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भाजपा में गुटबाजी ने बढ़ाई टेंशन अदृश्य कैंची से खतरे में कमल की जीत

रामनगर(एस पी न्यूज़)। नगर पालिका चुनाव को लेकर भाजपा प्रत्याशी मदन जोशी अपनी जीत के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी राह में पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी एक बड़ा रोड़ा बन चुकी है। भाजपा के अंदर की यह कलह, जो अब ‘कैंची’ के प्रतीक के रूप में उभरी है, मदन जोशी की उम्मीदों को कमजोर कर रही है। यह कैंची कोई सामान्य प्रतीक नहीं है, बल्कि भाजपा के असंतुष्ट नेताओं द्वारा लगाई जा रही वह गहरी चोट है, जो धीरे-धीरे पार्टी के भीतर के मतों को काटने में लगी हुई है। मदन जोशी जब चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कमल के चुनाव चिन्ह पर वोट देने की अपील कर रहे होते हैं, तब उनके पीछे कुछ असंतुष्ट भाजपा नेता कैंची के साथ उनका खेल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं। भाजपा के भीतर के विवाद और असंतोष का यह प्रतीक पूरी तरह से पार्टी के लिए मुश्किलों का कारण बन चुका है।

इस गुटबाजी ने भाजपा के भीतर की राजनीति को प्रभावित किया है और पार्टी के प्रत्याशी मदन जोशी को असंस्कारित परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा में गहरे असंतोष के चलते पार्टी के भीतर कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खुले तौर पर बगावत तो नहीं की है, लेकिन उनकी नाराजगी का असर चुनावी परिणामों पर साफ दिखाई दे रहा है। इन असंतुष्ट नेताओं के हाथों में कैंची के प्रतीक के माध्यम से मदन जोशी के वोट काटने का अभियान चल रहा है। इस कैंची का उद्देश्य केवल निकाय चुनाव में वोट काटना नहीं है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी यह भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकती है। भाजपा के भीतर यह गुटबाजी केवल एक चुनावी रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में यह पार्टी की रणनीतियों को प्रभावित करने के लिए तैयार बैठी है।

रामनगर के निकाय चुनाव को भाजपा के भीतर की गहरी राजनीति के आईने के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी के भीतर चल रही यह गुटबाजी और नाराजगी भाजपा के लिए सिरदर्द बन चुकी है, क्योंकि असंतुष्ट नेता खुले तौर पर बगावत न करते हुए धीरे-धीरे वोटों को काटने में लगे हैं। यह कैंची का प्रतीक दर्शाता है कि भाजपा के भीतर एक गहरी असंतोष की लहर है, जो पार्टी के चुनावी अभियान को मुश्किल बना रही है। भाजपा ने यह चुनाव नगर पालिका के एक साधारण चुनाव के रूप में देखा था, लेकिन अब यह चुनाव पार्टी के भीतर की टूट-फूट और गुटबाजी को जोड़ने की परीक्षा बन चुकी है। क्या पार्टी इन असंतुष्ट नेताओं के प्रभाव को नकार पाएगी, या फिर इन अदृश्य कैंचियों के कारण भाजपा को नुकसान होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

विपक्षी दल इस मौके का भरपूर लाभ उठाने में जुट गए हैं। कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार इस अंदरूनी संघर्ष को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वे यह बताने में लगे हैं कि भाजपा के भीतर गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है, और इसे जनता के सामने उजागर कर रहे हैं। इन असंतुष्ट नेताओं का धीरे-धीरे खेल शुरू हो चुका है, और अब यह बात सार्वजनिक रूप से सामने आ चुकी है कि पार्टी के भीतर कोई गहरी फूट है। कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी इस स्थिति को अपनी राजनीति में भुनाने के लिए तैयार हैं, ताकि वे भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकें।

जानकारों का कहना है कि यह कैंची केवल नगर पालिका चुनाव तक ही सीमित नहीं रहेगी। भाजपा के भीतर असंतोष और गुटबाजी का यह मामला 2027 के विधानसभा चुनाव तक चल सकता है। अगर पार्टी अपने अंदर की समस्याओं का समाधान नहीं करती, तो आने वाले चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। रामनगर का यह चुनाव केवल एक निकाय चुनाव नहीं, बल्कि भाजपा के आंतरिक संघर्ष और उसकी राजनीतिक स्थिति का परीक्षण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस स्थिति से कैसे निपटेगी और मदन जोशी अपनी पार्टी के भीतर की इस गहरी गुटबाजी से खुद को और अपने वोटों को कैसे बचाएंगे। क्या भाजपा अपनी पार्टी के अंदर की दरारों को भरने में सफल होगी, या फिर पार्टी का समर्थन कमजोर पड़ जाएगा, यह समय ही बताएगा।

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