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पी.एन.जी. कॉलेज रामनगर में सात दिवसीय एनएसएस शिविर का भव्य समापन समाज सेवा का संकल्प

स्वच्छता अभियान से लेकर सांस्कृतिक संध्या तक एनएसएस शिविर में दिखी युवा ऊर्जा समाज सेवा और जागरूकता के संकल्प के साथ हुआ समापन

रामनगर। पी.एन.जी. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर में राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) इकाई द्वारा आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर का समापन रंगारंग कार्यक्रमों और प्रेरणादायक सत्रों के साथ हुआ। इस शिविर के दौरान स्वयंसेवकों ने न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त होने की दिशा में कार्य किया, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व को भी आत्मसात किया।

शिविर के सप्तम दिवस का शुभारंभ 30 मार्च 2025 को प्रातःकालीन सत्र में योगासन, प्राणायाम और प्रार्थना के साथ किया गया। स्वयंसेवकों ने लक्ष्य गीत गाकर शिविर के उद्देश्यों को पुनः दोहराया और समाज सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ किया। योग और प्राणायाम के अभ्यास से स्वयंसेवकों ने मानसिक एवं शारीरिक संतुलन बनाए रखने का संदेश ग्रहण किया।

शिविर के श्रम सत्र में स्वयंसेवकों ने ग्राम करनपुर क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया। इसके तहत विद्यालय परिसर एवं आसपास के क्षेत्रों की साफ-सफाई की गई। इस अभियान का उद्देश्य केवल स्वच्छता बनाए रखना ही नहीं था, बल्कि स्थानीय समुदाय को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना भी था। स्वयंसेवकों ने ‘स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत’ का नारा लगाते हुए ग्रामीणों को स्वच्छता के महत्व को समझाया।

शिविर के बौद्धिक सत्र में विभिन्न विद्वानों और शिक्षकों ने स्वयंसेवकों को प्रेरित किया और समाज व शिक्षा के प्रति उनकी जिम्मेदारी को समझाया। इस दौरान वक्ताओं ने आत्मविकास, लक्ष्य निर्धारण और सतत सीखने के महत्व पर जोर दिया। उमेश लाल जी, प्रवक्ता, राजकीय इंटर कॉलेज, करनपुर, ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि छात्र जीवन में ही अपने लक्ष्य को निर्धारित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एक स्पष्ट दृष्टिकोण और निरंतर परिश्रम से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने छात्रों को अपने सपनों को साकार करने के लिए अनुशासन और समर्पण के साथ मेहनत करने की प्रेरणा दी। देवेंद्र सिंह नेगी, प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज, करनपुर, ने स्वयंसेवकों को ऊर्जावान बने रहने और जीवन के हर पड़ाव में सीखते रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि प्रकृति सबसे बड़ी शिक्षक है, जिससे निरंतर कुछ न कुछ नया सीखा जा सकता है। उन्होंने छात्रों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया।

शिविर के बौद्धिक सत्र में विभिन्न विद्वानों और शिक्षकों ने स्वयंसेवकों को प्रेरित किया और समाज व शिक्षा के प्रति उनकी जिम्मेदारी को समझाया। इस दौरान वक्ताओं ने आत्मविकास, लक्ष्य निर्धारण और सतत सीखने के महत्व पर जोर दिया। उमेश लाल जी, प्रवक्ता, राजकीय इंटर कॉलेज, करनपुर, ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि छात्र जीवन में ही अपने लक्ष्य को निर्धारित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एक स्पष्ट दृष्टिकोण और निरंतर परिश्रम से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने छात्रों को अपने सपनों को साकार करने के लिए अनुशासन और समर्पण के साथ मेहनत करने की प्रेरणा दी। देवेंद्र सिंह नेगी, प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज, करनपुर, ने स्वयंसेवकों को ऊर्जावान बने रहने और जीवन के हर पड़ाव में सीखते रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि प्रकृति सबसे बड़ी शिक्षक है, जिससे निरंतर कुछ न कुछ नया सीखा जा सकता है। उन्होंने छात्रों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया।

वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुरेश चंद्रा ने सात दिवसीय विशेष शिविर के सफल आयोजन पर सभी स्वयंसेवकों को बधाई दी और उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी को समझने और उसे निभाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। स्वयंसेवकों ने इस शिविर के माध्यम से न केवल सेवा भाव को आत्मसात किया, बल्कि स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, जागरूकता और सामुदायिक विकास जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्होंने आगे कहा कि समाज सेवा का यह जज्बा केवल शिविर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे जीवनभर अपनाना चाहिए। उन्होंने सभी स्वयंसेवकों को भविष्य में भी इसी ऊर्जा और समर्पण के साथ सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। अंत में, उन्होंने शिविर की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और ऐसे प्रयासों को निरंतर जारी रखने का आह्वान किया।

वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुरेश चंद्रा ने सभी स्वयंसेवकों को धन्यवाद ज्ञापित किया और उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों, जन जागरूकता रैलियों एवं स्वच्छता अभियानों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवा का कार्य केवल शिविर तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए।

सांध्यकालीन सत्र में स्वयंसेवकों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें कुमाऊनी नृत्य, लोकगायन और नाट्य मंचन प्रमुख आकर्षण रहे। इन प्रस्तुतियों ने उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया और दर्शकों को पहाड़ी जीवनशैली की झलक दिखाई। स्वयंसेवकों ने लोकगीतों और पारंपरिक नृत्य के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति, रीति-रिवाज और पर्वतीय जनजीवन को बखूबी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में कुमाऊनी, गढ़वाली और हिंदी गीतों पर प्रस्तुत नृत्य ने माहौल को उल्लासमय बना दिया। वहीं, सामाजिक संदेशों से ओतप्रोत नाट्य मंचन ने समाज में जागरूकता लाने की पहल की। स्वयंसेवकों की प्रस्तुतियों को देखकर अतिथियों और दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहना की। इस सत्र ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ने और उसे आगे बढ़ाने का संदेश भी दिया। पूरे आयोजन में जोश, उमंग और समर्पण की झलक दिखी, जिससे कार्यक्रम में उपस्थित सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ममता भदोला जोशी ने किया। उन्होंने शिविर में आए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और उनके मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने स्वयंसेवकों को भविष्य में भी समाज सेवा के लिए तत्पर रहने की प्रेरणा दी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में हर्षित, रितेश, जितेंद्र, सूरज, गोविंद एवं करण जोशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके अथक प्रयासों के कारण शिविर ने अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा किया। सात दिवसीय विशेष शिविर में स्वयंसेवकों ने विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लिया, जिससे न केवल उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ, बल्कि समाज सेवा का गहरा अनुभव भी प्राप्त हुआ। स्वच्छता अभियान के तहत स्वयंसेवकों ने सार्वजनिक स्थलों की सफाई की और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। जन जागरूकता रैली के माध्यम से सामाजिक मुद्दों जैसे पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और स्वास्थ्य पर संदेश फैलाया गया।

पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पौधारोपण और जल संरक्षण पर कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। स्वास्थ्य एवं पोषण के अंतर्गत स्वास्थ्य जांच शिविर और संतुलित आहार पर जानकारी दी गई। महिला सशक्तिकरण पर आयोजित सत्र में महिलाओं के अधिकारों और स्वरोजगार के अवसरों पर चर्चा हुई। इसके अलावा, शिक्षा और करियर मार्गदर्शन हेतु विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग सत्र रखे गए। इस शिविर ने युवाओं को समाज सेवा के प्रति प्रेरित किया और उन्हें भविष्य के लिए एक नया दृष्टिकोण दिया। इस शिविर ने सभी स्वयंसेवकों को एक नए दृष्टिकोण से समाज सेवा की प्रेरणा दी। उन्होंने सीखा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए निरंतर प्रयास करना आवश्यक है। यह शिविर केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि एक आंदोलन था, जिसने युवाओं को अपने कर्तव्यों और सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक किया।

इस सफल शिविर ने यह साबित कर दिया कि युवा शक्ति यदि सही दिशा में कार्य करे, तो समाज में बड़े बदलाव ला सकती है। शिविर के अंत में सभी स्वयंसेवकों ने समाज सेवा का संकल्प लिया और भविष्य में भी इसी जोश और समर्पण के साथ समाज के लिए कार्य करने की प्रतिज्ञा की।

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