रामनगर। टैक्स और जीएसटी से जुड़ी चुनौतियों को लेकर आयोजित की गई रामनगर टैक्स बार एसोसिएशन की बैठक ने स्थानीय स्कूलों और कॉर्बेट प्रशासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। राज्य कर कार्यालय छोई में हुई इस अहम बैठक में एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने राज्य कर विभाग के अधिकारियों को कई ज्वलंत मुद्दों से अवगत कराया, जिसमें खास तौर पर स्कूलों द्वारा अपनाई जा रही अनैतिक व्यापारिक नीतियों पर फोकस किया गया। एसोसिएशन ने बताया कि रामनगर के अधिकतर निजी स्कूल अपने परिसर के भीतर ही स्टेशनरी और किताबें बेचने का काम कर रहे हैं, जिससे न केवल अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ रहा है बल्कि इससे स्थानीय पंजीकृत दुकानदारों का भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इन स्कूलों ने अपने सभी शैक्षणिक सामग्री संबंधित काम एक ही दुकानदार को सौंप दिए हैं, जो कि जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है। इसका सीधा अर्थ यह है कि इस पूरे लेन-देन में न कोई टैक्स चुकाया जा रहा है और न ही कोई बिल जारी किया जा रहा है। इससे सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है और उपभोक्ताओं को भी उचित सेवा नहीं मिल पा रही।
बैठक के दौरान एसोसिएशन ने इस बात पर भी गहरी चिंता जताई कि स्कूलों द्वारा चुनी गई यह एकल दुकानें मनमाने दाम पर सामग्री बेच रही हैं और छात्रों को मजबूरन इन्हीं दुकानों से खरीदारी करनी पड़ रही है। इससे अन्य पंजीकृत दुकानदारों को न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा भी उत्पन्न हो रही है। इतना ही नहीं, कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि उन्हें स्टेशनरी या किताबें खरीदने पर बिल तक नहीं दिया जाता, जिससे यह संदेह और भी मजबूत होता है कि सारा कारोबार नियमों के विपरीत चल रहा है। इस पर एसोसिएशन ने राज्य कर अधिकारियों से मांग की कि रामनगर के प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जानकारी लेकर संपूर्ण जांच की जाए और दोषी संस्थानों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा के नाम पर इस तरह का व्यापारिक दोहन किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और सरकार को इस पर शीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए।

इसके साथ-साथ बैठक में कॉर्बेट प्रशासन की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लगाए गए। एसोसिएशन ने बताया कि कॉर्बेट के मूल क्षेत्र से बाहर लगातार नए जोन बनाए जा रहे हैं, जिनमें जीएसटी की स्थिति स्पष्ट नहीं है। पर्यटकों को भ्रमित करते हुए कॉर्बेट के नाम पर सीतावनी या फाटो जैसे जोनों में ले जाया जाता है, लेकिन जब टैक्स देने की बारी आती है तो ये अधिकारी नेशनल पार्क का हवाला देकर जीएसटी से बचने की कोशिश करते हैं। यह दोहरा मापदंड न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि ईमानदारी से टैक्स देने वाले व्यवसायियों के लिए अन्यायपूर्ण भी है। एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि जब पर्यटक किसी गलत जोन में जाते हैं, तो कॉर्बेट अधिकारी जिप्सी मालिकों पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन वही अधिकारी टैक्स को लेकर मौन धारण कर लेते हैं। इस विषय को लेकर भी एसोसिएशन ने कॉर्बेट प्रशासन से खुलकर संवाद करने और पारदर्शिता लाने की मांग की है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं से बचा जा सके।
अध्यक्ष पूरन चंद्र पांडे ने बैठक के दौरान कहा कि आज जिस प्रकार शिक्षा और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नियमों को ताक पर रखकर कार्य किए जा रहे हैं, वह न केवल चिंताजनक है बल्कि कानून की खुली अवहेलना भी है। उन्होंने कहा कि रामनगर के कई निजी विद्यालय अपने स्कूल परिसर के भीतर ही कॉपी-किताबें बेच रहे हैं और एक ही दुकानदार को सारा काम दे रहे हैं, जो कि जीएसटी में पंजीकृत नहीं है। यह सीधे-सीधे सरकार के राजस्व पर कुठाराघात है और पंजीकृत दुकानदारों के हितों के विरुद्ध है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एक दुकान को ही सारे स्कूल का काम दे दिया जाएगा और वह भी बिना बिल के सामग्री बेचेगा तो बाजार में अन्य दुकानदार कैसे टिक पाएंगे? पूरन चंद्र पांडे ने आगे कहा कि कॉर्बेट प्रशासन द्वारा बाहर के जोन खोलकर जीएसटी से बचना भी एक गंभीर विषय है। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्रशासन नियमों के नाम पर प्रताड़ित करता है लेकिन स्वयं टैक्स नियमों का पालन नहीं करता। उन्होंने अधिकारियों से मांग की कि इन दोनों मामलों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
राज्य कर विभाग की ओर से बैठक में सहायक आयुक्त अनिल सिन्हा और राज्य कर अधिकारी अजय प्रकाश जी ने मौजूद रहकर एसोसिएशन द्वारा उठाए गए सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यानपूर्वक सुना और गंभीरता से संज्ञान लिया। उन्होंने साफ शब्दों में आश्वासन दिया कि चाहे वह स्कूलों द्वारा परिसर में अवैध रूप से स्टेशनरी बेचे जाने का मामला हो या फिर कॉर्बेट जोन के नाम पर जीएसटी से बचने की कोशिश, दोनों ही मामलों की गहन जांच की जाएगी और जल्द ही निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी संस्था या व्यक्ति यदि नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसे किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर कठोर दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे ताकि कर प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे और सभी हितधारकों को न्याय मिल सके।
बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष बालम राणा, सचिव गौरव गोला, उपाध्यक्ष फिरोज अंसारी, उपसचिव मनु अग्रवाल, गुलरेज रजा, मनोज बिष्ट, नावेद सैफी, लईक अहमद, मनोज अग्रवाल, शोभित अग्रवाल, सीए शिवम् सिंघल सहित अन्य कई सदस्य मौजूद रहे। इस बैठक ने रामनगर के प्रशासनिक ढांचे को यह गंभीर संदेश दिया कि शिक्षा और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में टैक्स से जुड़ी गड़बड़ियों को नजरअंदाज करना अब और नहीं चल सकता। यदि प्रशासन ने तत्काल इन मुद्दों पर सख्त कार्रवाई नहीं की तो न केवल व्यापारियों, बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। बैठक ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन इन अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने में लापरवाही बरतता है, तो इसका सीधा असर शहर के आर्थिक विकास और कर प्रणाली पर पड़ेगा, जिससे सभी को नुकसान होगा। इसलिए समय रहते इन मुद्दों पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है।