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जलती दोपहर में मोहब्बत की ठंडी फुहार बनकर चमका पयाम-ए-इंसानियत फोरम

तपती सड़कों पर प्यासों को मिली राहत, ज़ुबैर सिद्दीकी की अगुवाई में फोरम ने इंसानियत की मिसाल पेश कर दिल जीत लिया

काशीपुर। जलती सड़कों पर तपती धूप से बेहाल लोग जहां एक घूंट ठंडे पानी की तलाश में भटकते नजर आए, वहीं ‘ऑल इंडिया पयाम-ए-इंसानियत फोरम’ ने मानवीयता की एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसे देखकर हर कोई भावविभोर हो गया। जब गर्म हवाओं के थपेड़े लोगों की ऊर्जा को चुराते जा रहे थे और राहगीर छांव की उम्मीद में रास्ते नाप रहे थे, उसी समय फोरम के समर्पित कार्यकर्ता शहर के सबसे व्यस्त एमपी चौक पर ठंडे पानी की बोतलें लेकर खड़े थे। राह चलते लोगों को रोक-रोककर पानी पिलाना और उनके थके चेहरों पर मुस्कान लाना, किसी बड़े संदेश से कम नहीं था। इस मामूली-सी दिखने वाली सेवा ने यह बखूबी साबित कर दिया कि जब दिलों में सेवा की भावना हो, नीयत पाक हो और इरादे अडिग हों, तो चिलचिलाती धूप और तपती गर्मी भी मोहब्बत की ठंडी छांव को रोक नहीं सकती। काशीपुर की सड़कों पर ‘पयाम-ए-इंसानियत फोरम’ के इस पहल ने न सिर्फ प्यासे गले तर किए, बल्कि इंसानों के दिलों को भी सुकून से भर दिया। यह कोई साधारण जल वितरण नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि इंसानियत अब भी जिंदा है और उसे जिंदा रखने वाले लोग आज भी हमारे बीच हैं। यह छोटा-सा प्रयास एक बड़ी लहर बन गया, जिसने शहर की फिजा में अपनापन और एकता की ठंडी बयार घोल दी। यह अभियान किसी तात्कालिक राहत से कहीं बढ़कर था—यह एक उम्मीद थी, एक प्रेरणा थी, और एक यादगार मिसाल थी जो दिलों को छू गई।

ऐसे समय में जब अधिकांश लोग अपने जीवन की आपाधापी में व्यस्त रहते हैं और दूसरों की पीड़ा से आंखें चुराते हैं, ‘पयाम-ए-इंसानियत फोरम’ के कार्यकर्ता ज़ुबैर सिद्दीकी के नेतृत्व में निःस्वार्थ भाव से सेवा में लगे हैं। ज़ुबैर सिद्दीकी ने यह स्पष्ट किया कि उनकी संस्था किसी सीमित उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए खड़ी होती है, जिसे किसी भी रूप में मदद की दरकार हो। उन्होंने बताया कि चाहे गर्मी हो या सर्दी, उनका संगठन लगातार जनसेवा के कार्यों में संलग्न रहता है। सर्द मौसम में जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े और भोजन मुहैया कराना हो या गरीबों के लिए मुफ्त चिकित्सा शिविर आयोजित करनाकृफोरम हर बार अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटती। ज़ुबैर सिद्दीकी ने यह भी जोड़ा कि “हम सिर्फ पानी नहीं देते, बल्कि जरूरत पड़ी तो खून भी देने को तैयार हैं। हमारी प्राथमिकता हर पीड़ित व्यक्ति तक राहत पहुंचाना है, ताकि इंसानियत का यह कारवां कभी न रुके।”

एमपी चौक पर लगाए गए इस अस्थायी सेवा शिविर में जब राहगीरों को ठंडे पानी की बोतलें थमाई गईं, तो उनके चेहरों पर उभर आई सुकून की मुस्कान ही इस सेवा की सबसे बड़ी सफलता बन गई। एक राहगीर ने बोतल थामते हुए कहा कि आजकल लोग अपनों से ही मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन यहां अजनबियों ने जिस अपनत्व से हमें पानी पिलाया, वह दिल छू लेने वाला अनुभव है। इस नेक कार्य को देखकर आसपास के दुकानदारों से लेकर राह चलते लोग भी इस अभियान में सम्मिलित हो गए और फोरम के इस प्रयास की सराहना करते नहीं थके। स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसे संगठन आज के समाज में न सिर्फ राहत का माध्यम हैं, बल्कि उनमें समाज को नई दिशा देने की क्षमता भी है। पयाम-ए-इंसानियत फोरम का यह कदम न सिर्फ प्यास बुझाने वाला था, बल्कि दिलों को भी भिगो गया, और एक ऐसा संदेश छोड़ गया जिसे शब्दों में पिरोना आसान नहीं।

ज़ुबैर सिद्दीकी का अंतिम वक्तव्य इस सेवा अभियान की आत्मा बनकर सामने आया, जिसमें उन्होंने न केवल इंसानियत की ऊँचाईयों को छूने का संदेश दिया, बल्कि देशभक्ति की मिसाल भी पेश की। उन्होंने दिल से सभी मीडियाकर्मियों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह पहल अभी एक छोटी सी कोशिश भर है, लेकिन उनका उद्देश्य इसे पूरे भारतवर्ष में फैलाना है ताकि हर गली, हर मोहल्ले और हर शहर में इंसानियत की रौशनी फैले। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई हिंदू है, मुस्लिम है, सिख है या किसी और मजहब से है—उनकी नजर में सबसे पहले वह एक इंसान है। मोहब्बत को ही उन्होंने अपनी असली पहचान बताया और कहा कि यदि हम मोहब्बत के रंग में इंसान को देखें, तो समाज में कोई दीवार बाकी नहीं रह जाएगी। उनके शब्दों में सेवा का जज़्बा और एकता की सच्ची पुकार साफ सुनाई दी।

ज़ुबैर सिद्दीकी ने गर्व और आत्मविश्वास से लबरेज स्वर में कहा कि लोग उनकी मोहब्बत को चाहे जो नाम दें, चाहे वह किसी भी चश्मे से देखें, पर उनके लिए सबसे ऊपर उनका देश है और देश के लोग उनकी प्राथमिकता हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनका उद्देश्य केवल सेवा करना नहीं, बल्कि इस देश की एकता, अखंडता और सामाजिक समरसता को मजबूत करना है। ज़ुबैर सिद्दीकी ने दो टूक कहा कि जो भी व्यक्ति या ताकत इस मुल्क के खिलाफ खड़ी होगी, चाहे वह किसी भी रूप में हो, वह उनके लिए एक शत्रु से कम नहीं होगी। यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि उनके दिल की गहराइयों से निकला हुआ संकल्प था, जिसमें हर देशवासी के लिए अपनापन और सुरक्षा का भाव था। इस भावनात्मक और ऊर्जावान बयान के जरिए ज़ुबैर सिद्दीकी ने सेवा, देशभक्ति और भाईचारे की त्रिवेणी बहाकर समाज को एक नई सोच और दिशा देने का काम किया।

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