काशीपुर। सेवा और संवेदना का अद्भुत संगम उस समय देखने को मिला जब भारत विकास परिषद की देवभूमि महिला प्रधान शाखा ने पत्रकारों के समक्ष एक ऐसी घोषणा की जो न केवल सामाजिक जिम्मेदारी का परिचायक बनी, बल्कि दिव्यांग जनों के जीवन में उम्मीद की नई किरण भी बनकर उभरी। परिषद की अध्यक्ष डा शिखा चौहान ने जानकारी दी कि संस्था आगामी 20 जुलाई को एक विशाल निरूशुल्क दिव्यांग सहायता शिविर का आयोजन करने जा रही है, जिसका उद्देश्य चलने-फिरने में असमर्थ जरूरतमंदों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराना है। यह शिविर ढेला पार स्थित नवीन मंडी पुलिस चौकी के पास ग्रेस पैरामेडिकल कॉलेज परिसर में संपन्न होगा, जहां दिव्यांग जनों की नाप लेकर उन्हें दो सप्ताह के भीतर कृत्रिम अंग निशुल्क प्रदान किए जाएंगे। यह प्रयास न केवल एक सेवा मिशन का हिस्सा है, बल्कि समाज के उन उपेक्षित वर्गों के लिए राहत का संदेश है जो वर्षों से सहारे की प्रतीक्षा कर रहे थे। संस्था द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान एक नई दिशा देने वाला है, जो तकनीक, चिकित्सा और मानवीयता के त्रिकोण पर आधारित है।
शिविर की प्रक्रिया पूरी तरह सुव्यवस्थित और पारदर्शी रखी गई है, जिसमें दिल्ली से आने वाले अनुभवी चिकित्सकों और तकनीशियनों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। विशेषज्ञों की देखरेख में दिव्यांगों की नाप ली जाएगी, ताकि उन्हें उनकी शारीरिक स्थिति के अनुरूप सटीक कृत्रिम अंग उपलब्ध कराए जा सकें। यह पहल केवल उपकरण वितरण तक सीमित नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को पुनः जाग्रत करने की दिशा में एक ठोस कदम है। डा शिखा चौहान ने बताया कि शिविर में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जहां कोई भी दिव्यांग व्यक्ति मोबाइल नंबर के माध्यम से अपना नाम दर्ज करवा सकता है। पंजीकरण प्रक्रिया पहले ही आरंभ हो चुकी है और संस्था ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र व्यक्ति इस सेवा से वंचित न रह जाए। कृत्रिम अंगों के वितरण का लक्ष्य 100 से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचने का है, जिसे लेकर संस्था बेहद गंभीर और समर्पित भाव से कार्य कर रही है।
जनसेवा की भावना से ओतप्रोत इस प्रयास के माध्यम से परिषद समाज के उन लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है, जो अब तक अपनी शारीरिक सीमाओं के कारण समाज से कटे हुए महसूस करते थे। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए डा शिखा चौहान के साथ मंच पर मौजूद अनुजा अग्रवाल, दीप्ति गुप्ता, रेनू अग्रवाल, अर्चना सिंह और दीपिका अग्रवाल ने भी सामूहिक रूप से लोगों से इस सेवा में भागीदार बनने और अधिक से अधिक दिव्यांगों तक सूचना पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस शिविर में सेवा का स्वरूप केवल उपकरण देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह एक ऐसा मंच भी बनेगा जहां दिव्यांगों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलेगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिलेगी।
समाजसेवी संगठनों द्वारा आयोजित किए जाने वाले ऐसे शिविर केवल औपचारिकता नहीं होते, बल्कि यह उस करुणा का प्रतिबिंब हैं जो मनुष्य को एक दूसरे के लिए जीने की प्रेरणा देते हैं। भारत विकास परिषद की यह पहल दर्शाती है कि समाज में जब संस्थाएं अपने कर्तव्य का बोध करती हैं, तब बदलाव संभव होता है। इस शिविर के माध्यम से दिव्यांगों को न केवल चलने का सहारा मिलेगा, बल्कि वे अपने जीवन की दिशा बदलने का भी सामर्थ्य प्राप्त करेंगे। संस्था ने जिस सुनियोजित तरीके से शिविर की रूपरेखा तैयार की है, उससे यह विश्वास बनता है कि 20 जुलाई को ग्रेस पैरामेडिकल कॉलेज परिसर एक ऐसे पुण्य कार्य का साक्षी बनेगा, जिसे वर्षों तक याद रखा जाएगा। जनता से सहयोग की अपील करते हुए परिषद ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं ली जा रही, और यह पूरी प्रक्रिया पूर्णतः निरूशुल्क है।
काशीपुर जैसे शहर में इस स्तर की सेवा का आयोजन अपने आप में एक मिसाल बनता है और इससे जुड़ी हर आवाज आज समाज के उन लोगों तक पहुंचनी चाहिए जो वंचित हैं, असमर्थ हैं और किसी एक संबल की तलाश में हैं। भारत विकास परिषद की देवभूमि महिला प्रधान शाखा ने यह साबित कर दिया कि सही नियत, मजबूत इच्छाशक्ति और संगठित प्रयासों से कोई भी असंभव कार्य संभव बनाया जा सकता है। 20 जुलाई को आयोजित होने वाला यह शिविर न केवल अंगों का वितरण करेगा, बल्कि नए जीवन की शुरुआत करने वाले उन सौ से अधिक लोगों के सपनों को आकार भी देगा।