काशीपुर। उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध चैती मेले में शुक्रवार दोपहर एक भयावह हादसा हो गया। ऐतिहासिक गोविषाण किले की झाड़ियों में अचानक आग भड़क उठी, जिसने कुछ ही पलों में विकराल रूप ले लिया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि उसकी चिंगारियां उड़कर मेला क्षेत्र तक पहुंच गईं और वहां लगे सरकारी कैंप के टेंट को अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते पूरा टेंट जलकर खाक हो गया, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। आग की भयावहता को देखते हुए तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। इसके अलावा आसपास की कई फैक्ट्रियोंकृआईजीएल, बहल पेपर मिल, नैनी पेपर मिल, सहोता पेपर मिल, सिद्धार्थ पेपर मिल-से भी दमकल की गाड़ियां बुलाई गईं। आधा दर्जन से अधिक दमकल गाड़ियों और कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। हालांकि, इस घटना ने मेले में आए दुकानदारों और श्रद्धालुओं के बीच दहशत फैला दी।
मां बाल सुंदरी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी विकास अग्निहोत्री के अनुसार, दोपहर बाद गोविषाण किले की झाड़ियों में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और उसकी चिंगारियां उड़ते-उड़ते चौती मेले तक पहुंच गईं। इन चिंगारियों की वजह से मेला थाने के टेंट में आग लग गई, जिससे मेले में हड़कंप मच गया। आग तेजी से फैलने लगी, जिससे वहां मौजूद दुकानदारों और श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। प्रशासन और दमकल विभाग को तत्काल सूचित किया गया। दमकल विभाग के कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। अगर समय पर आग नहीं बुझाई जाती, तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। इस घटना ने सुरक्षा उपायों की गंभीरता को फिर से उजागर कर दिया।

जैसे ही चैती मेले में आग लगने की खबर फैली, नगर निगम महापौर दीपक बाली तुरंत मौके पर पहुंचे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने प्रशासन और दमकल विभाग को पूरी मुस्तैदी के साथ राहत कार्य में जुटने के निर्देश दिए। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया और आग को फैलने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए। महापौर ने दुकानदारों और स्थानीय लोगों से भी सतर्क रहने और आग से बचाव के जरूरी उपाय अपनाने की अपील की। इस बीच, दमकल विभाग के स्टेशन ऑफिसर राम कुमार ने खुलासा किया कि शुरुआती जांच में किसी अज्ञात शरारती तत्व द्वारा किले की झाड़ियों में ज्वलनशील पदार्थ डालने की आशंका जताई जा रही है। इसी कारण आग ने इतनी तेजी से विकराल रूप धारण कर लिया और मेला क्षेत्र तक फैल गई। दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा चूक की ओर गंभीर इशारा किया है।
चैती मेले में लगी भयानक आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग की गाड़ियाँ तुरंत मौके पर पहुंचीं, लेकिन आग इतनी विकराल थी कि प्रशासन को अतिरिक्त मदद लेनी पड़ी। स्थानीय फैक्ट्रियोंकृआईजीएल, बहल पेपर मिल, नैनी पेपर मिल, सहोता पेपर मिल और सिद्धार्थ पेपर मिल की दमकल गाड़ियों को भी बुलाया गया। दमकल कर्मियों ने पूरी ताकत झोंक दी और घंटों की मशक्कत के बाद आखिरकार आग पर नियंत्रण पा लिया। हालांकि, तब तक काफी नुकसान हो चुका था। सरकारी कैंप का टेंट पूरी तरह जलकर राख में तब्दील हो गया। राहत की बात यह रही कि समय रहते आग को फैलने से रोक लिया गया, वरना यह भयावह हादसा विकराल रूप ले सकता था। इस घटना ने सुरक्षा उपायों को और कड़ा करने की जरूरत पर जोर दिया है।

