किच्छा(एस पी न्यूज़)। क्या वही नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने 11 साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए रुपये की गिरावट को देश की कमजोरी माना था? आज जब वे खुद प्रधानमंत्री हैं, तो यह सवाल उठता है कि अगर रुपये की गिरावट देश की कमजोरी थी, तो अब क्या हो रहा है? प्रधानमंत्री मोदी ने कभी यह वादा किया था कि भारत ‘विश्व गुरु’ बनेगा, लेकिन क्या देश की अर्थव्यवस्था को इस रास्ते पर अग्रसर करने के लिए यही तरीका सही है? कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय के शब्दों में, ‘क्या इसी तरह से भारत दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनेगा?’
यह सवाल इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि जब 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार थी, उस वक्त एक डॉलर का मूल्य 63 रुपये था। आज वही डॉलर 86 रुपये पर कर चुकी है, जो कहीं न कहीं सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय का कहना है मोदी जी ने हमेशा रुपये की गिरावट को लेकर तीखा बयान दिया था। जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो उनके अनुसार रुपया गिरना, देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करता है। लेकिन अब जब वे खुद सत्ता में हैं, तो रुपये की गिरावट को लेकर वे खामोश क्यों हैं?”
उन्होंने यह भी कहा कि जब रुपये की कीमत गिरती है, तो महंगाई बढ़ती है, जिससे आम आदमी की जिंदगी और भी कठिन हो जाती है। पेट्रोल, डीजल, गैस, खाद्य सामग्री हर चीज की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। आम जनता की मेहनत की कमाई अब महंगाई के कारण चूहे की दौड़ बन चुकी है। डॉ. उपाध्याय ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपये की गिरावट का सीधा असर भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ रहा है, जिससे आयात महंगे हो रहे हैं और निर्यात में कमी आई है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ओर पूर्व दर्ज राज्य मंत्री डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने पहले कई बार दावा किया था कि वे भारत को वैश्विक शक्ति बनाएंगे, लेकिन क्या ऐसे फैसले और नीतियां उस दिशा में ले जा रही हैं? कांग्रेस के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का ढांचा केवल प्रचार और जुमलेबाजी पर आधारित है, जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि भारतीय रुपये की गिरावट ने देश की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होने कहा कि अब सवाल यह उठता है कि क्या मोदी सरकार ने अपनी आर्थिक नीतियों का सही मूल्यांकन किया है? क्या देश को विकास की ओर ले जाने के लिए उनकी योजनाएं प्रभावी साबित हो रही हैं, या फिर यह सिर्फ एक खूबसूरत दिखावा है?
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ओर पूर्व दर्ज राज्य मंत्री डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहार कि रुपये की गिरावट और महंगाई के बढ़ते दबाव से न केवल आम जनता बल्कि व्यापारी वर्ग भी परेशान है। छोटे और मझले उद्योगों को नुकसान हो रहा है, क्योंकि विदेशी वस्तुओं के आयात में भारी वृद्धि हो गई है, जिससे उनके संचालन में दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों के लिए भी यह स्थिति चिंता का कारण बन गई है। जब रुपये की कीमत घटती है, तो उनका निवेश भी अस्थिर हो जाता है, जिससे भारतीय बाजार में अनिश्चितता का माहौल बनता है।
कांग्रेस के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले जो बड़े-बड़े दावे किए थे, उनका अब कोई भी असर नहीं दिख रहा है। उन्होने कहा कि हमारा सवाल है कि क्या यही वह भारत बनने जा रहा है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने एक सपने के तौर पर प्रस्तुत किया था? डॉ. उपाध्याय ने कहा कि अगर रुपये का मूल्य गिरता रहेगा और महंगाई का दबाव बढ़ता रहेगा, तो यह सपना कैसे साकार होगा?
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ओर पूर्व दर्ज राज्य मंत्री डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को अब अपने दावों पर पुनर्विचार करना होगा। देश की अर्थव्यवस्था का हर पहलू पूरी तरह से परखा जाना चाहिए, ताकि जो बदलाव किए जाएं, वे वास्तविक और स्थायी हों। मोदी जी ने जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना दिखाया था, वह तभी संभव होगा जब रुपया मजबूत होगा, महंगाई नियंत्रित होगी और हर भारतीय की जेब में थोड़ी राहत महसूस होगी। उन्होने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार अपनी नीतियों को सही दिशा में मोड़े और देश के नागरिकों को सिर्फ उम्मीदों का नहीं, बल्कि ठोस विकास का भरोसा दे। तभी भारत सच में अपनी शक्तियों को पहचान सकेगा और ‘विश्व गुरु’ बनने की दिशा में आगे बढ़ सकेगा।