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प्रणव चौंपियन और उमेश कुमार के बीच फायरिंग केस, हाईकोर्ट ने लिया स्वतरू संज्ञान, सख्त कार्रवाई के दिए निर्देश

उत्तराखंड में बाहुबलियों की गोलाबारी हाईकोर्ट ने लिया सख्त संज्ञान देवभूमि की छवि बचाने के दिए कड़े आदेश

नैनीताल(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड में दो शक्तिशाली नेताओं के बीच हुई गोलाबारी की घटना इन दिनों सुर्खियों में है। यह घटना राज्य की छवि को लेकर गंभीर सवाल उठा रही है। रुड़की में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक प्रणव सिंह चौंपियन के बीच हुई ताबड़तोड़ गोलीबारी ने राज्य को हिलाकर रख दिया है। इस मामले पर अब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

यह घटना 25-26 जनवरी की रात को रुड़की के एक हाई-प्रोफाइल इलाके में हुई थी, जब दोनों नेताओं के बीच एक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। गोलीबारी का वीडियो सोशल मीडिया और राष्ट्रीय समाचार चौनलों पर वायरल हो गया, जिसने राज्य सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। इस घटनाक्रम को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने चिंता जताई है और आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की दिशा में कई अहम कदम उठाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ के अवकाशकालीन न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने इस मामले पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि देवभूमि में इस तरह का बाहुबली प्रदर्शन न केवल शर्मनाक है, बल्कि इसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने इसे उत्तराखंड की छवि के लिए खतरे के रूप में देखा और निर्देश दिए कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।

विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक प्रणव चौंपियन के बीच इस गोलीबारी के बाद दोनों नेताओं पर कार्रवाई की गई है। प्रणव चौंपियन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि उमेश कुमार को जमानत मिल गई है। इसके अलावा, दोनों के हथियारों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए हैं और उनकी लग्जरी गाड़ियों को सीज कर दिया गया है। प्रशासन ने दोनों नेताओं के खिलाफ कई मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी है और उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा समीक्षा की जा रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जवाब तलब किया। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट शपथ पत्र के साथ अदालत में प्रस्तुत की जाए।

मंगलवार को जिलाधिकारी और एसएसपी हरिद्वार ने कोर्ट में पेश होकर मामले की जानकारी दी। जिलाधिकारी ने बताया कि दोनों नेताओं के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में कुल 19-19 मुकदमे लंबित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार इस समय दोनों नेताओं की सुरक्षा समीक्षा कर रही है और यह संभव है कि उनकी सुरक्षा पूरी तरह से हटा दी जाए। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तिथि 12 फरवरी निर्धारित की है। साथ ही, हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। आरोपियों के खिलाफ चल रहे मुकदमों, उनके आपराधिक रिकॉर्ड और इस गोलीबारी की घटना का वीडियो क्लिप भी कोर्ट में पेश करने को कहा गया है।

उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस कदम से यह साफ हो गया है कि राज्य में किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधियों या राजनीति में अपराधीकरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस घटना ने न केवल राज्य सरकार को झकझोरा है, बल्कि पूरे राज्य में कानून व्यवस्था के मसले को भी फिर से ताजा कर दिया है। यह घटना यह सवाल उठाती है कि क्या उत्तराखंड में राजनीति का अपराधीकरण गहरी जड़ें जमा चुका है, और क्या इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने का समय अब आ चुका है। राजनीतिक दलों के बीच हो रही आपसी रंजिशें और बढ़ते बाहुबली प्रभाव को लेकर राज्य में गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है। हालांकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट के सख्त आदेश से यह उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य सरकार अब इस मामले में गंभीर कदम उठाएगी और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने में कोई कोताही नहीं बरतेगी।

अब देखना यह होगा कि नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के बाद प्रशासन किस तरह से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करता है और क्या यह घटना राज्य की राजनीति में सुधार की दिशा में एक कदम साबित होती है। इस बीच, प्रदेश की जनता भी इस मामले पर नजर बनाए रखेगी, क्योंकि यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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