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नव निर्वाचित पार्षद का विवादित कदम, मुख्यमंत्री के शिलापट्ट पर नाम लिखवाने को लेकर हंगामा

पार्षद की हरकत से काशीपुर में गरमाई राजनीति, मुख्यमंत्री का शिलापट्ट हुआ विवादों का शिकार

काशीपुर(एस पी न्यूज़)। नगर निकाय चुनाव के शांतिपूर्ण निपटने के बाद नवनिर्वाचित बोर्ड की पहली बैठक का आयोजन भी नहीं हो पाया है, लेकिन इससे पहले ही काशीपुर के आवास विकास वार्ड नंबर 17 में नव निर्वाचित पार्षद द्वारा उठाए गए विवादित कदम ने शहर में हलचल मचा दी है। 2 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा विवेकानंद पार्क के सौंदर्यकरण के लिए किए गए शिलान्यास के शिलापट्ट पर पेंट के जरिए पार्षद पुष्कर बिष्ट ने अपना नाम अंकित करवा दिया। इस घटनाक्रम ने न केवल नगर में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है, बल्कि इसे मुख्यमंत्री का अपमान भी करार दिया जा रहा है। इस विवाद के चलते पूर्व पार्षद राजकुमार सेठी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने इसे प्रदेश के मुख्यमंत्री और नगर निगम प्रशासन का अपमान बताते हुए पार्षद पुष्कर बिष्ट के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

यह मामला काशीपुर के वार्ड नंबर 17 स्थित आवास विकास क्षेत्र का है। करीब दो वर्ष पूर्व नगर निगम के पिछले कार्यकाल में विवेकानंद पार्क के सौंदर्यकरण का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस परियोजना का शिलान्यास मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर के वरिष्ठ नागरिकों और अधिकारियों की उपस्थिति में किया था। शिलान्यास के दौरान लगाए गए शिलापट्ट पर मुख्यमंत्री के नाम के साथ तत्कालीन पार्षद राजकुमार सेठी का नाम भी अंकित किया गया था। हाल ही में, 23 जनवरी को हुए नगर निकाय चुनाव में पुष्कर बिष्ट ने वार्ड नंबर 17 से जीत दर्ज की। इसके बाद नवनिर्वाचित बोर्ड का शपथ ग्रहण और पहली बैठक अभी आयोजित नहीं हुई है। इसी बीच पुष्कर बिष्ट ने विवेकानंद पार्क के शिलापट्ट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम के साथ पेंट के जरिए अपना नाम लिखवा दिया।

पूर्व पार्षद राजकुमार सेठी ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस कृत्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का अपमान हुआ है और यह न केवल गलत है, बल्कि अशोभनीय भी है। सेठी ने नगर निगम प्रशासन और मुख्य नगर आयुक्त विवेक राय से पार्षद पुष्कर बिष्ट पर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के शिलापट्ट पर इस तरह से नाम जोड़ना पूरे नगर निगम और प्रशासन का अपमान है। यह कृत्य अनुशासनहीनता को दर्शाता है। इस मामले में तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि ऐसी हरकत न करे।

दूसरी ओर, विवादों में घिरे पार्षद पुष्कर बिष्ट ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने दावा किया कि जब विवेकानंद पार्क का शिलान्यास हुआ था, तब वह भी एक नामित सभासद थे, और उनका नाम शिलापट्ट पर दर्ज होना चाहिए था। बिष्ट ने आरोप लगाया कि उन्होंने उस समय कई बार नगर निगम प्रशासन और ठेकेदार से अपने नाम की मांग की थी, लेकिन इसे अनदेखा कर दिया गया। पुष्कर बिष्ट ने कहा कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद मैंने अपने वार्ड में विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की सोच के तहत शिलापट्ट पर अपना नाम लिखवाया है। यह केवल मेरे क्षेत्र की पहचान को दर्शाने के लिए किया गया है और इसका किसी को अपमानित करने का उद्देश्य नहीं है।

इस विवाद के बाद काशीपुर में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। जहां एक ओर राजकुमार सेठी और उनके समर्थक इसे मुख्यमंत्री और नगर निगम का अपमान मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुष्कर बिष्ट के समर्थक इसे विकास कार्यों के प्रति उनके प्रयास का हिस्सा बता रहे हैं। इस घटना के बाद नगर निगम प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। कई स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शिलापट्ट जैसी संरचनाएं नगर के विकास और गौरव का प्रतीक होती हैं। इनका उपयोग किसी व्यक्ति विशेष की पहचान बनाने के लिए नहीं होना चाहिए। मुख्य नगर आयुक्त विवेक राय ने कहा कि मामले की जानकारी ली जा रही है और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

काशीपुर में विवेकानंद पार्क के शिलापट्ट पर हुए इस विवाद ने नगर की राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम के साथ पार्षद पुष्कर बिष्ट का नाम जोड़ने की यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या विकास कार्यों का श्रेय लेने की होड़ जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता बन गई है? अब देखना यह होगा कि नगर निगम प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या इस विवाद से काशीपुर की राजनीति को कोई नई दिशा मिलती है।

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