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निर्दलीय प्रत्याशी पर हमला चुनावी रंजिश या साजिश की पटकथा से लिखा खौफनाक खेल

पत्नी को स्कूल छोड़ने निकले नरेंद्र शर्मा पर हमला, विरोधियों पर गहरी साजिश का आरोप, गिरफ्तारी तक कोतवाली से न हटने की चेतावनी

रामनगर। सियासी हवा में उस वक़्त सनसनी फैल गई जब नगर पालिका अध्यक्ष पद के निर्दलीय प्रत्याशी और चर्चित समाजसेवी नरेंद्र शर्मा पर मंगलवार सुबह जानलेवा हमला हो गया। इस हमले ने चुनावी हार-जीत के शोर से बाहर निकलकर एक ऐसी तस्वीर पेश की है जिसमें राजनीतिक रंजिश की स्याही साफ दिखाई दे रही है। नरेंद्र शर्मा का दावा है कि उन पर किया गया यह हमला कोई तात्कालिक झगड़ा नहीं, बल्कि एक गहरी और सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। उन्होंने अपने विरोधियों को इसके लिए खुलकर ज़िम्मेदार ठहराया है और साफ कहा है कि यह पूरी घटना राजनीति से प्रेरित है। हमला होते ही इलाके में हड़कंप मच गया और पुलिस महकमा हरकत में आया, लेकिन इस पूरी घटना ने यह तो ज़ाहिर कर ही दिया कि अब चुनावी टकराव महज़ मतगणना तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसके बाद की राजनीति कहीं ज़्यादा ज़हरीली होती जा रही है।

घटना तब हुई जब नरेंद्र शर्मा, जो हाल ही में नगर पालिका चुनाव में भाजपा का दामन छोड़कर निर्दलीय मैदान में उतरे थे, अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में व्यस्त थे। मंगलवार सुबह वह अपनी पत्नी को रामनगर के टेढ़ा गांव स्थित स्कूल छोड़ने के बाद घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में उनकी गाड़ी को एक युवक ने जबरन रोक लिया। यह युवक कोई अनजान चेहरा नहीं बल्कि बबलू सैनी निकला, जिसे नरेंद्र शर्मा नाम से भलीभांति जानते हैं। शर्मा का आरोप है कि बबलू सैनी ने पहले तो उन्हें गंदी-गंदी गालियां दीं, फिर अचानक उन पर हमला बोल दिया। उन्होंने बताया कि बबलू ने मारपीट के दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी और जब इस हिंसा का कारण पूछा गया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। इस हमले ने नरेंद्र शर्मा को झकझोर कर रख दिया है, और उनका कहना है कि यह हमला किसी व्यक्तिगत दुश्मनी का परिणाम नहीं, बल्कि चुनावी हार के बाद की साजिश है जो उन्हें डराने और दबाने की कोशिश है।

इस सनसनीखेज़ हमले के तुरंत बाद नरेंद्र शर्मा ने रामनगर कोतवाली पहुंचकर घटना की तहरीर दी और हमलावर बबलू सैनी की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की। शर्मा का यह भी कहना है कि उन्हें और उनके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकियां लगातार मिल रही हैं और अगर पुलिस प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। कोतवाली में मौजूद लोगों के सामने उन्होंने दो टूक कह दिया कि जब तक बबलू सैनी को सलाखों के पीछे नहीं डाला जाता, वह कोतवाली से बाहर नहीं जाएंगे। यह बयान केवल उनके भीतर की बेचौनी को नहीं दर्शाता, बल्कि यह भी साफ करता है कि हाल के निकाय चुनावों में जो राजनीतिक समीकरण बदले हैं, उन्होंने ज़मीन पर तनाव और टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। शर्मा का आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी की हार के बाद ही उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और यह हमला उसी कड़ी का हिस्सा है।

इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। हालांकि कोतवाली के वरिष्ठ उप निरीक्षक मनोज नयाल ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू कर दी गई है और नरेंद्र शर्मा की तहरीर को आधार बनाकर हर पहलू की जांच की जा रही है। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो आरोपी बबलू सैनी पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन पुलिस के इस आश्वासन से नरेंद्र शर्मा संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं, उनका कहना है कि यह मामला महज एक हमले का नहीं है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है, जो यह साबित करता है कि जब कोई प्रत्याशी सत्ताधारी दल की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ता है तो उसे कैसे सबक सिखाने की कोशिश की जाती है।

पूरे शहर में इस हमले को लेकर गहमागहमी है। चाय की दुकानों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हर जगह एक ही चर्चा हैकृक्या नरेंद्र शर्मा सच में एक बड़ी साजिश का शिकार हुए हैं? और क्या यह लोकतंत्र की दुहाई देने वाले नेताओं की असलियत को बेनकाब करने वाला मामला बनकर उभरेगा? फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि रामनगर की फिजा में अब केवल चुनावी नतीजों की गूंज नहीं, बल्कि डर, धमकी और दबाव की गंध भी घुल चुकी है।

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