काशीपुर। रामनगर रोड पर स्थित ऐतिहासिक रामलीला मैदान में राज्य कर विभाग काशीपुर ने व्यापारियों के लिए जीएसटी पंजीकरण को लेकर एक व्यापक जागरूकता शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी रही, जिन्होंने व्यापार जगत से जुड़े लोगों को न केवल रजिस्ट्रेशन की अहमियत समझाई, बल्कि उससे जुड़े लाभों की गहराई से जानकारी भी दी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि व्यापार को विधिसम्मत पहचान देने के लिए जीएसटी पंजीकरण एक अत्यंत आवश्यक कदम है, जो कारोबारी की छवि को अधिक विश्वसनीय और मान्यता प्राप्त बनाता है। जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत होने से कारोबारी को न केवल वैधानिक लाभ मिलता है, बल्कि उसका व्यवसाय सरकारी मानकों के अंतर्गत भी अधिक संगठित और सुरक्षित हो जाता है।
शिविर में मौजूद अधिकारियों ने यह भी बताया कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लाभ को केवल वही व्यापारी उठा सकते हैं जिनका जीएसटी पंजीकरण पूरा है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि कारोबारी को अपने कुल टैक्स दायित्व में राहत मिलती है, जिससे उसका नेट टैक्स बोझ कम हो जाता है। यही नहीं, उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो व्यापारी सरकारी संस्थाओं को माल या सेवाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं, उनके लिए यह पंजीकरण अनिवार्य है। सरकारी टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए भी जीएसटी पंजीकृत होना अनिवार्य कर दिया गया है, जो इस बात को दर्शाता है कि आज के समय में जीएसटी से बाहर रहना व्यापार के लिए खुद को सीमित करने जैसा है। इस अवसर पर कई व्यापारियों ने अपने सवाल रखे जिनका अधिकारियों ने विस्तार से समाधान किया, जिससे शिविर संवादात्मक और शिक्षाप्रद बन गया।
विभागीय अधिकारियों ने व्यापारियों को यह भी अवगत कराया कि जीएसटी पंजीकरण के साथ एक और बड़ा लाभ यह है कि पंजीकृत व्यापारियों को दुर्घटना बीमा सुरक्षा भी प्राप्त होती है, जो अधिकतम पांच लाख रुपये तक की राशि तक सीमित है। यह सुरक्षा कवच विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बन सकता है, जो अपने कारोबार के दौरान जोखिमों से घिरे रहते हैं। इस पहलू को व्यापारियों ने बड़े ध्यान से सुना और इसे अपने हित में बताया। बीमा जैसी सुविधाओं को जोड़कर राज्य कर विभाग ने यह संकेत भी दिया कि जीएसटी केवल कर व्यवस्था नहीं बल्कि एक सुरक्षा कवच भी है जो एक व्यवस्थित कारोबारी भविष्य का द्वार खोलता है।

शिविर में यह भी स्पष्ट किया गया कि जिन व्यापारियों की वार्षिक आय 20 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन अब तक उन्होंने जीएसटी पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए अब विभाग सख्त कदम उठाने जा रहा है। जल्द ही ऐसे कारोबारियों की गहन जांच और निरीक्षण की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी ताकि कर चोरी या अनदेखी को रोका जा सके। अधिकारियों ने इस संदर्भ में स्पष्ट किया कि विभाग का मकसद दंडात्मक कार्रवाई नहीं बल्कि सभी व्यापारियों को कर दायरे में लाकर पारदर्शी आर्थिक व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। उन्होंने यह अपील की कि सभी योग्य व्यापारी समय रहते रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर लें, जिससे उन्हें भविष्य में किसी भी तरह की कानूनी जटिलताओं का सामना न करना पड़े।
कुल मिलाकर काशीपुर के इस शिविर में व्यापारी समुदाय की अच्छी भागीदारी देखने को मिली, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अब व्यापार जगत जीएसटी के महत्व को समझने लगा है और विधिवत व्यवस्था में शामिल होकर अपने व्यापार को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर है। राज्य कर विभाग की यह पहल निश्चित रूप से व्यापारिक पारदर्शिता और कर प्रणाली में ईमानदारी को प्रोत्साहन देने वाली है, जिसकी आज के बदलते आर्थिक माहौल में अत्यंत आवश्यकता है।
इस जागरूकता शिविर की विशेषता रही कि इसमें केवल सरकारी अधिकारी ही नहीं बल्कि स्थानीय टैक्स बार एसोसिएशन के अनेक प्रमुख अधिवक्ताओं ने भी भाग लिया और व्यापारियों को आवश्यक मार्गदर्शन दिया। शिविर में विनय प्रकाश ओझा (डिप्टी कमिश्नर), संतोष सिंह (असिस्टेंट कमिश्नर), कविता पाठक (असिस्टेंट कमिश्नर), पूरन जोशी और दासपा अधिकारी उपस्थित रहे, जिन्होंने विस्तार से जीएसटी के तकनीकी पहलुओं और फायदों पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त प्रशांत कुमार वर्मा, जो टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, उन्होंने व्यापारियों से आग्रह किया कि वे समय रहते पंजीकरण कराएं ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की वैधानिक समस्या से बचा जा सके। अधिवक्ताओं में विपिन अग्रवाल, स्वतंत्र नवीन, मुकेश सक्सेना, अश्वनी सैनी, मयंक गुप्ता, प्रमोद चौहान, अरोड़ा, अमन गुप्ता और तुषार अरोड़ा जैसे अनुभवी नाम मौजूद रहे, जिन्होंने व्यापारियों के सवालों के उत्तर भी दिए और उन्हें जागरूक करने का कार्य किया।
