काशीपुर। प्रदेश में पासपोर्ट सेवाओं को आम नागरिकों की पहुंच तक लाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है। इस बार क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, देहरादून द्वारा नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए 18 जून से 20 जून 2025 तक तीन दिवसीय पासपोर्ट मोबाइल वैन कैंप का आयोजन किया जा रहा है। यह विशेष शिविर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर ब्लॉक परिसर (पिन कोड – 244713) में स्थापित किया गया है। इस कैंप का उद्देश्य ऐसे लोगों को लाभान्वित करना है जो दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करते हैं और पासपोर्ट के लिए बार-बार बड़े शहरों के चक्कर लगाने में असमर्थ हैं। इस अवसर पर पासपोर्ट के नये तथा पुनःनिर्गमण श्रेणी के आवेदनकर्ताओं को सेवा प्रदान की जा रही है। हर दिन के लिए 50 अप्वाइंटमेंट स्लॉट निर्धारित किए गए हैं, जो ऑनलाइन माध्यम से आरक्षित किए जा सकते हैं।
इस पहल के तहत आवेदन केवल ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे और आवेदकों को भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट www.services1.passportindia.gov.in पर जाकर आवेदन पत्र भरना होगा। आवेदनकर्ता को वेबसाइट के होमपेज पर जाकर ‘पासपोर्ट के लिए आवेदन करें’ विकल्प का चयन करना होगा। शुल्क भुगतान के बाद अप्वाइंटमेंट लेकर निर्धारित तिथि, समय और स्थान पर आवश्यक मूल दस्तावेजों तथा उनकी स्वयं अभिप्रमाणित प्रतियों के साथ पहुंचना अनिवार्य होगा। इस शिविर में तत्काल पासपोर्ट, पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) तथा जिन आवेदनों में दस्तावेजों की कमी के कारण प्रक्रिया रोक दी गई है, ऐसे आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। शिविर में आवेदकों से फोटोग्राफ, अंगुलियों के निशान तथा अन्य बायोमेट्रिक डाटा भी लिया जाएगा।
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी विजय शंकर पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया कि यह शिविर “सरकार आपके द्वार” योजना के तहत आयोजित किया गया है, जिसका उद्देश्य नागरिकों तक सीधे सरकारी सेवाएं पहुंचाना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि काशीपुर का यह कैंप एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2024 और 2025 में उत्तराखंड के अनेक जनपदों में सफल पासपोर्ट मोबाइल कैंप लगाए जा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 22 और 23 जनवरी 2024 को नई टिहरी (गढ़वाल), 10 और 11 जनवरी 2025 को कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल), 6 से 8 फरवरी 2025 को रुद्रप्रयाग (टिहरी गढ़वाल), 13 से 15 फरवरी को रुद्रप्रयाग मुख्यालय, 20 से 22 फरवरी को चंपावत, 19 से 21 मार्च को पिथौरागढ़, 23 से 24 मार्च को श्रीनगर (गढ़वाल), और 21 से 23 मई को पुनः चंपावत में इस प्रकार के शिविर आयोजित किए जा चुके हैं।
अब तक आयोजित नौ पासपोर्ट मोबाइल वैन शिविरों में नागरिकों की भागीदारी काफी सराहनीय रही है। इन शिविरों के माध्यम से लगभग 1300 से अधिक लोगों ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया, जिनमें से 1000 से अधिक आवेदकों को सफलतापूर्वक पासपोर्ट जारी किया जा चुका है। यह पहल विशेष रूप से उन नागरिकों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुई है, जिन्हें पहले पासपोर्ट बनवाने के लिए दूर-दराज के शहरों तक लंबी यात्रा करनी पड़ती थी। अब उन्हें अपने ही जिले अथवा निकटवर्ती क्षेत्र में यह सुविधा सरल, त्वरित और व्यवस्थित रूप से प्राप्त हो रही है। इससे न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि अनावश्यक खर्चों से भी राहत मिली है। शासन की यह पहल आमजन को सशक्त बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है और इससे नागरिकों में सरकारी सेवाओं के प्रति विश्वास और आत्मीयता भी पहले से कहीं अधिक बढ़ी है।
इस प्रयास को उत्तराखंड में नागरिक सुविधाओं की दृष्टि से मील का पत्थर माना जा रहा है। विजय शंकर पांडेय ने आगे बताया कि नागरिकों की लगातार बढ़ती मांग के चलते भविष्य में भी राज्य के अन्य दुर्गम व पिछड़े इलाकों में ऐसे मोबाइल वैन शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इससे दूर-दराज के क्षेत्रों के लोग भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा, शिक्षा, रोजगार व अन्य अवसरों के लिए पासपोर्ट जैसी अनिवार्य सुविधा से वंचित नहीं रहेंगे। उनका मानना है कि ऐसी सेवा योजनाएं न केवल शासन को जनता से जोड़ती हैं बल्कि लोगों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन भी लाती हैं।
पासपोर्ट मोबाइल वैन कैंप का आयोजन शासन की संवेदनशीलता और तत्परता को दर्शाता है। यह सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि आम आदमी की जरूरतों को प्राथमिकता देने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। इस पहल के माध्यम से प्रशासन यह साबित कर रहा है कि वह केवल कागजों तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर सक्रिय होकर काम कर रहा है। इस शिविर के जरिए न सिर्फ पासपोर्ट जैसी आवश्यक सेवा को आमजन तक पहुंचाया गया है, बल्कि नागरिकों के बीच शासन के प्रति विश्वास और संतोष भी मजबूत हुआ है। देहरादून स्थित पासपोर्ट कार्यालय द्वारा लिया गया यह अभिनव प्रयास न केवल उत्तराखंड के लिए बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है। यह आयोजन एक मिसाल है कि जब प्रशासन नागरिकों की सुविधा को प्राथमिकता देता है, तो व्यवस्था कैसे प्रभावशाली और सशक्त बन सकती है।