रामनगर। कार्बेट टाइगर रिजर्व के भीतर मंगलवार की सुबह उस समय सनसनी फैल गई जब कालागढ़ रेंज के अंतर्गत आने वाली धारा ब्लॉक की लक्कड़घाट बीट में वन विभाग की टीम को गश्त के दौरान मैग्जीन सोत क्षेत्र में दो बाघ शावकों के सड़े-गले शव मिले। जंगल के उस सन्नाटे में जब टीम कॉम्बिंग कर रही थी, तब उन्हें पहले एक शावक का शव दिखाई दिया, जिसकी हालत देखकर हर कोई सन्न रह गया। शव पूरी तरह से सड़-गल चुका था, दांत, नाखून, हड्डियाँ और खाल सब कुछ विघटित अवस्था में थे। क्षेत्र की बारीकी से तलाशी लेने पर इसी मैग्जीन सोत क्षेत्र के दूसरे छोर पर एक और शव बरामद हुआ, जिसकी स्थिति पहले शव से कुछ अलग नहीं थी। इस रहस्यमयी घटना ने वन विभाग की चिंताओं को और गहरा कर दिया है क्योंकि दोनों शवों के पास नर बाघ के पगचिह्न पाए गए हैं, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि संभवतः इन शावकों की जान किसी अन्य नर बाघ ने ली है।
घटना के सामने आते ही वन विभाग की गतिविधियों में तेजी आ गई और पूरी टीम ने क्षेत्र में सघन गश्त तथा कॉम्बिंग अभियान छेड़ दिया। इन शवों के पास किसी भी तरह की संदिग्ध वस्तु या गतिविधि का कोई चिन्ह नहीं मिला, जिससे तस्करी या शिकार की आशंका को फिलहाल नकारा गया है। लेकिन बाघों की इस आपसी लड़ाई में दो मासूम शावकों की मौत ने जंगल की पारिस्थितिकी व्यवस्था को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। जानकारी मिलते ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया गया और वन्यजीव एसओपी के अनुसार घटनास्थल पर ही पूरी प्रक्रिया अपनाते हुए दोनों शावकों के शवों का पोस्टमॉर्टम कराया गया। पोस्टमॉर्टम के बाद शवों का वहीं पर निस्तारण कर दिया गया ताकि किसी प्रकार का संक्रामक फैलाव या शिकारी गतिविधि की संभावना न रहे।
इस पूरी प्रक्रिया में वन्यजीव चिकित्सा पैनल के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजीव कुमार व डॉ. हिमांशु पांडे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों ने विभागीय अधिकारियों की निगरानी में और गैर-सरकारी संगठनों की मौजूदगी में पूरे जांच कार्य को संपन्न किया। इस घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए मौके पर उप निदेशक राहुल मिश्रा और उप प्रभागीय वनाधिकारी बिंदर पाल भी स्वयं उपस्थित रहे। टाइगर कंज़र्वेशन फाउंडेशन से जुड़े ए. जी. अंसारी और WWF से फैजान अंसारी ने भी घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल मौके पर पहुँचकर पूरी स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान वन क्षेत्राधिकारी मनीष कुमार सहित वाइल्डलाइफ वेलफेयर फाउंडेशन के वीरेंद्र अग्रवाल तथा स्थानीय एनजीओ के अन्य सदस्य, वन दरोगा और आरक्षीगण भी मौके पर मौजूद रहे, जिन्होंने घटनास्थल को पूरी तरह से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।

उप निदेशक राहुल मिश्रा ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मैग्जीन सोत क्षेत्र में दो बाघ शावकों के सड़े-गले शवों का मिलना कार्बेट टाइगर रिजर्व के लिए अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि वन विभाग की टीम नियमित गश्त और कॉम्बिंग के दौरान जब घटनास्थल पर पहुँची तो शवों की हालत देखकर यह स्पष्ट था कि यह घटना कुछ दिन पुरानी है। दोनों शवों के पास नर बाघ के पगचिह्न मिले हैं, जिससे यह आशंका है कि संभवतः क्षेत्रीय संघर्ष के चलते इन मासूम शावकों की मौत हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि घटनास्थल पर किसी प्रकार की संदिग्ध वस्तु या अवैध गतिविधि के चिन्ह नहीं पाए गए हैं। मिश्रा ने कहा कि विभाग द्वारा पूरे मामले की गहन जांच कराई जा रही है और हर पहलू से इसे परखा जाएगा ताकि स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सके।
वन विभाग द्वारा पूरे घटनाक्रम की बारीकी से जांच की जा रही है और विशेषज्ञों की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वास्तव में इन दोनों शावकों की मौत का कारण क्या रहा। हालांकि प्रारंभिक अनुमान यही दर्शा रहे हैं कि नर बाघों के बीच आपसी संघर्ष ही इन मौतों की वजह बना है, लेकिन विभाग किसी भी संभावना को नजरअंदाज नहीं करना चाहता। जंगल के इस रहस्यमयी वातावरण में दो शावकों की दर्दनाक मौत ने वन विभाग को चौकन्ना कर दिया है और आने वाले दिनों में ऐसे मामलों से निपटने के लिए सुरक्षा व सतर्कता के स्तर को और भी ऊँचा उठाया जाएगा। यह घटना सिर्फ एक दुखदायी मौत की कहानी नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि जंगल के भीतर एक अदृश्य संघर्ष लगातार चल रहा है, जिसका असर न केवल वन्यजीवों की संख्या पर पड़ रहा है बल्कि जंगल की जैव विविधता को भी चुनौती दे रहा है।