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भावना महरा रौतेला ने पीएचडी की चमक से उत्तराखंड की शिक्षा को बनाया स्वर्णिम सितारा

सस्टेनेबल टूरिज्म पर शोध कर शिक्षा की दुनिया में लहराया परचम, भावना महरा रौतेला बनीं कुमाऊं की नई प्रेरणादायी शोध योद्धा

रामनगर। उत्‍तराखंड की धरती एक बार फिर उस घड़ी की गवाह बनी जब शिक्षा के आकाश में एक और नक्षत्र ने अपनी दमक दर्ज कराई। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर की प्रतिभाशाली शोध छात्रा भावना महरा रौतेला ने अपने दृढ़ संकल्प, अथक परिश्रम और बौद्धिक कौशल से कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर शिक्षा क्षेत्र में एक नई इबारत लिख दी है। उनकी यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय बन गई है, क्योंकि उनका शोध विषय ‘‘सस्टेनेबल टूरिज्म एज ए लाइवलीहुड ऑप्शन: ए ज्योग्राफिकल स्टडी विद स्पेशल रेफरेंस टू डिस्ट्रिक्ट अल्मोड़ा’’ न केवल प्रासंगिक है बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन आधारित जीवनयापन की संभावनाओं को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक भी है। भावना ने जिस संजीदगी और शोधपरक दृष्टिकोण से इस विषय को खंगाला है, वह इस बात का प्रमाण है कि उनके भीतर समाज और प्रकृति के संतुलन को लेकर एक गहरी समझ मौजूद है।

इस असाधारण सफर में भावना महरा रौतेला को मार्गदर्शन देने वाले गुरुवर डॉ. डी.एन. जोशी, जो राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर के भूगोल विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, उनके लिए भी यह क्षण विशेष गौरव का है। यह शोध कार्य जिस निर्देशन में पूरा हुआ, वह निर्देशन केवल अकादमिक सीमाओं तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें एक आत्मीयता, एक दृष्टिकोण और शोध के प्रति ईमानदारी की झलक थी। भावना का यह शोध कार्य जब कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में मौखिकी परीक्षा के लिए प्रस्तुत हुआ, तो उसकी अध्यक्षता प्रोफेसर आर.सी. जोशी ने की, जो विश्वविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष होने के साथ-साथ इस परीक्षा के संयोजक भी थे। उनकी उपस्थिति में हुए इस मूल्यांकन में भावना ने अपने ज्ञान, विषय पर पकड़ और प्रस्तुतिकरण से सभी को प्रभावित किया।

शोध कार्य की गुणवत्ता को परखने के लिए बतौर बाह्य परीक्षक आमंत्रित किए गए हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मोहन सिंह पंवार ने भावना के शोध को अद्वितीय बताया और इसे उत्कृष्ट स्तर का कार्य घोषित करते हुए कहा कि इस विषय पर भावना द्वारा किया गया अध्ययन पहाड़ी क्षेत्रों में सतत पर्यटन की अवधारणा को आगे बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा जैसे क्षेत्र में जीविका के सीमित संसाधनों के बीच पर्यटन को विकल्प बनाना और उसे भूगोल के दृष्टिकोण से विश्लेषित करना एक साहसिक और जरूरी कदम था, जिसे भावना ने अत्यंत जिम्मेदारी से निभाया। शोध की प्रशंसा करने वालों की सूची में डॉ. मनीषा त्रिपाठी, डॉ. मोहन लाल, डॉ. प्रकाश चन्याल, डॉ. मासूम रजा, डॉ. विनीता जोशी तथा उपस्थित अन्य शोधार्थी भी शामिल रहे जिन्होंने भावना को सजीव बधाइयों के साथ उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की।

जैसे ही यह गौरवपूर्ण समाचार रामनगर स्थित पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पहुंचा, पूरे परिसर में एक नई ऊर्जा और उत्सव का माहौल छा गया। यह खबर सिर्फ एक छात्रा की उपलब्धि नहीं थी, बल्कि पूरे महाविद्यालय के लिए एक स्वर्णिम क्षण था, जिसने हर एक शिक्षक और विद्यार्थी को गर्व से भर दिया। प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे, चीफ प्रॉक्टर प्रो. एस.एस. मौर्या, भूगोल विभाग प्रभारी डॉ. सिराज अहमद, डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. पी.सी. पालीवाल समेत समस्त प्राध्यापकगणों ने भावना महरा रौतेला को हार्दिक बधाई देते हुए उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। सभी ने एक स्वर में कहा कि भावना की यह अद्वितीय उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को शोध, नवाचार और सतत अध्ययन की दिशा में प्रेरित करेगी और यह सफलता यह साबित करती है कि अगर लगन और मार्गदर्शन सही हो तो पहाड़ की बेटियां भी शिक्षा के आकाश में सितारे बन सकती हैं।

