spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडबयान पर बवाल, प्रेमचंद अग्रवाल ने छोड़ा मंत्री पद, हमलावर हुई विपक्ष

बयान पर बवाल, प्रेमचंद अग्रवाल ने छोड़ा मंत्री पद, हमलावर हुई विपक्ष

जनता के दबाव में प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा, कांग्रेस ने बताया अहंकार की हार, सरकार पर बढ़ा विपक्ष का प्रहार

देहरादून(सुरेन्द्र कुमार)। देहरादून की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला जब धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले 22 दिनों से उनके विवादास्पद बयान को लेकर जनता के बीच जबरदस्त आक्रोश था, जो अब उनके इस्तीफे के रूप में सामने आया है। 16 मार्च को प्रेमचंद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। उनके इस कदम के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में बयानबाजी तेज हो गई है।

जनता के भारी विरोध और निरंतर दबाव के बाद आखिरकार प्रेमचंद अग्रवाल को अपने पद से हटना पड़ा। रविवार दोपहर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने खुद अपने इस्तीफे का ऐलान किया और कुछ समय बाद मुख्यमंत्री से मिलकर इसे औपचारिक रूप से सौंप दिया। इस्तीफे से पहले वे मुजफ्फरनगर के शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारियों को नमन किया। लेकिन उनका यह भावनात्मक कदम भी भाजपा के भीतर उथल-पुथल को रोक नहीं सका। भाजपा खेमे में जहां इसे अप्रत्याशित घटनाक्रम माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे प्रायश्चित का एक रूप बता रही है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब अहंकार सिर चढ़कर बोलता है, तो उसका यही अंजाम होता है। रावत ने सीधे-सीधे भाजपा के प्रदेश नेतृत्व पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सिर्फ प्रेमचंद अग्रवाल का अहंकार नहीं था, बल्कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और कुछ अन्य नेताओं का अहंकार भी जल्द ही जनता के सामने बेनकाब होगा। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के विवादास्पद बयान को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि उत्तराखंड की जनता इस बयानबाजी को माफ नहीं करेगी।

इस घटनाक्रम पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे को जनता की जीत बताया और कहा कि उत्तराखंड उन आंदोलनकारियों की भूमि है, जिन्होंने शहादत दी, जेल गए, प्रताड़नाएं सही और अब उनके अपमान को जनता सहन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद अग्रवाल को अंततः जनता के गुस्से के आगे झुकना पड़ा और इस्तीफा देकर अपनी गलती का प्रायश्चित किया। माहरा ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक शुरुआत है, आने वाले समय में जनता भाजपा को इस अपमान का सही जवाब देगी।

इस बीच, उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी इस प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ किया कि यह लड़ाई सिर्फ प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे तक सीमित नहीं रहेगी। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को भी जनता से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि वे भी इस पूरे घटनाक्रम में प्रेमचंद अग्रवाल का समर्थन कर रहे थे। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने जनता को धमकाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्हें भी माफी मांगनी होगी। जब तक ये सभी नेता अपने कृत्य पर जनता से माफी नहीं मांगते, तब तक कांग्रेस की यह लड़ाई जारी रहेगी।

प्रेमचंद अग्रवाल का यह इस्तीफा उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़े मोड़ की ओर संकेत कर रहा है। जनता के दबाव के आगे सत्ता को झुकना पड़ा, और कांग्रेस इसे अपनी बड़ी जीत के रूप में देख रही है। भाजपा के अंदर भी इस घटना को लेकर खलबली मची हुई है और अब आगे के राजनीतिक समीकरण किस दिशा में जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। इस इस्तीफे ने प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद भाजपा को राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। वहीं, कांग्रेस इस मौके को भुनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह केवल शुरुआत है और अब उनकी अगली लड़ाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य भाजपा नेताओं को जनता के सामने झुकाने की होगी।

भाजपा खेमे में इस इस्तीफे को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पार्टी के अंदर कुछ नेताओं का मानना है कि यह इस्तीफा विपक्ष के दबाव में लिया गया कदम था, जबकि कुछ इसे पार्टी की छवि को बचाने के लिए आवश्यक मान रहे हैं। हालांकि, भाजपा अभी इस मामले पर खुलकर कुछ नहीं कह रही, लेकिन इतना तय है कि पार्टी के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है।

कांग्रेस इस पूरे प्रकरण को जनता की जीत बताकर भाजपा के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए है। प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद पार्टी के नेताओं ने कहा कि भाजपा के अन्य विवादित नेताओं को भी जनता के गुस्से का सामना करना होगा। इस इस्तीफे के बाद अब भाजपा को अपने नेताओं के बयानों पर लगाम लगानी होगी, ताकि आने वाले चुनावों में इसे कोई और बड़ा नुकसान न उठाना पड़े।

इस घटनाक्रम के बाद उत्तराखंड की राजनीति में हलचल और तेज हो गई है। भाजपा इस इस्तीफे को किस तरह से संभालती है और कांग्रेस इसे कितना भुना पाती है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा उत्तराखंड की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!