इस भयावह घटना के बाद प्रशासन ने मेले में लगे दुकानदारों से अपील की है कि वे अपनी दुकानों में आग बुझाने के उपकरण जरूर रखें। पानी और बालू जैसी जरूरी चीजों का भी प्रबंध करें, ताकि किसी भी तरह की आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके। इसके साथ ही प्रशासन ने दुकानदारों को अपनी दुकानों में नई वायरिंग और सही फिटिंग कराने की सलाह दी, जिससे किसी भी तरह की शॉर्ट सर्किट जैसी घटना न हो। जिलाधिकारी और मेला मजिस्ट्रेट अभय प्रताप सिंह ने कहा कि इस घटना के बाद प्रशासन अब पहले से ज्यादा सतर्क रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
जांच में सामने आया है कि आग की शुरुआत गोविषाण किले की झाड़ियों से हुई थी। यह इलाका अक्सर सूखी झाड़ियों और घास-फूस से भरा रहता है, जिससे यहां आग लगने की संभावना हमेशा बनी रहती है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि थोड़ी सी चिंगारी भी इस क्षेत्र में भीषण आग का कारण बन सकती है। आग लगने के पीछे प्राकृतिक कारण या लापरवाही हो सकती है, लेकिन कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि किसी अज्ञात शरारती तत्व ने जानबूझकर आग लगाई होगी। हालांकि, अब तक इस दावे की पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों की तलाश की जा रही है। इस घटना के बाद सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

स्टेशन ऑफिसर राम कुमार ने बताया कि आग की शुरुआत गोविषाण किले की झाड़ियों से हुई थी, जहां सूखी घास और झाड़ियां भरी पड़ी थीं। जैसे ही आग लगी, हवा के तेज झोंकों ने इसे और भड़का दिया, जिससे लपटें तेजी से फैलकर मेला क्षेत्र तक पहुंच गईं। आग इतनी भयावह थी कि कुछ ही मिनटों में उसने बड़े हिस्से को चपेट में ले लिया, जिससे मेले में अफरा-तफरी मच गई। मेला थाने के टेंट में आग लगने के बाद हालात और गंभीर हो गए। दमकल कर्मियों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। प्रशासन की तत्परता और दमकल विभाग की मुस्तैदी से एक बड़ा हादसा टल गया। हालांकि, इस घटना ने मेले की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं और भविष्य में आग से बचाव के लिए अतिरिक्त उपाय करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
इस घटना के बाद प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई हैं और मेला क्षेत्र में अग्नि सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेले में मौजूद सभी दुकानदारों और स्टॉल मालिकों को आग से बचाव के आवश्यक उपाय अपनाने के निर्देश दिए गए हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने बिजली फिटिंग, गैस सिलेंडर और ज्वलनशील सामग्रियों की कड़ी जांच शुरू कर दी है। किसी भी अनियमितता पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। फायर ब्रिगेड की अतिरिक्त गाड़ियां भी मेले में तैनात की गई हैं, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से तुरंत निपटा जा सके। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना दोबारा न हो और मेले में आने वाले श्रद्धालु और दुकानदार पूरी तरह सुरक्षित रहें।

चैती मेले में उमड़ी भीड़ इस घटना से बेहद सहमी हुई है। लोगों का कहना है कि अगर समय पर दमकल कर्मियों ने आग पर काबू न पाया होता, तो यह हादसा और भी गंभीर हो सकता था। एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि हमने ऐसा भयावह नजारा पहली बार देखा है। आग इतनी तेज थी कि कुछ ही मिनटों में सब कुछ जलकर राख हो गया। अब हमें अपनी दुकानों में सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने होंगे।
चैती मेले में हुई आगजनी की घटना के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए पूरे इलाके को अलर्ट मोड में डाल दिया है। अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि मेला क्षेत्र में किसी भी प्रकार की लापरवाही अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुरक्षा उपायों को कड़ा करने के साथ-साथ प्रशासन ने मेले की निगरानी के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह ने बताया कि यह टीम मेले में अग्नि सुरक्षा मानकों की जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि दुकानदार व आयोजक सभी आवश्यक एहतियात बरतें। प्रशासन की ओर से यह भी निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए दमकल विभाग की गाड़ियां पूरे समय मुस्तैद रहें, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

हालांकि, दमकल विभाग और प्रशासन की तत्परता से आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन यह घटना एक गंभीर चेतावनी के रूप में सामने आई है। यह स्पष्ट करता है कि सुरक्षा उपायों में थोड़ी सी चूक भी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। मेले जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों में आग से बचाव के कड़े इंतजाम होने चाहिए, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को समय रहते रोका जा सके। प्रशासन, दुकानदारों और आम जनता को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना ही एकमात्र उपाय है। अब सवाल यह उठता है—क्या इस घटना से कोई सबक लिया जाएगा, या फिर इसे भी एक सामान्य दुर्घटना मानकर भुला दिया जाएगा? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!