भावना महरा रौतेला

प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने भावना महरा रौतेला की पीएचडी उपाधि प्राप्ति को महाविद्यालय के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि जब किसी शैक्षणिक संस्थान का विद्यार्थी इस प्रकार का उत्कृष्ट कीर्तिमान स्थापित करता है, तो वह न केवल संस्थान की अकादमिक प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाता है, बल्कि समाज के अन्य विद्यार्थियों के लिए भी एक जीवंत प्रेरणा बनकर उभरता है। उन्होंने कहा कि भावना की यह सफलता यह दर्शाती है कि निरंतर परिश्रम, धैर्य, और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी शैक्षणिक या व्यावसायिक शिखर को छुआ जा सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि महाविद्यालय परिवार ने इस उपलब्धि को उत्सव की तरह मनाया और अन्य छात्रों को यह संदेश दिया कि यदि मार्गदर्शन सशक्त हो और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो सफलता की कोई सीमा नहीं होतीकृबल्कि हर चुनौती एक नई संभावना में परिवर्तित की जा सकती है।

प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने बताया कि डॉ. डी.एन. जोशी निस्संदेह उस दुर्लभ श्रेणी के शिक्षकों में से हैं, जिनकी विद्वत्ता केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि वह अपने विद्यार्थियों के जीवन को दिशा देने वाली प्रेरणास्रोत बन जाती है। उन्होंने जिस समर्पण, धैर्य और सूझबूझ के साथ भावना महरा रौतेला का मार्गदर्शन किया, वह बताता है कि वे शोध निर्देशन को केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक जीवंत और नैतिक उत्तरदायित्व के रूप में लेते हैं। प्राचार्य पाण्डे ने बताया कि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर के भूगोल विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत डॉ. डी.एन. जोशी वर्षों से युवाओं को गंभीर शोध के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। उनका शिक्षण केवल कक्षा तक सीमित नहीं होता, वे छात्रों के सपनों, संघर्षों और संकल्पों के सहभागी बनते हैं। प्राचार्य पाण्डे ने बताया कि भावना की शोध यात्रा में उन्होंने हर मोड़ पर अकादमिक और भावनात्मक समर्थन दिया, जिससे भावना न केवल एक शोधार्थी बल्कि एक संवेदनशील और जागरूक नागरिक के रूप में उभरीं। उन्होने कहा कि ऐसे शिक्षक विरले ही होते हैं जो छात्रों की जिज्ञासा को निखारते हैं, और उनके भीतर भविष्य के निर्माण की लौ प्रज्वलित करते हैं। डॉ. जोशी सचमुच एक दुर्लभ खजाने की तरह हैं।

अपनी इस उपलब्धि पर भावना महरा रौतेला ने अत्यंत विनम्रता के साथ कहा कि यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि उनके गुरुजनों, माता-पिता और पूरे परिवार के आशीर्वाद और समर्थन का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि यह शोध केवल एक डिग्री हासिल करने का माध्यम नहीं था, बल्कि यह उनके लिए उत्तराखंड के ग्रामीण पर्यटन, पर्यावरण संतुलन और स्थानीय जीवनशैली को समझने तथा आगे बढ़ाने का एक मिशन बन गया था। भावना ने युवाओं से अपील की कि वे केवल डिग्री के पीछे न भागें, बल्कि ऐसे शोध कार्य करें जो समाज को दिशा दें और जनजीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करें। इस पूरे सफर में उन्होंने जिन कठिनाइयों का सामना किया, उसे उन्होंने अनुभव के रूप में स्वीकार करते हुए बताया कि सफलता का रास्ता संघर्ष से ही होकर गुजरता है।

डॉ. डी.एन. जोशी ने भावना महरा रौतेला की पीएचडी उपाधि प्राप्ति पर अपनी गहरी प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा कि यह सफलता केवल भावना की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि यह शोध के प्रति उनकी निष्ठा, अनुशासन और समर्पण का परिणाम है। उन्होंने बताया कि भावना ने कठिन परिस्थितियों में भी अपने शोध कार्य को पूरी लगन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ पूरा किया, और यह साबित किया कि यदि लगन सच्ची हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि भावना ने अपने विषय “सस्टेनेबल टूरिज्म” को केवल सिद्धांतों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसकी व्यवहारिकता को भी बारीकी से उजागर किया है, जिससे यह शोध नीतिगत स्तर पर भी उपयोगी साबित हो सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि भावना भविष्य में शोध की दुनिया में नई ऊंचाइयां छुएंगी और क्षेत्र का नाम रोशन करेंगी।

भावना की इस सफलता की गूंज अब केवल रामनगर तक सीमित नहीं रही, बल्कि समूचे कुमाऊं अंचल में इस विषय को लेकर नई चेतना जाग्रत हो रही है। जब शिक्षा केवल डिग्री प्राप्ति का साधन न होकर समाज के लिए कुछ सार्थक रचने की दिशा में बढ़े, तभी वह सच्चे मायनों में शोध कहलाता है और भावना ने इस बात को अपने कार्य से प्रमाणित किया है। उनका यह कारनामा आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, सटीक मार्गदर्शन और समाज के प्रति जिम्मेदारी के साथ जब कोई विद्यार्थी आगे बढ़ता है, तो उसके कदमों की गूंज दूर तलक सुनाई देती है।

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