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ज्ञानार्थी कॉलेज में दृश्य कथा 2 प्रदर्शनी ने कला को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया

कला के रंगों से समाज और संस्कृति को उकेरते हुए विद्यार्थियों ने प्रदर्शनी में अपनी रचनात्मकता का लोहा मनवाया, जहां सम्मान और प्रेरणा का था माहौल।

काशीपुर। ज्ञानार्थी कॉलेज में शुक्रवार को आयोजित ‘दृश्य कथा 2’ कला प्रदर्शनी ने काशीपुर में कला की नई पहचान बनाई और समाजिक संवेदनाओं को एक नया रूप दिया। इस भव्य कला प्रदर्शनी ने कॉलेज के छात्रों की रचनात्मकता, कलात्मक अभिव्यक्ति और सामाजिक सरोकारों का शानदार चित्रण किया। विद्यार्थियों ने अपनी कला के माध्यम से ना केवल समाज की जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर किया, बल्कि भारतीय संस्कृति, प्रकृति, और समकालीन जीवनशैली को भी अपनी पेंटिंग्स में समाहित किया। इस अद्भुत कला प्रदर्शन का उद्घाटन मुख्य अतिथि मेयर दीपक बाली ने किया, जिनके साथ विधायक त्रिलोक सिंह चीमा, भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज पाल और पूर्व मेयर उषा चौधरी समेत कई प्रमुख हस्तियाँ मौजूद थीं। इस आयोजन ने कॉलेज में एक नया उत्साह और रचनात्मकता की लहर पैदा की।

बाली ग्रुप की एम.डी. उर्वशी बाली, मेयर दीपक बाली, विधायक त्रिलोक सिंह चीमा और भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज पाल ने छात्रों द्वारा बनाई गई कला को देखकर उनकी सराहना की और इस तरह के आयोजनों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कला प्रदर्शनों से न केवल विद्यार्थियों की कला में निखार आता है, बल्कि समाज को जागरूक करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जाती है। प्रदर्शनी में प्रस्तुत कला को देखकर यह स्पष्ट हुआ कि विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मकता के जरिए समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावशाली तरीके से उजागर किया है। कला केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं होती, बल्कि यह समाज के संदर्भ में गहरी सोच और समझ को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम बन सकती है। इस प्रदर्शनी ने इस उद्देश्य को साकार करते हुए समाज के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ावा दिया।

मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची बाली ग्रुप की एम.डी. उर्वशी बाली ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की कला प्रदर्शनी विद्यार्थियों के लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान करती है, जहाँ वे अपनी रचनात्मकता को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कला केवल अभिव्यक्ति का एक साधन नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक प्रभावशाली तरीका है। उर्वशी बाली ने विद्यार्थियों की कला को देखकर उनकी सराहना की और कहा कि उनकी कलाकृतियों में न केवल सुंदरता, बल्कि गहरी सोच और संवेदनशीलता भी झलकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में जो चित्र और रचनाएँ प्रस्तुत की गई हैं, वे न केवल कला के प्रति विद्यार्थियों की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों और मानवीय भावनाओं के प्रति उनकी जागरूकता को भी उजागर करती हैं। इसके साथ ही, उर्वशी बाली ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे आगे बढ़कर अपनी कला को एक नई दिशा दें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान दें।

मुख्य अतिथि मेयर दीपक बाली ने प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए उसकी सराहना की और कहा कि यह आयोजन हमारे विद्यार्थियों की कला के प्रति गहरी समझ और संवेदनशीलता को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि आज की प्रदर्शनी यह साबित करती है कि हमारे युवाओं में कला के प्रति न केवल रुचि है, बल्कि वे समाज की जरूरतों और मुद्दों को भी समझते हैं। विद्यार्थियों ने अपनी कलाकृतियों के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाया है। मेयर ने विद्यार्थियों को इस दिशा में और भी प्रेरित करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल विद्यार्थियों के रचनात्मक विकास में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझने का अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने इस पहल की सराहना की और कहा कि यह प्रदर्शनी इस बात का प्रतीक है कि हमारे युवा अपनी कला के माध्यम से समाज को जागरूक करने में सक्षम हैं।