विनय प्रकाश ओझा, डिप्टी कमिश्नर, राज्य कर विभाग, काशीपुर ने जीएसटी पंजीकरण को लेकर आयोजित विशेष शिविर में उपस्थित व्यापारियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जागरूकता अभियान केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि व्यापारिक संरचना को सशक्त और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू हुए आठ वर्ष हो चुके हैं और अब यह प्रणाली नौवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इसके बावजूद कई ऐसे व्यापारी हैं, जिनका कारोबार पंजीयन के दायरे में आता है, परंतु वे अब तक इससे बाहर हैं। विभाग का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक व्यापारियों को इस प्रणाली से जोड़ा जाए, ताकि वे इनपुट टैक्स क्रेडिट, बीमा सुरक्षा, बैंकिंग लाभ, और अंतरराज्यीय माल आवागमन जैसी सुविधाओं का लाभ ले सकें।
विनय प्रकाश ओझा ने स्पष्ट किया कि आज पंजीयन के लिए किसी शुल्क की आवश्यकता नहीं है। केवल पैन कार्ड, आधार और व्यापारिक स्थल से संबंधित दस्तावेजों की जरूरत होती है। इसके बावजूद कुछ व्यापारी पंजीयन से डरते हैं या संकोच करते हैं, उन्हें इस मानसिकता से बाहर लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि विशेष शिविर से अपेक्षित लाभ नहीं मिला, तो अगला चरण डोर-टू-डोर संपर्क का होगा, जहां उन व्यापारियों को चिन्हित कर पंजीयन हेतु प्रेरित किया जाएगा जिनकी सालाना आय 20 लाख रुपये से अधिक है। उन्होंने यह भी चेताया कि सप्लाई चैन में किसी एक फर्जी व्यापारी के कारण पूरे नेटवर्क को परेशानी झेलनी पड़ सकती है, इसलिए खरीदारी करते समय सत्यापित करना बेहद जरूरी है।
प्रशांत कुमार वर्मा, अध्यक्ष टैक्स बार एसोसिएशन काशीपुर ने जीएसटी पंजीकरण जागरूकता शिविर के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि व्यापारियों के लिए पंजीकरण अब केवल एक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं, बल्कि कारोबारी मजबूती और सरकारी लाभों की ओर बढ़ने का निर्णायक कदम है। उन्होंने कहा कि आज यदि किसी व्यापारी को बैंक से ऋण लेना है या अपनी लेन-देन की सीमा बढ़ानी है, तो उसे अपने व्यापार की आय और संरचना को प्रमाणित करने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से करवाना ही होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिसकी सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये से अधिक है, उसके लिए पंजीकरण कोई विकल्प नहीं बल्कि कानूनी आवश्यकता है। इससे न केवल व्यापारी को लाभ मिलेगा बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। पंजीकरण से सरकार को कर संग्रह बढ़ेगा, जिससे राज्य के विकास कार्यों में गति आएगी और वकीलों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और अन्य सहयोगी पेशों को भी रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे।
प्रशांत कुमार वर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि आज के दौर में पोर्टल प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी हो चुकी है। कोई भी व्यापारी केवल बिल दिखाकर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ नहीं उठा सकता जब तक कि आपूर्ति वास्तविक और रिटर्न पोर्टल पर फाइल न किया गया हो। उन्होंने कहा कि केवल वही व्यापारी आईटीसी ले सकता है जो जेन्युइन रूप से जीएसटी प्रणाली में पंजीकृत है और सही तरीके से रिटर्न भर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी में कर दरें पूरी तरह केंद्र सरकार की नीतियों पर आधारित होती हैं। कोई भी अधिवक्ता या व्यापारी यह तय नहीं करता कि किसी वस्तु पर पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा या बारह प्रतिशत। ये निर्णय केंद्र की नीतिगत दिशा और अधिनियमों के तहत लिए जाते हैं और कर विभाग एवं व्यवसायी वर्ग को उन्हीं दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। अंत में उन्होंने व्यापारियों से अपील की कि वे पंजीकरण को बोझ न समझें, बल्कि इसे व्यापार में पारदर्शिता और स्थायित्व की दिशा में
