काशीपुर। जमीनों के नाम पर लोगों को चूना लगाने वाला शातिर आरोपी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। लंबे समय से फरार चल रहे और न्यायालय द्वारा वांछित घोषित किए गए असित कुमार चतुर्वेदी को रविवार को पुलिस ने लाहौरियान इलाके से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के खिलाफ न केवल चेक बाउंस के कई मामले दर्ज हैं, बल्कि उसने कई लोगों से लाखों रुपये की ठगी जमीन बेचने के नाम पर की थी। खुद को प्रभावशाली और प्रतिष्ठित परिवार से जुड़ा बताकर लोगों का भरोसा जीतने वाले इस धोखेबाज़ ने जिस तरीके से मासूम नागरिकों को निशाना बनाया, उससे लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। काशीपुर पुलिस ने जैसे ही इस गिरफ्तारी की पुष्टि की, पीड़ितों ने न्यायालय पहुंचकर उसकी जमानत रद्द कराने की गुहार लगाई ताकि वह फिर से किसी भोलेभाले इंसान को धोखे का शिकार न बना सके।
पीड़ितों में से एक शशि चौहान, जो काशीपुर के आवास विकास क्षेत्र में रहते हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि असित कुमार चतुर्वेदी ने उनसे जमीन का सौदा करने के नाम पर पंद्रह लाख रुपये ऐंठ लिए। यही नहीं, पूनम यादव से पच्चीस लाख रुपये की ठगी हुई, जबकि अनूप अग्रवाल के साथ भी पंद्रह लाख की हेराफेरी की गई। अलीगंज रोड निवासी प्रमोद मिश्रा से पांच लाख और देहरादून निवासी एक अन्य व्यक्ति से भी पांच लाख रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है। ये सभी लोग अब न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जब इन लोगों ने अपने पैसे वापस मांगने की कोशिश की तो उन्हें धमकाया गया और बदसलूकी की गई। ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि आरोपी ने सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ितों को प्रताड़ित किया है। इस पूरे मामले ने काशीपुर में जमीन खरीद-फरोख्त को लेकर व्याप्त भ्रष्टाचार और फरेब की परतें उधेड़ दी हैं।
सुनवाई के दौरान जब आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया, तो पीड़ितों ने एक सुर में उसकी जमानत खारिज करने की मांग की। उनके अनुसार, असित कुमार चतुर्वेदी जैसे शातिर ठग को अगर आज़ाद छोड़ा गया तो वह समाज के और भी निर्दाेष लोगों को अपने झांसे में फंसा सकता है। अदालत में दिए गए प्रार्थना पत्र में पीड़ितों ने यह भी कहा कि अभी कई ऐसे लोग हैं जो शर्म या डर के कारण सामने नहीं आ पा रहे, परंतु जैसे ही उन्हें हौसला मिलेगा, वे भी सामने आएंगे और आरोपी की असलियत उजागर करेंगे। साथ ही यह भी साफ हुआ कि असित कुमार चतुर्वेदी ने जिन जमीनों को दिखाकर पैसे लिए, वे दरअसल उसकी नहीं थीं, बल्कि दूसरों की संपत्तियों को अपनी बताकर लोगों को भ्रमित किया गया। इस तरह की धोखाधड़ी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक विश्वास को भी ठेस पहुंचाती है।
काशीपुर पुलिस ने यह कार्रवाई न्यायालयों द्वारा पहले से जारी गैर-जमानती वारंटों के अनुपालन में की थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी को लगातार निगरानी में रखा गया था और सही समय का इंतज़ार किया जा रहा था ताकि उसे रंगे हाथों गिरफ्तार किया जा सके। रविवार को जब वह लाहौरियान क्षेत्र में देखा गया तो पुलिस ने बिना देरी किए दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को तुरंत अदालत में पेश किया गया जहां न्यायाधीश ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उसे ज़मानत पर रिहा कर दिया। इस फैसले से पीड़ितों में आक्रोश की लहर दौड़ गई और उन्होंने दोबारा उच्च न्यायालय में पुनर्विचार की अपील करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि असित कुमार चतुर्वेदी की रिहाई समाज के लिए खतरा है और इस तरह के अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और इस तरह का दुस्साहस न कर सके।
कुल मिलाकर, काशीपुर में जमीन के नाम पर चल रही धोखाधड़ी की इस बड़ी कहानी ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। आरोपी असित कुमार चतुर्वेदी के खिलाफ जो आरोप सामने आए हैं, वे केवल वित्तीय अपराध नहीं हैं, बल्कि यह विश्वासघात का ज्वलंत उदाहरण भी हैं। पीड़ितों की आंखों में आज भी डर और गुस्सा साफ झलकता है, जो उस धोखे का परिणाम है जिसमें वे फंसे। अब सवाल यह उठता है कि क्या केवल गिरफ्तारी और ज़मानत पर छोड़ देना पर्याप्त है? या फिर ऐसे मामलों में कठोरतम दंड देकर एक मिसाल कायम करनी चाहिए? आने वाले समय में न्यायालय का रुख क्या रहेगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन फिलहाल काशीपुर की सड़कों पर यह चर्चा जोरों पर है कि क्या असित कुमार चतुर्वेदी जैसे लोग कभी सुधरेंगे, या फिर कानून को और अधिक सख्त रुख अपनाना पड़ेगा?