काशीपुर। देहरादून में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर महापौर दीपक बाली द्वारा काशीपुर नगर निगम और तहसील क्षेत्र के प्रमुख स्थानों के नामकरण को लेकर सौंपे गए प्रस्ताव का असर अब ज़मीनी स्तर पर भी दिखने लगा है। इसी क्रम में आज जैन समाज काशीपुर ने नगर निगम कार्यालय पहुंचकर महापौर से औपचारिक मुलाकात की और मंडी समिति तिराहे का नाम बदलकर भगवान महावीर चौक रखने के प्रयास को सराहनीय बताया। प्रतिनिधियों ने दीपक बाली को एक धन्यवाद पत्र सौंपते हुए यह मांग भी रखी कि काशीपुर पक्काकोट से मानपुर की ओर जाने वाले मार्ग, जिसे फिलहाल कब्रिस्तान रोड के नाम से जाना जाता है, उसका नाम परिवर्तित कर तीर्थंकर महावीर मार्ग रखा जाए। इस अवसर पर समाज के प्रमुख पदाधिकारी और नगर के सम्मानित जन भी उपस्थित रहे और महापौर के इस सांस्कृतिक पहल को ऐतिहासिक बताया।

श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर पक्काकोट काशीपुर के अध्यक्ष योगेश जैन ने इस दौरान बताया कि यह मांग कोई नई नहीं है, बल्कि समाज पिछले बीस वर्षों से निरंतर यह अनुरोध करता आ रहा है कि काशीपुर में जैन समाज की भावनाओं और आस्था के अनुरूप भगवान महावीर के नाम पर कोई मार्ग या चौक हो। उन्होंने कहा कि जब महापौर दीपक बाली ने इस विषय को संज्ञान में लिया और मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मंडी तिराहे का नाम भगवान महावीर चौक करने का प्रस्ताव रखा, तो समाज को यह विश्वास हुआ कि अब वर्षों पुरानी मांग पूरी होने की दिशा में वास्तविक कदम उठाए जा रहे हैं। योगेश जैन ने यह भी कहा कि इस नामकरण से केवल समाज की भावनाओं को सम्मान नहीं मिलेगा, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक विविधता को भी एक नई पहचान देगा। यह प्रयास न केवल काशीपुर की पहचान को मजबूत करेगा बल्कि विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समरसता को भी बल देगा।
उपाध्यक्ष विकास जैन ने इस दौरान अपने विचार रखते हुए कहा कि काशीपुर में जैन समाज की वर्षों पुरानी मांग को आखिरकार आवाज़ मिली है, यह हमारे लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए शांति, अहिंसा और सत्य का प्रतीक हैं। अगर नगर में उनके नाम पर चौक और मार्ग का नामकरण होता है, तो इससे न केवल समाज की भावनाओं का सम्मान होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके आदर्शों से प्रेरणा भी मिलेगी। विकास जैन ने महापौर दीपक बाली का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने समाज की भावना को समझा और आगे बढ़कर इसे सरकार तक पहुंचाया। यह पहल काशीपुर की सांस्कृतिक पहचान को और अधिक सशक्त बनाने वाला कदम साबित होगा।

महापौर दीपक बाली ने जैन समाज के इस समर्थन और सम्मान को विनम्रता से स्वीकार करते हुए कहा कि वह सदैव काशीपुर के चहुँमुखी विकास और सांस्कृतिक समृद्धि को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम के अधीन आने वाले विभिन्न मोहल्लों और मार्गों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखने का विचार कोई राजनीतिक स्टंट नहीं, बल्कि यह समाज की भावनाओं और परंपराओं के प्रति सम्मान का प्रतीक है। दीपक बाली ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी केवल विकास की बात नहीं करती, बल्कि वह उस सनातन संस्कृति और रीति-रिवाजों को भी कायम रखने का काम करती है, जिसने देश को एकता के सूत्र में बांधे रखा है। महापुरुषों के नाम पर स्थानों का नामकरण उनकी शिक्षाओं, आदर्शों और जीवन दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का एक सकारात्मक प्रयास है, जिससे युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सके।

इस भेंट और वार्ता के दौरान जैन समाज के अन्य प्रतिनिधि भी प्रमुखता से उपस्थित रहे। कोषाध्यक्ष राजेश जैन, सचिव विनय जैन और संयोजक चक्रेश जैन के साथ-साथ शहर के जैन समाज के अन्य गणमान्य लोगो की उपस्थिति ने इस मुलाकात को विशेष महत्व दिया। सभी ने एक स्वर में यह बात दोहराई कि नामकरण केवल पहचान बदलने का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का माध्यम है। उन्होंने भरोसा जताया कि नगर निगम और शासन प्रशासन इस विषय पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेकर समाज की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करेगा। साथ ही यह उम्मीद जताई कि भविष्य में भी नगर के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों का नामकरण महापुरुषों और संतों के नाम पर किया जाएगा ताकि काशीपुर की पहचान केवल एक शहरी केंद्र के रूप में न होकर, एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित हो सके।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि महापुरुषों के नाम पर स्थानों के नामकरण को लेकर अब काशीपुर में एक सकारात्मक माहौल बन रहा है। जहां एक ओर यह पहल जनता के दिलों को छू रही है, वहीं दूसरी ओर यह सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को भी सम्मान देने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि शासन द्वारा इस प्रस्ताव को कितनी गंभीरता से लिया जाता है और किस गति से यह मांगें वास्तविकता का रूप लेती हैं। फिलहाल, काशीपुर में जैन समाज और नगर निगम के बीच यह संवाद और समर्पण की भावना शहर को एक नई सांस्कृतिक ऊर्जा प्रदान कर रही है।