spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडनशा मुक्ति केंद्र की आड़ में बर्बरता का खुलासा प्रशासन की छापेमारी...

नशा मुक्ति केंद्र की आड़ में बर्बरता का खुलासा प्रशासन की छापेमारी से मचा हड़कंप

प्रशिक्षित डॉक्टरों की गैरहाजिरी, फर्जी दवाएं, मरीज़ों के साथ अमानवीयता और नियमों की खुली धज्जियां—छापेमारी में नशा मुक्ति केंद्र की काली सच्चाई उजागर

काशीपुर। नगर कि शांत गलियों में स्थित बैलजोड़ी क्षेत्र उस समय सनसनी में डूब गया जब “जीवन दान नशा मुक्ति केंद्र” पर हुई छापेमारी ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। यह कोई आम निरीक्षण नहीं था, बल्कि कुमाऊं की तेजतर्रार आईजी रिद्धिम अग्रवाल के स्पष्ट निर्देशों और एएसपी अभय सिंह के सख्त आदेशों पर चलाए गए इस अभियान में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की आंखें खोल देने वाले दृश्य सामने आए। जब एलडी भट्ट उप जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. राजीव चौहान गांधी ने अपनी डॉक्टरों की टीम और पुलिस बल के साथ देर शाम केंद्र पर दबिश दी, तो वहां का हाल देखकर हर किसी के होश उड़ गए। नशा मुक्ति की आड़ में चल रहे इस कथित ‘इलाज केंद्र’ में ना तो प्रशिक्षित चिकित्सक मौजूद थे, ना ही मरीज़ों की देखभाल के लिए योग्य स्टाफ। जो दवाइयाँ मौजूद थीं, वे भी मानकों से परे थीं। यह केंद्र न सिर्फ नियमों को ठेंगा दिखा रहा था, बल्कि मरीज़ों की ज़िन्दगी से बेहिसाब खिलवाड़ किया जा रहा था।

पूरी कार्रवाई के दौरान जिस तरह की अव्यवस्था और गैरकानूनी गतिविधियों का खुलासा हुआ, वह किसी भी ज़िम्मेदार नागरिक को हिला देने के लिए काफी था। केंद्र के संचालक किसी भी वैध दस्तावेज को पेश करने में विफल रहे, जिससे यह साफ हो गया कि पूरा संस्थान नियमों की धज्जियां उड़ाकर वर्षों से धंधा चला रहा था। नशा छुड़ाने की बजाय यहाँ लोगों को कष्ट दिया जा रहा था कृ क्षमता से कई गुना अधिक मरीज़ों को तंग कमरों में ठूंस-ठूंसकर रखा गया था और उनके साथ न केवल अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था, बल्कि कई मामलों में तो उनके अधिकारों को भी बेशर्मी से कुचला जा रहा था। डॉ. राजीव चौहान गांधी ने बताया कि इस केंद्र में न कोई लाइसेंस सही पाया गया, न स्टाफ के पास योग्यता संबंधी काग़ज़ात थे, और न ही वहां की चिकित्सा प्रक्रियाएं किसी सरकारी गाइडलाइन का पालन करती थीं।

छह माह पहले भी इस नशा मुक्ति केंद्र पर सीएमओ की टीम ने निरीक्षण कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन वहां के संचालकों ने इन निर्देशों को रद्दी की टोकरी में फेंकते हुए सुधार के नाम पर कुछ नहीं किया। सरकार और विभाग की चेतावनियों का कोई असर नहीं दिखा, जिससे यह साबित होता है कि इस केंद्र के पीछे किसी मजबूत गठजोड़ की परछाई भी हो सकती है, जो अब तक इसकी गतिविधियों को संरक्षण देती आ रही थी। निरीक्षण के दौरान जिन गड़बड़ियों को रिकॉर्ड किया गया, उनमें मरीज़ों के साथ मारपीट, उन्हें भोजन और दवाइयों की सही सुविधा न देना, सीसीटीवी फुटेज में छेड़छाड़, और कई गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल की जा रही दवाइयाँ शामिल थीं। डॉक्टरों की टीम ने मौके से सीसीटीवी का डीवीआर, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और दवाइयों के नमूने जब्त कर लिए हैं, जिन्हें आगे की जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है।

जब पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम वहां पहुँची तो परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मरीज़ों और स्टाफ में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। कई लोगों ने भागने की भी कोशिश की लेकिन पुलिस की मुस्तैदी के चलते किसी को बाहर निकलने नहीं दिया गया। यह छापेमारी महज़ एक संस्था पर कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सख्त संदेश है कि अगर किसी ने लोगों की पीड़ा और नशे से जूझ रहे युवाओं की मजबूरी को मुनाफे में बदलने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ कठोरतम कदम उठाए जाएंगे। केंद्र की अनियमितताओं की पूरी रिपोर्ट अब विभागीय उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है और इसे शीघ्र ही सील कर दिया जाएगा।

आईजी रिद्धिम अग्रवाल और एएसपी अभय सिंह की ये सख्त कार्यवाही एक उदाहरण बनकर सामने आई है कि अब सिस्टम अपनी आंखें मूंदे नहीं बैठेगा। डॉ. राजीव चौहान गांधी जैसे अधिकारियों की मौजूदगी में यह तय माना जाए कि नशा मुक्त भारत का सपना अब सिर्फ नारा नहीं, एक लक्ष्य बनेगा कृ और जो भी इसके रास्ते में आएगा, वह कानून के शिकंजे से नहीं बच सकेगा। इस कार्रवाई ने पूरे जनपद को झकझोर दिया है और अब नशा मुक्ति केंद्रों की आड़ में चल रही कालिख से पर्दा हटने का वक्त आ चुका है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!