे बैठे थे, लेकिन उनसे पहले ही हजारों की संख्या में सम्मानित काशीपुरवासी निगम पहुंच चुके थे-यही दर्शाता है कि जनता का समर्थन उनके साथ है। उन्होंने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं, और मेरे लिए मुख्यमंत्री जी का निर्देश सर्वाेपरि है। अगर मैं कुर्सी पर बैठा हूं, तो जनता के आदेश से बैठा हूं। और अगर जाना होगा, तो जनता ही आदेश देगी, मैं नहीं। मैं दीपक बाली हूं-काशीपुर की उम्मीद, और विकास मेरा व्रत है।”