हरिद्वार(एस पी न्यूज़)। धर्मनगरी में मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सूरज की पहली किरण के साथ ही श्रद्धालुओं ने गंगा तटों की ओर रुख किया और मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। हर की पैड़ी, मालवीय घाट, सुबाष घाट समेत हरिद्वार के तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भक्तों ने गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य किया। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और दक्षिणायन से उत्तरायण में परिवर्तित हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान कर तिल, खिचड़ी और वस्त्र दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। देशभर से आए श्रद्धालुओं ने आस्था और विश्वास के साथ मां गंगा के चरणों में शीश नवाया और सुख-समृद्धि की कामना की। गंगा तट पर गूंजते मंत्रोच्चार, भजन और श्रद्धालुओं की आस्था ने वातावरण को पूरी तरह से भक्तिमय बना दिया।
मकर संक्रांति का पर्व केवल गंगा स्नान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिन ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री ने बताया कि इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से उत्तरायण का शुभारंभ होता है। पुराणों के अनुसार, भीष्म पितामह ने उत्तरायण के शुभ मुहूर्त में ही अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया था। ऐसा माना जाता है कि उत्तरायण का सूर्य सभी प्रकार के कष्टों का नाश करने वाला होता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं ने तिल, गुड़, खिचड़ी और वस्त्रों का दान कर पुण्य अर्जित किया। हरिद्वार के घाटों पर साधु-संतों की संगति और भक्तों की आस्था का दृश्य अत्यंत आकर्षक और अद्भुत था। भक्तों की टोलियों ने भजन-कीर्तन करते हुए गंगा मैया की महिमा का गुणगान किया।
मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारतवर्ष में विभिन्न नामों से मनाया जाता है। कहीं इसे उत्तरायण कहा जाता है, कहीं पोंगल, तो कहीं खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इसका सार एक ही हैकृसूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का स्वागत। इस दिन देवताओं का दिन प्रारंभ हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। आज से मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि शुभ कार्यों का आयोजन शुभ माना जाता है। पंडितों के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान और दान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा घाटों पर गूंजते मंत्र और आरती ने माहौल को दिव्यता से भर दिया। हरिद्वार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने यह साबित कर दिया कि आस्था की शक्ति असीम होती है। देश के कोने-कोने से आए भक्तों ने इस अवसर पर अपनी श्रद्धा और विश्वास का परिचय दिया। भीड़भाड़ के बावजूद सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे, जिससे श्रद्धालुओं ने निर्भीक होकर गंगा स्नान का आनंद लिया।
हरिद्वार की पावन भूमि पर इस पावन अवसर पर भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर भगवान सूर्य और मां गंगा से परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्यता की प्रार्थना की। पंडितों और ज्योतिषाचार्यों ने घाटों पर श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया और उन्हें दान-पुण्य के महत्व के बारे में बताया। घाटों पर लगे मेलों और भंडारों में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और पुण्य लाभ अर्जित किया। गंगा आरती की दिव्य ज्योति और भक्तों की आस्था ने हरिद्वार को एक बार फिर से आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। यह दृश्य दर्शाता है कि आस्था और परंपराओं का संगम कितनी मजबूती से समाज को जोड़े रखता है। हरिद्वार में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का माध्यम है। श्रद्धालुओं की भीड़ और भक्तिमय वातावरण ने इस पर्व को और भी भव्य और दिव्य बना दिया।