प्रदर्शनी में विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स में विविध विषयों को छुआ गया था। सामाजिक मुद्दे, भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ें, और मानवीय संवेदनाओं को पेंटिंग्स में बहुत ही खूबसूरती से उकेरा गया था। प्रकृति से लेकर शहरों की तेज रफ्तार जिंदगी तक, इन पेंटिंग्स ने दर्शकों को एक नए दृष्टिकोण से सोचने पर मजबूर किया। एक छात्रा ने इस प्रदर्शनी के बारे में बताते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी हमें अपनी कला के माध्यम से न केवल आत्म-प्रकाशन करने का मौका देती है, बल्कि हमें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी महसूस कराती है।ष् विद्यार्थियों ने अपनी पेंटिंग्स के जरिए समाज में हो रहे बदलावों, संघर्षों और महत्वपूर्ण मुद्दों को चित्रित किया, जिससे यह प्रदर्शनी सिर्फ कला का प्रदर्शन नहीं बल्कि एक सामाजिक संवाद का रूप भी ले लिया।

प्रदर्शनी में सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया और उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इस सम्मान ने छात्रों की मेहनत और उनके प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम के दौरान कॉलेज प्रशासन की सक्रियता भी स्पष्ट रूप से नजर आई। ज्ञानार्थी कॉलेज के चेयरमैन संतोष मेहरोत्रा, सचिव शिवानी मेहरोत्रा, एकेडमिक डायरेक्टर डॉ. मनोज मिश्रा, इंस्टिट्यूशनल हेड प्रतिमा सिंह, रजिस्ट्रार सतीश कांडपाल, डॉ. गौरव गर्ग, शिल्पी गर्ग और राहुल चौहान सहित समस्त शिक्षकगण ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग दिया। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी सम्मानित किया और कॉलेज प्रशासन की इस कला और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर किया।

ज्ञानार्थी कॉलेज ने ष्दृश्य कथा 2ष् कला प्रदर्शनी के माध्यम से यह साबित कर दिया कि कला न केवल एक व्यक्ति की रचनात्मकता का प्रतीक है, बल्कि यह समाज की एकता, सांस्कृतिक धरोहर और जागरूकता को भी दर्शाता है। छात्रों ने अपनी पेंटिंग्स के माध्यम से यह साबित कर दिया कि वे न केवल कला के प्रति अपने जुनून को महसूस करते हैं, बल्कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझते हैं। प्रदर्शनी ने काशीपुर के लोगों को यह अहसास दिलाया कि कला समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम हो सकती है।

इस आयोजन ने कला की महत्ता को न केवल विद्यार्थियों के बीच, बल्कि समुदाय के हर वर्ग में प्रचारित किया। यह प्रदर्शनी यह संदेश देती है कि कला को एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे समाज में अच्छे बदलाव लाए जा सकते हैं। इस आयोजन ने विद्यार्थियों को अपने विचारों और विचारधाराओं को कला के रूप में प्रस्तुत करने का एक बेहतरीन मंच प्रदान किया। यह आयोजन इस बात का भी उदाहरण है कि कला और रचनात्मकता से हम न केवल अपना व्यक्तित्व निखार सकते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।

इस प्रदर्शनी में कला के माध्यम से विद्यार्थियों ने न केवल अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया, बल्कि इसने उन्हें अपनी सोच और समाज के प्रति जिम्मेदारी को भी अभिव्यक्त करने का अवसर दिया। ज्ञानार्थी कॉलेज की यह कला प्रदर्शनी निश्चित रूप से काशीपुर के छात्रों और युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनेगी, जो उन्हें कला के प्रति और ज्यादा आकर्षित करेगी। इस प्रदर्शनी ने साबित कर दिया कि कला सिर्फ एक रूपांतरण या शैली नहीं होती, बल्कि यह समाज की समस्याओं, संघर्षों और विचारों का एक मजबूत संदेश देने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है।

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