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दीपक बाली की हुंकार से हिले सिस्टम के पहिए सड़क सुधार की उठी सुनामी

आईआईएम, जीएसटी ऑफिस और सिडकुल के बीच टूटी सड़कें, दीपक बाली की मांग ने सरकार को जवाबदेही की पटरी पर ला दिया

काशीपुर। प्रदेश की राजनीति में जहां नेता अक्सर सड़कों की दुर्दशा पर चुप्पी साध लेते हैं, वहीं महापौर दीपक बाली ने एक बार फिर जनता की आवाज़ को बुलंद करते हुए अपने कर्तव्य का परिचय दिया है। उन्होंने प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक औपचारिक पत्र भेजकर धनौरी-जैतपुर मार्ग के अधूरे और जर्जर हालात को लेकर चिंता जताई है और इस मार्ग को तत्काल दुरुस्त कराए जाने की पुरज़ोर मांग की है। उन्होंने पत्र में साफ-साफ बताया कि इस सड़क की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि दोनों ओर बसे नागरिकों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, और यह केवल एक विकास का मसला नहीं, बल्कि सीधा-सीधा जनजीवन से जुड़ा हुआ मामला बन चुका है, जिसे अब और टाला नहीं जा सकता।

जब जनप्रतिनिधि जनता के बीच से आते हैं और उनकी पीड़ा को पूरी ईमानदारी से उठाते हैं, तो असली नेतृत्व की पहचान होती है। दीपक बाली ने न केवल केला मोड़ से भल्ला स्कूल तक सड़क निर्माण की स्वीकृति दिए जाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया, बल्कि अपने पत्र में यह भी दर्शाया कि इस स्वीकृति के बाद बाकी हिस्से को अधूरा छोड़ना किस कदर जनता के लिए तकलीफदेह है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भीमनगर होते हुए जैतपुर मोड़ तक जो मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ता है, उसकी हालत इतनी खराब है कि अब यह महज स्थानीय मांग नहीं रही, बल्कि इसे एक आपात स्थिति मानते हुए सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना ही होगा।

हर दिन इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों की पीड़ा को महसूस करते हुए महापौर बाली ने अपने पत्र में बताया कि स्थानीय जनता के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों और संस्थाओं ने लगातार इस मार्ग के सुधार के लिए उनसे संपर्क किया है। इन मांगों को वे अब तक केवल माध्यम बनकर मुख्यमंत्री तक पहुंचाते रहे, मगर अब समय आ गया है कि सरकार इसे प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान में लेकर त्वरित कार्रवाई करे। जब सड़कें टूटती हैं, तो केवल रास्ते नहीं बिगड़ते—बिगड़ता है उस जनता का भरोसा, जो वर्षों से बेहतर भविष्य की उम्मीद में देखती है कि उसके चुने हुए प्रतिनिधि कब उसकी मुश्किलें समझेंगे।

इस पूरे मामले को और अधिक गंभीर बनाता है इस मार्ग का सामरिक और संस्थागत महत्व, जिसे दीपक बाली ने पत्र में बखूबी रेखांकित किया है। उन्होंने यह इंगित किया कि इसी मार्ग पर देश का एक प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएम स्थित है, साथ ही भारत सरकार का जीएसटी कार्यालय भी इसी इलाके में संचालित हो रहा है। इतना ही नहीं, कई सरकारी इमारतों का निर्माण कार्य इसी मार्ग के आसपास प्रगति पर है, जिनके पूरा होने पर यह इलाका प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र बन जाएगा। ऐसी स्थिति में इस मार्ग का टूटा हुआ स्वरूप न केवल प्रशासनिक गतिविधियों में बाधा डालेगा, बल्कि यह शासन व्यवस्था की असंवेदनशीलता को भी उजागर कर सकता है, जो निश्चित रूप से किसी भी सरकार के लिए चिंता का विषय बनना चाहिए।

जहां एक ओर महज संस्थानों की बात होती है, वहीं दीपक बाली ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि इस मार्ग से जुड़े सिडकुल क्षेत्र में कई उद्योग पहले से ही स्थापित हैं और कई नये उद्यम स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं। इसका सीधा असर न केवल व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ रहा है, बल्कि आमजन का दिन-प्रतिदिन का आवागमन भी इससे गहराई से प्रभावित हो रहा है। इस क्षेत्र में बढ़ती आबादी और औद्योगिक विस्तार को देखते हुए, अब यह मार्ग एक व्यस्ततम संपर्क मार्ग बन चुका है, जो रामनगर रोड से किला मोड़ होते हुए रुद्रपुर राष्ट्रीय राजमार्ग तक जुड़ता है। ऐसे में इस सड़क की बदहाली अब दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही है, जिसकी अनदेखी किसी भी हाल में नहीं की जा सकती।

अपने पत्र में महापौर दीपक बाली ने यह भी रेखांकित किया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं हाल ही में एआरटीओ कार्यालय के निर्माण की आधारशिला रख चुके हैं, जो निकट भविष्य में इसी मार्ग पर कार्यरत होने वाला है। जाहिर है कि यह मार्ग न केवल प्रशासनिक महत्व रखता है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसीलिए दीपक बाली ने स्पष्ट शब्दों में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे व्यक्तिगत हस्तक्षेप करते हुए इस मार्ग के पुनर्निर्माण और सुधार की तत्काल स्वीकृति प्रदान करें ताकि जनता को राहत मिल सके और शासन की छवि भी जनता के बीच मजबूत बन सके।

दीपक बाली का यह पत्र केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक जमीनी नेता की वो सच्ची पुकार है, जो अपने लोगों की पीड़ा को शब्दों में पिरोकर प्रदेश के सर्वोच्च पद तक पहुंचा रहा है। सवाल अब सिर्फ स्वीकृति का नहीं, जवाबदेही का है। सड़क बने या न बने, लेकिन अब जनता देख रही है कि उसके सवालों का समाधान किस स्तर पर हो रहा है। अगर यह मार्ग जल्द सुधार दिया गया, तो यह सिर्फ एक सड़क नहीं बनेगी, बल्कि यह उस भरोसे की सड़क होगी, जो जनता और सरकार के बीच की दूरी को पाटती है।

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