रामनगर। उत्तराखंड में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के दो प्रमुख कार्यकर्ता आशुतोष नेगी और आशीष नेगी की गिरफ्तारी ने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। दोनों कार्यकर्ताओं को फर्जी मुकदमों में फंसाकर देहरादून प्रशासन द्वारा जेल भेजे जाने के खिलाफ विभिन्न जन संगठनों से जुड़े लोगों ने लखनपुर चुंगी पर जोरदार प्रदर्शन किया और उत्तराखंड सरकार का पुतला दहन कर कड़ा विरोध जताया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार न्याय की लड़ाई लड़ने वालों को कुचलने का प्रयास कर रही है और वीवीआईपी के नामों को छिपाने के लिए राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह कार्रवाई जनता की आवाज दबाने और अंकिता हत्याकांड के असली दोषियों को बचाने के लिए की गई है।
राज्य में उभरते विरोध की झलक राज्य आंदोलनकारी निर्माण मंच द्वारा लखनपुर स्पोर्ट्स क्लब में आयोजित बैठक में भी देखने को मिली। इस बैठक का संचालन उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी ने किया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बैठक में वक्ताओं ने आशुतोष नेगी और आशीष नेगी की तत्काल रिहाई की मांग की और सरकार की तानाशाही नीतियों पर कड़ा प्रहार किया। उनका कहना था कि सरकार विरोध की हर आवाज को कुचलना चाहती है और सत्ता में बैठे लोग जनता के मुद्दों को दरकिनार कर केवल धार्मिक ध्रुवीकरण में लगे हुए हैं।
आंदोलनकारी चंद्रशेखर जोशी और प्रभात ध्यानी ने सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उत्तराखंड में न्याय की आवाज को दबाने का शर्मनाक प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आशुतोष नेगी और आशीष नेगी जैसे कार्यकर्ताओं को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजना यह साबित करता है कि सरकार जनता के असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए दमनकारी रणनीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीवीआईपी के नाम छिपाने की कोशिश हो रही है, और जो भी लोग इस हत्याकांड में निष्पक्ष जांच और दोषियों की सजा की मांग कर रहे हैं, उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल दो कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का मामला नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय की लड़ाई है। अगर सरकार ने जल्द ही गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा नहीं किया, तो जनता सड़कों पर उतरकर इसका कड़ा जवाब देगी। उन्होंने उत्तराखंड की जनता से सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जो समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। वहीं, पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जैसे नेता लगातार देसी-पहाड़ी और राज्य आंदोलनकारियों को लेकर भड़काऊ और आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं, जिससे राज्य में सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा बढ़ गया है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार ‘बांटो और राज करो’ की नीति पर काम कर रही है और विरोध करने वालों को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा जा रहा है।
बैठक में शामिल सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि सरकार जिस तरह से लोकतांत्रिक आवाजों को दबा रही है, वह किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने उत्तराखंड की जनता से सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आशुतोष नेगी और आशीष नेगी की रिहाई का मामला नहीं, बल्कि राज्य के हर उस नागरिक की आवाज का सवाल है, जो सत्ता के खिलाफ सच बोलने का साहस करता है। वक्ताओं ने मांग की कि सरकार तत्काल दोनों कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा करे और अंकिता भंडारी हत्याकांड के असली दोषियों के नाम उजागर कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
इस विरोध प्रदर्शन और बैठक में राज्य आंदोलनकारी चंद्रशेखर जोशी, प्रभात ध्यानी, पुष्कर दुर्गापाल, पीसी जोशी, रोहित रूहेला, मुनीश कुमार, इंदर सिंह मनराल, योगेश सती, अनिल अग्रवाल, रवि, आसिफ, तुलसी छिम्बाल, सरस्वती जोशी, कौशल्या, कमला जोशी, सुमित्रा बिष्ट, गोविंद सिंह बिष्ट, तहसीन खान टी.के., नवीन नैथानी, गोपाल असनोडा, सुमित, रईस अहमद, शेर सिंह लटवाल, पान सिंह नेगी, सुनील पर्नवाल, प्रयाग दत्त तिवारी, शैलेश तिवारी, गणेश पंत सहित कई अन्य प्रमुख कार्यकर्ता और समाजसेवी शामिल रहे। इस प्रदर्शन और बैठक के बाद यह साफ हो गया है कि अगर सरकार ने आशुतोष नेगी और आशीष नेगी की रिहाई जल्द नहीं की, तो राज्य में बड़े पैमाने पर उग्र विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।