प्रशांत कुमार वर्मा, अध्यक्ष टैक्स बार एसोसिएशन काशीपुर ने जीएसटी पंजीकरण जागरूकता शिविर के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि व्यापारियों के लिए पंजीकरण अब केवल एक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं, बल्कि कारोबारी मजबूती और सरकारी लाभों की ओर बढ़ने का निर्णायक कदम है। उन्होंने कहा कि आज यदि किसी व्यापारी को बैंक से ऋण लेना है या अपनी लेन-देन की सीमा बढ़ानी है, तो उसे अपने व्यापार की आय और संरचना को प्रमाणित करने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से करवाना ही होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिसकी सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये से अधिक है, उसके लिए पंजीकरण कोई विकल्प नहीं बल्कि कानूनी आवश्यकता है। इससे न केवल व्यापारी को लाभ मिलेगा बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। पंजीकरण से सरकार को कर संग्रह बढ़ेगा, जिससे राज्य के विकास कार्यों में गति आएगी और वकीलों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और अन्य सहयोगी पेशों को भी रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे।
प्रशांत कुमार वर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि आज के दौर में पोर्टल प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी हो चुकी है। कोई भी व्यापारी केवल बिल दिखाकर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ नहीं उठा सकता जब तक कि आपूर्ति वास्तविक और रिटर्न पोर्टल पर फाइल न किया गया हो। उन्होंने कहा कि केवल वही व्यापारी आईटीसी ले सकता है जो जेन्युइन रूप से जीएसटी प्रणाली में पंजीकृत है और सही तरीके से रिटर्न भर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी में कर दरें पूरी तरह केंद्र सरकार की नीतियों पर आधारित होती हैं। कोई भी अधिवक्ता या व्यापारी यह तय नहीं करता कि किसी वस्तु पर पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा या बारह प्रतिशत। ये निर्णय केंद्र की नीतिगत दिशा और अधिनियमों के तहत लिए जाते हैं और कर विभाग एवं व्यवसायी वर्ग को उन्हीं दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। अंत में उन्होंने व्यापारियों से अपील की कि वे पंजीकरण को बोझ न समझें, बल्कि इसे व्यापार में पारदर्शिता और स्थायित्व की दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम मानें।
विपिन अग्रवाल, एडवोकेट ने मीडिया से बातचीत करते हुए जीएसटी सिस्टम की वर्तमान खामियों और व्यापारियों पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा गया है कि माल की आपूर्ति श्रृंखला में ए स्तर पर यदि कोई व्यापारी फर्जी निकला, तो ई तक पहुंचे वास्तविक और ईमानदार व्यापारी को विभाग दोहरी टैक्सेशन की मार झेलने पर मजबूर कर देता है। यह स्थिति न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जब खुद विभाग फर्जी रजिस्ट्रेशन वाले लोगों को नहीं पहचान पा रहा, तो व्यापारी उनसे माल खरीदते समय उनकी साख की जांच कैसे कर सकता है? विपिन अग्रवाल ने दो टूक शब्दों में कहा कि ऐसे में अगर ई व्यापारी ने दस लाख रुपये का माल खरीदा और पहले ही टैक्स अदा कर दिया, तो फिर फर्जी लिंक की वजह से विभाग उसी व्यापारी से दोबारा उतना ही टैक्स और साथ में पेनल्टी वसूल कर लेता है। यह स्थिति एक तरह से कानूनी शोषण बन जाती है, जो सीधे-सीधे ईमानदार व्यापारियों को हतोत्साहित करती है। उन्होंने जीएसटी काउंसिल और सरकार से अपील की कि ऐसी आपूर्ति श्रृंखला में दोषी केवल वही हो जो फर्जी निकले, न कि पूरा नेटवर्क।
उन्होंने आगे कहा कि यदि विभागीय सर्वेक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया को सशक्त और जमीनी स्तर पर पारदर्शी बना दिया जाए, तो इस तरह के मामलों में काफी हद तक कमी आ सकती है। पंजीकरण प्रक्रिया में एडवोकेट की भूमिका अनिवार्य की जानी चाहिए, ताकि फर्जी पंजीयन और दस्तावेजों की जांच गंभीरता से की जा सके। विपिन अग्रवाल ने मांग की कि ऐसे आपत्तिजनक प्रावधान, जो दोहरी टैक्स वसूली को वैध बनाते हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए और पहले से प्रभावित व्यापारियों को न्याय दिया जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी बिना ठोस सर्वेक्षण के केवल दस्तावेज देखकर पंजीकरण दे देते हैं, जिससे जीएसटी प्रणाली की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है। अंततः उन्होंने मीडिया के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया कि यदि इस प्रकार की विसंगतियों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह न केवल व्यापारियों को आर्थिक नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि पूरे कर ढांचे की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में आ जाएगी।